सर्द मौसम की परेशानियां छूू भी न सकेंगी आपकी नन्हीं सी जान को, अपनाएं ये उपाय Agra News
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जेएन टंडन के अनुसार रोज करें शिशु की मालिश। बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता।
आगरा,तनु गुप्ता। यूंं तो सर्द मौसम हर किसी की पहली पसंद होता है। सर्दियों की गुनगुनी धूप हर दिल की अजीज होती है लेकिन ये मौसम सबसे ज्यादा परेशानी लेकर आता है शिशुओं के लिए। ऐसे में जरूरी िशिशुओं की अतिरिक्त देखभाल की। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ जेएन टंडन के अनुसार सर्दी का मौसम बहुत सी बीमारियोँ को निमंत्रण देता है। हर साल जाड़े में मांं- बाप बच्चों की बीमारियोंं को लेकर परेशान हो जाते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों के कलीनिक पर बच्चों के साथ अभिभावकों का मेला सा लग जाता है। बेहतर रहेगा यदि इस मौसम में घर के बड़े बुजुर्गों की सलाह मानकर बच्चों की देखरेख करें। प्रतिदिन की मालिश बच्चे को रोग प्रतिरोधक क्षमता से परिपूर्ण करती है। इसके अलावा बच्चों को कई कपड़ों की लेयर जरूर पहनाएं।
ऐसे करें त्वचा की देखभाल
डॉ टंडन के अनुसार सर्दी के मौसम में हवा की नमी चली जाती है, जिससे शिशु की त्वचा शुष्क हो जाती है। ऐसे में बच्चे की मालिश जैतून के तेल से करने से बहुत लाभ होता है। उससे मालिश करने से खून का संचार सही रहता है और शिशु की इम्यूनिटी पावर यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मालिश करते समय बच्चे को गरम और आरामदेह जगह पर लिटाना चाहिए। मालिश के कुछ देर बाद नहलाना चाहिए। बच्चे की त्वचा अत्यधिक नरम होती है, इसलिए साबुन ग्लिसरीन युक्त होना चाहिए और पानी गुनगुना होना चाहिए। जिस दिन ज्यादा सर्दी हो, उस दिन स्नान के बजाय साफ तौलिए को पानी में भिगो कर और निचोड़ कर बच्चे का बदन पोंछ सकते हैं।
खिली रहेगी मुस्कान
सर्दी में शिशु के होंठ उसके थूक निकालने से गीले हो जाते हैं। उन की ऊपरी परत हट जाती है और उन पर सूखापन आ जाता है। इसके लिए पैट्रोलियम जैली या लिपबाम का उपयोग करना चाहिए।
बनी रहेगी आंखों की चमक
सर्दी में कभी कभी शिशु की आंखों के कोने से सफेद या हलके पीले रंग का बहाव हो सकता है। इसे न तो हाथ से रगड़ें और न ही खींच कर निकालने की कोशिश करें। गुनगुने पानी में रुई डाल कर उसे हाथों से दबाएं। फिर उससे आंखों को अंदर से बाहर की तरफ साफ करें। अगर शिशु की आंखें लाल हों या उनसे पानी निकल रहा हो तो तुरंत आंखों के विशेषज्ञ को दिखलाना चाहिए।
मखमल से नरम हों कपड़े
सर्दियों में शिशु के कपड़े गरम, नरम और आरामदेह होने चाहिए, जिनमें कोई जिप या टैग न लगा हो। बच्चे के हाथ- पैर गरम रखने के लिए उसे दस्ताने और मोजे पहनाने चाहिए और उसका सिर टोपी से ढकना चाहिए।
बच्चे के कपड़े धोने का डिटर्जैंट माइल्ड होना चाहिए। बच्चे को कई बार ऊनी कपड़ों से एलर्जी हो जाती है जिससे उसके शरीर पर रैशेज हो जाते हैं। इसलिए कपड़े तापमान के हिसाब से ही पहनाने चाहिए। बच्चे को सीधा ऊनी कपड़ा पहनाने के बजाय पहले एक सूती कपड़े पहनानी चाहिए। बच्चे को जूते पहनाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिए बेहतर रहेगा कि उसे मोजे पहनाकर रखें। शिशु को सुलाते वक्त जब कंबल डालें तो ध्यान रखें कि कंबल से मुंह न ढक जाए, जिससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो। शिशु के कपड़े अच्छी क्वालिटी के होने चाहिए और ज्यादा तंग नहीं होने चाहिए।
डायपर रैशेज से बचाए
- इस बात का खयाल रखना चाहिए कि डायपर समय पर बदला जाए।
- डायपर ज्यादा टाइट नहीं होना चाहिए. उसे सही नाप का चुनना चाहिए।
- डायपर बदलने से पहले और बाद में अपने हाथ अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
- डायपर बदलते वक्त ध्यान रखें कि शिशु की त्वचा सूखी और साफ हो।
कुछ खास बातें
- बच्चों के स्नान को सर्दियों में सीमित कर देना चाहिए। स्नान से बच्चों की त्वचा से धूल, गंदगी हटने के साथ प्राकृतिक तेल और नमी भी हट जाती है, हालांकि कुछ सावधानियां बरतने पर समस्याएं नहीं होंगी। बच्चे को ज्यादा समय तक नहलाने के बजाय जल्द नहलाएं। विशेष अवसरों पर बबल बाथ दे सकती हैं। सर्दियों में बच्चों को गुनगुने पानी से नहलाएं।
- पीएच बैलेंस से भरपूर साबुन से बच्चे को नहलाएं। इससे बच्चों की त्वचा में नमी बरकरार रहती है, अगर आप खारे पानी वाले क्षेत्र में रहते हैं तो फिर सिर्फ पानी से बच्चे को नहलाने से त्वचा रूखी हो सकती है।
- सर्दियों में बच्चों की त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हीटर के इस्तेमाल से भी त्वचा रूखी हो सकती है, इसलिए बच्चों को बेबी लोशन लगाएं।
- अपने बच्चे की त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए उन्हें औसत मात्रा में गुनगुना पानी पिलाएं। यह त्वचा को पोषित भी रखेगा।
सुझाव थोड़े बड़े बच्चों के लिए
- बच्चों को सिखाएं की अगर खेलते वक्त वे भीग जाएंं तो तुरंत आ कर आप को बताएं। समय-समय पर बच्चे के कपड़ों को जांचते रहें कि कहीं वे भीग तो नहीं गए हैं।
- बड़ों की तुलना में बच्चों का शरीर तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। इसीलिए आपको ख्याल रखना पड़ेगा की बच्चे भीगे नहीं, क्यूंकि बच्चे तुरंत बीमार पड सकते हैं।
- अगर ध्यान ना रखा जाये तो बच्चे भीगने के बावजूद भी बहार ठण्ड में खेलते रहेंगे। इस बात का हमेशा ध्यान रखें की बच्चे सूखे हों और गरम हों।
- ठंंड में पानी से भीगने से बच्चों को मौसमी बुखार का खतरा तो रहता ही है, साथ ही निमोनिया का भी खतरा बना रहता है। निमोनिया फेफड़ो पर असर करने वाला एक ऐसा संक्रमण है जिसकी वजह से फेफड़ो में सूजन होती है और उसमें एक प्रकार का गीला पन आ जाता है, जिससे श्वास नली अवरुद्ध हो जाती है और बच्चे को खांंसी आने लगती है। यह बीमारी सर्दी जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चल कर जानलेवा भी साबित हो सकती है। यह बीमारी जाड़े के मौसम में अधिकतर होती है।