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मकर संक्रांति: जितना विशेष दिन उतना ही विशेष खानपान, जानिए महत्व और विधि Agra News

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी ने बताया महत्‍व और गृहणी अंजू गुप्‍ता ने बताई विधि।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 04:36 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 04:36 PM (IST)
मकर संक्रांति: जितना विशेष दिन उतना ही विशेष खानपान, जानिए महत्व और विधि Agra News
मकर संक्रांति: जितना विशेष दिन उतना ही विशेष खानपान, जानिए महत्व और विधि Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। यूं तो खिचड़ी का नाम आते ही आज की युवा पीढ़ी के जेहन में एक बीमारी की अवस्‍था में खाने वाले भोजन की तस्‍वीर ही बनती है लेकिन ये अकेला भोजन ऐसा है जिसे उत्‍सव की संज्ञा दी गई है। जी हां मकर संक्रांति पर्व जिसे खिचड़ी उत्‍सव भी कहा जाता है। पर्व विशेष पर खिचड़ी का सेवन करने की प्रथा के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी का कहना है कि हमारे देश में प्रत्‍येक त्‍योहार के पीछे कोई न कोई इतिहास और संदेश जरूर होता है। मकर संक्रांति भी उन्‍हीं में से एक है। वैसे तो यह पर्व पूरे देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। लेकिन इस दिन ख‍िचड़ी बनाए जाने की परंपरा कई प्रदेशों में है। सदियों पहले इस परंपरा की शुरुअात बाबा गोरखनाथ ने की थी। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी की जगह कुछ लोग दही, पापड़, घी, और अचार का मिश्रण भी खाते हैं। इस दिन खिचड़ी का दान भी किया जाता है।

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योगियों ने बनाई थी खिचड़ी

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब खिलजी ने आक्रमण किया तो लगातार संघर्षरत रहने के चलते नाथ योगी भोजन तक नहीं कर पाते थे। इसके पीछे कारण यह था कि आक्रमण के चलते योगियों के पास भोजन बनाने का भी समय नहीं रहता था। वह अपनी भूमि को बचाने के लिए संघर्ष करते रहते थे और अक्‍सर ही भूखे रह जाते थे।

खिलजी के साथ आक्रमण में नाथ योगी भूखे ही संघर्षरत रहते थे। बाबा गोरखनाथ ने इस समस्‍या का हल निकालने की सोची। लेकिन यह भी ध्‍यान रखना था कि ज्‍यादा समय भी न लगे। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्‍जी को एक साथ‍ पकाने की सलाह दी। बाबा गोरखनाथ का बताया गया हुआ यह व्‍यंजन नाथ योगियों को बेहद पसंद आया। इसे बनाने में काफी कम समय तो लगता ही था। साथ ही काफी स्‍वादिष्‍ट और त्‍वरित ऊर्जा देने वाला भी होता था। कहा जाता है कि बाबा ने ही इस व्‍यंजन को खिचड़ी का नाम दिया। कहा जाता है कि फटाफट तैयार होने वाले इस व्‍यंजन से नाथ योगियों को भूख की परेशानी से राहत मिल गई। इसके अलावा वह खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सक्षम हुए। इसके बाद से ही गोरखपुर में मकर संक्रांति के दिन को बतौर विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाने लगा।

संक्रांति पर खिचड़ी सेवन मतलब आरोग्‍य की वृद्धि

ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक खिचड़ी का मुख्‍य तत्‍व चावल और जल चंद्रमा के प्रभाव में होता है। इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना गया है। वहीं हल्‍दी का संबंध गुरु ग्रह से और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। वहीं खिचड़ी में पड़ने वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसके अलावा घी से शुक्र और मंगल भी प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से आरोग्‍य में वृद्धि होती है।

तिल और गुड़ खाने की भी है परंपरा

पंडित वैभव के अनुसार तिल का सीधा संबंध शनि से है। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने की भी परंपरा है। इससे शनि, राहू और केतु से संबंधित सारे दोष दूर हो जाते हैं। वहीं

तिल- गुड़ को बहते जल में प्रवाहित करने से व्‍यक्ति को हर तरह के कष्‍ट से मुक्ति मिलती है। आयुर्वेद में भी ठंड के मौसम में तिल-गुड़ खाना बहुत अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। यह शरीर को गर्म रख इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। तिल में मौजूद तेल शरीर के तापमान को सही बनाए रखता है। वहीं गुड़ की तासीर गर्म होती है और इसमें मौजूद आयरन और विटामिन सी गले और सांस की परेशानी को दूर करता है। इसी वजह से मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के ढेर सारे व्यंजन बनाए और खाए जाते हैं।

ऐसे बनाएं खिचड़ी और तिल गुड़ के लड्डू

गृहणी अंजू गुप्‍ता के अनुसार बड़ी आसानी से तैयार होने वाली खिचड़ी वैसे तो कई तरह से बनाई जाती है। इसे हर कोई अपने तरीके से स्वादिष्ट बनाने की कोशिश करता है। खिचड़ी में कई चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन खिचड़ी के लिए मुख्य चीजें होती हैं चावल, आधा कटोरी दाल, एक आलू इसके अलावा आप इसमें अपनी पसंद के अनुसार मटर, हरी सब्जियां, हींग, जीरा आदि भी डाल सकते हैं। इसके साथ आप अपने स्वाद अनुसार मसालों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

खिचड़ी के लिए सामग्री:

- एक कप चावल

- एक कप मूंग की दाल

- आधा कप मटर

- आधा कप गोभी

- एक छोटा आलू, कटा हुआ

- एक छोटा टमाटर, कटा हुआ

- बारीक कटी हुई 2 हरी मिर्च

- आधा छोटा चम्मच हल्दी पाउडर

- चुटकीभर हींग

- एक छोटा चम्मच जीरा

- स्वादानुसार नमक

- दो-तीन चम्मच घी

- एक छोटा चम्मच गरम मसाला

विधि

- सबसे पहले चावल और मूंग दाल को साफ करके धो लें।

- मीडियम आंच में एक प्रेशर कूकर में घी गरम करें।

- घी के गरम होते ही जीरे का तड़का लगाएं. फिर हरी मिर्च, हल्दी और हींग डालकर एक मिनट तक पकाएं।

- फिर इसमें मटर, आलू, गोभी और कटा हुआ टमाटर डालकर 4-मिनट तक भूनें।

- इसके बाद इसमें दाल और चावल डालकर मिक्स करें।

- फिर इसमें तीन कप पानी, गरम मसाला और नमक डालकर ढक्कन को बंद कर दें।

- कूकर में 3-4 सीटी आने के बाद आंच बंद कर दें।

- कूकर का प्रेशर खत्म हो जाए, तो ढक्कन खोल दें।

- अब मूंग दाल की खिचड़ी तैयार है। इसे दही, अचार, चटनी या रायते के साथ खाएं और खिलाएं।

तिल गुड़ के लड्डू के लिए सामग्री

- 60 ग्राम सफेद तिल

- कद्दूकस किया हुआ गुड़ 150 ग्राम

- घी

विधि

- तिल को बीनकर अच्छी तरह साफ कर लें।

- अब गैस पर एक कड़ाही में तिल को सुनहरा होने तक भूनें।

- इसके बाद गैस पर एक पैन में आधा कप पानी डालकर गर्म करें अौर इसमें गुड़ डालकर पिघला दें।

- गुड़ सही तरह पक गया है, यह देखने के लिए एक कटोरी में ठंडा पानी लें. पानी में थोड़ा-सा पकता हुआ गुड़ डालें. अगर पानी में गुड़ का बॉल बन जाए तो लड्डू बनाने के लिए परफेक्ट गुड़ पक चुका है। अब गैस बंद कर दें।

- अब गुड़ में भुने तिल डालकर मिक्स करें और फिर गुड़-तिल के मिश्रण को हल्का ठंडा कर लें।

- इसके बाद हाथ पर घी लगाकर मिश्रण का थोड़ा-थोड़ा भाग लेकर इसके गोल-गोल लड्डू बना लें।

- इस तरह पूरे मिश्रण के लड्डू बनाकर तैयार कर लें और डिब्बे में भर लें। फिर जब मन चाहे, इनका स्वाद लें।


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