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CoronaVirus: 5 तारीख, 9 बजे, 9 मिनट का दीपदान, PM Modi ने क्‍यों चुना ये दिन? पढ़ें इसके पीछे का रहस्‍य

धर्म वैज्ञानिक डॉ जे जोशी के अनुसार पांच अप्रैल को अनंग उत्‍सव है। इस दिन राष्‍ट्र के सभी लोग यदि दीप जलाते हैं तो आसपास के विषाणुओं का नाश होता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2020 07:14 PM (IST)
CoronaVirus: 5 तारीख, 9 बजे, 9 मिनट का दीपदान, PM Modi ने क्‍यों चुना ये दिन? पढ़ें इसके पीछे का रहस्‍य
CoronaVirus: 5 तारीख, 9 बजे, 9 मिनट का दीपदान, PM Modi ने क्‍यों चुना ये दिन? पढ़ें इसके पीछे का रहस्‍य

आगरा, तनु गुप्‍ता। शुक्रवार का दिन, समय 9 बजे, भाषण का समय 9 मिनट। अपील 5 अप्रैल यानि वर्ष के चौथे माह में रात 9 बजे 9 मिनट के लिए दीपदान। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह जब वीडियो संदेश दिया तो लोग इस खास कार्य के पीछे के रहस्‍य को समझने में जुट गए। कोरोना वायरस का संक्रमण काल और पूरा देश लॉकडाउन के चलते लॉक। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान घंटे, ताली और शंखनाद के बाद अब पांच अप्रैल का दिन पीएम मोदी ने दीपदान के लिए चुना है। देश में लगातार काेरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्‍या दो हजार का आकंड़ा पार कर चुकी है। संक्रमण से मरने वालों की संख्‍या में पहले के मुकाबले तेजी से इजाफा हुआ है। अब ऐसे वक्‍त में पीएम मोदी की दीपदान की अपील। आखिर क्‍या है इसका कारण। प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील के पीछे छुपे रहस्‍य को समझने के लिए जागरण डॉट कॉम ने उज्‍जैन के धर्म विज्ञान शोध संस्‍थान के निर्देशक डॉ जे जोशी से फोन पर बात की। उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी करते हैं उसके पीछे विज्ञान का सार छुपा होता है। और विज्ञान का आधार है सनातन धर्म।

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डॉ जे जोशी के अनुसार पांच अप्रैल को त्रयोदशी यानि शिवरात्री है। इसके अलावा उस दिन अनंग व्रत हरि दमनोत्सव का पर्व मनाया जाता है। यानि हर तरह की व्‍याधि और विषाणुओं के नाश के लिए राष्ट्र के सभी लोग एक साथ आराधना करते हैं। उसे धर्म विज्ञान शोध के अनुसार दमन उत्सव कहां जाता है। शोध के अनुसार राष्ट्र की बल शक्ति, राजा और प्रजा को हानि का कारण मघा नक्षत्र भी है। ऐसे में देश और प्रजा की रक्षा के लिए नवा भाग दीप ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। चैत्र में रोहिणी शुक्र भेदन और अधिक मंगल होने से मंगल- गुरु- शनि योग से पृथ्वी के केश यानि वनस्पति और पृथ्वी की अस्थि यानि लोगों के जीवन पर कापालिक भाव (मृत्‍यु के समान पीड़ा) विषाणु चक्र के उत्पाद मैं तेजी आ सकती है इसलिए अनंग व्रत के साथ विषाणु के दमन उत्सव के रूप में भय और संशय से मुक्ति प्राप्त होती है।

क्‍या है अनंग उत्‍सव

डॉ जे जोशी के अनुसार 4 अप्रैल को कामदा एकादशी है। चैत्र माह की प्रतिपदा से शुरु हुई नव देवी आराधना इस दिन व्रत करने से पूर्ण होती है। इसके बाद पांच अप्रैल को त्रयोदशी के दिन अनंग उत्‍सव मनाया जाता है। अनंग उत्‍सव में एक साथ क्षेत्र या देश के सभी लोग एक जैसा कार्य करते हैं। जैसे कामाख्‍या मंदिर में हर उम्र वर्ग के लोग एक जैसे वस्‍त्र धारण करते हैं। उसी तरह आराधना भी यदि करते हैं तो देश और जनता के ऊपर आने वाली हर व्‍याधि का नाश होता है। इसे सेवा आसन भी कहते हैं।

हरिदमनोत्‍सव का महत्‍व

मथुरा में अनंग उत्‍सव को हरिदमनोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। हरि का अर्थ है विषाणु या विपदा। इनका दमन जब वहां के लोग अपनी संयुक्‍त रूप से की गई आराधना से करते हैं तो उसे हरिदमनोत्‍सव कहा जाता है।

मघा नक्षत्र में बनता है हानि का योग

पांच अप्रैल को उपरोक्‍त उत्‍सव के साथ मघा नक्षत्र भी है। त्रयोदशी पर ये युक्ति यदि बनती है तो कापालिक क्रिया यानि मृत्‍यु के समय होने वाली पीड़ा की तरह होती है। वर्तमान में पूरा विश्‍व कोरोना वायरस के कारण इसी युक्ति का प्रभाव झेल रहा है। ऐसे में यदि अनंग व्रत रख हरिदमनोत्‍सव मनाते हुए दीपदान करते हैं तो व्‍याधियों का नाश होता है।

अद्भुत तोड़ है व्‍याधियों का पांच अप्रैल

डॉ जे जोशी कहते हैं कि आठ अप्रैल को हनुमान जयंती से पूर्व पांच अप्रैल को प्रदोष व्रत भी है। इस दिन यदि कोई अपने घर के सामने या छत पर चौमुखी दीपक सरसों के तेल से लगाएतो उस घर के आसपास संक्रमण समाप्‍त हो जाता है। यदि चौमुखी दीपक न हो तो नौ दीपक जलाएं।

नवरात्र से शुरु होता है विशेष योग

डॉ जे जोशी बताते हैं कि ब्रह्मा सृष्टि के पुनः शक्ति उपार्जन के पूर्व की क्रिया सनातन विज्ञान में चित्रात्मक रुप से निहित है। यह विज्ञान गुड़ी पड़वा नव वर्ष से नीम की पत्ती के सेवन और घट में जल भरकर ऊर्जा परिवहन का संकेत देता है। इस चक्र का पूर्ण अध्ययन किया जाए तो आज का विज्ञान भी सकते में आ सकता है। नवरात्रि में शक्ति चक्र और रामनवमी पर राम अमृत उत्सव पूर्ण होने के बाद भौतिक विकृतियों के नाश के लिए रावण वध का विधान है। रामनवमी पर अर्चन पूर्ण होने पर जीवन में नवशक्ति की आराधना की क्षमता के लिए कामदा एकादशी व्रत किया जाता है।


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