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पितृ पक्ष 2019: श्राद्ध के अंतिम दिन भूले बिसरे पितरों को करें इस विधान से तर्पण Agra News

अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिये पर्याप्त है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 01:33 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 06:38 PM (IST)
पितृ पक्ष 2019: श्राद्ध के अंतिम दिन भूले बिसरे पितरों को करें इस विधान से तर्पण Agra News
पितृ पक्ष 2019: श्राद्ध के अंतिम दिन भूले बिसरे पितरों को करें इस विधान से तर्पण Agra News

आगरा, तनु गुप्‍ता। पितरों के प्रति श्रद्धा व्‍यक्‍त करने के दिन श्राद्धपक्ष अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है। 16 दिन के महालय के इन दिनों में लोगों ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया। पुण्‍यतिथि के अनुसार ब्राहमण भोजन कराया। शनिवार को पितृ अमावस्‍या के साथ श्राद्धपक्ष समाप्‍त हो जाएगा। यह दिन महज श्राद्धपक्ष पूर्ण होने का ही दिन नहीं अपितु जिन पितरों की तिथि की जानकारी नहीं है या जो पितर ज्ञात अज्ञात हों उनको तर्पण करने का भी दिन है। इस विशेष दिन के महत्‍व के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध, परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिये पर्याप्त है।

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28 सितंबर को पितृ मोक्ष अमावस्या है। इस दिन श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाता है। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इस दिन श्राद्ध करने से भूल से या किसी कारणवश छूटे हुए श्राद्धों का भी पुण्य प्राप्त हो जाता है। इसीलिये अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिये महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किये जाने का विधान है। यदि कोई सम्पूर्ण तिथियों पर श्राद्ध कर पाने में सक्षम न हो, तो वह भी इस तिथि पर श्राद्ध कर सकता हैं।

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्‍या को ऐसे करें तर्पण

- पितृ मोक्ष अमावस्या वाले दिन सुबह-सुबह पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित्त घर का बनाया हुआ भोजन व पीने योग्य शुद्ध पानी की मटकी रखकर धूप-दीप जलाएं।

- इस दिन ‘कुतप-काल’ (श्राद्ध करने के लिए शुभ मुहूर्त) बेला में अपने पितरों के निमित्त गाय को पालक खिलाएं।

- पितृ पक्ष अमावस्या वाले दिन प्रात:काल पितरों का तर्पण जरूर करें।

- इस दिन किसी मंदिर में ब्राह्माण को  दान जरूर करें।

- हो सके तो इस दिन पितरों के निमित्त चांदी का दान करें।

- पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद घर की छत पर दक्षिणाभिमुख (यानी दक्षिण की तरफ मुख करके) होकर अपने पितरों के निमित्त तेल का चौमुखा दीपक रखें।

- पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर अपने पितरों के निमित्त जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ दान जरूर करें।

पितृ मोक्ष अमावस्या श्राद्ध तिथि और मुहूर्त

अमावस्या श्राद्ध 28 सितम्बर 2019, दिन शनिवार को

कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:25 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक

अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स

रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:12 बजे से 01:00 बजे तक

अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स

अपराह्न काल – दोपहर 01:00 बजे से 03:22 बजे तक

अवधि – 02 घण्टे 23 मिनट्स

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 28 सितम्बर, 2019 को तड़के 03:46 बजे से

अमावस्या तिथि समाप्त – 28 सितम्बर को रात 11:56 बजे तक

पितृ पक्ष का महत्‍व

पंडित वैभव जोशी के अनुसार अश्विन मास के कृष्णपक्ष का संबंध पितरों से होता है। इस मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। इस दिन धरती पर आए हुए पितरों को याद करके उनकी विदाई की जाती है। अगर पूरे पितृ पक्ष में अपने पितरों को याद ना किया गया हो तो सिर्फ अमावस्या को ही उन्हें याद करके दान करने से और निर्धनों को भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।

दान का महत्‍व

ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या कि दिन यदि आप दान करें तो अमोघ फल होता है। साथ ही इस दिन राहु से संबंधित तमाम बाधाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है। कुंडली का राहु ही आपको पितरों के बारे में बताता है।

क्यों करते हैं श्राद्ध

पितृ-पक्ष में पूर्वजों का तर्पण या श्राद्ध नहीं करने वाले लोगों को पितृदोष का सामना करना पड़ता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म को महत्वपूर्ण माना गया है। अगर किसी के ऊपर पितृदोष है तो उसे दूर करने के उपाय भी इन्हीं 15 दिनों के दौरान होते हैं। दरअसल पितृपक्ष एक जरिया है अपने पूर्वजों के ऋण को उतारने का।

मंत्र और स्‍त्रोत

पंडित वैभव कहते हैं कि हमारे धार्मिक कार्यों की पूर्णता बगैर मंत्र तथा स्तोत्र के नहीं होती है। श्राद्ध में भी इनका विशेष महत्व है। स्तोत्र कई हैं। दो का उल्लेख पर्याप्त होगा। पहला है पुरुष सूक्त तथा दूसरा है पितृ सूक्त। इनके उपलब्ध न होने पर निम्न मंत्रों के प्रयोग से कार्य की पूर्णता हो सकती है।

 ॐ कुलदेवतायै नम: (21 बार) 

 ॐ कुलदैव्यै नम: (21 बार) 

 ॐ नागदेवतायै नम: (21 बार) 

 ॐ पितृ दैवतायै नम: (108 बार) 

ऐसे कराएं ब्राह्मण भोजन

पंडित वैभव जोशी के अनुसार ब्राह्मण को बैठाकर पैर धोएं तथा भोजन कराएं। संकल्प पहले लें तथा ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें, वस्त्रादि दें। यदि शक्ति सामर्थ्य हो तो गौ-भूमि दान दें। न हो तो भूमि गौ के लिए द्रव्य दें। इनका भी संकल्प होता है।


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