Move to Jagran APP

Deepawali 2020: लक्ष्मी जी के आगमन की इस तरह करें तैयारी, इस सरल विधि से करें पूजन

Deepawali 2020 कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दरअसल कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन हुआ था। साथ ही भगवान राम की अयोध्या वापसी हुई थी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 03:18 PM (IST)
Deepawali 2020: लक्ष्मी जी के आगमन की इस तरह करें तैयारी, इस सरल विधि से करें पूजन
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिपावली का त्योहार मनाया जाता है।

आगरा, जागरण संवाददाता। दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दरअसल कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन हुआ था। साथ ही भगवान राम की अयोध्या वापसी हुई थी। इसलिए राम दरबार की पूजा भी दिवाली पूजन के दौरान की जाती है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार  कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दरअसल कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन हुआ था। साथ ही भगवान राम की अयोध्या वापसी हुई थी। इसलिए राम दरबार की पूजा भी दिवाली पूजन के दौरान की जाती है। 

loksabha election banner

दीपावली पूजन विधि

– एक चौकी लें उस पर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा रखें। पूजा के दौरान हमारा मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए ।

– अब हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर उनकी प्रतिमा पर इस मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें।

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

जल अपने आसन और अपने आप पर भी छिड़कें।

– इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करें और आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें।

– इसके बाद एक जल से भरा कलश लें जिसे लक्ष्मी जी के पास चावलों के ऊपर रखें। कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। साथ ही उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।

– अब इस कलश पर एक नारियल रखें। नारियल लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि उसका अग्रभाग दिखाई देता रहे। यह कलश वरुण का प्रतीक है।

– अब नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी की अराधना करें। इसी के साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली , हनुमानजी की भी विधि विधान है ।

– पूजा करते समय 21 छोटे सरसों के तेल के दीपक और एक दीपक चौकी केज दाईं ओर एक बाईं ओर रखना चाहिए।

- लक्ष्मी जी के सम्मुख चमेली के तेल का और गणेश जी की तरफ तिली के तेल का दीपक जलाया जाता है ।

– भगवान के बाईं तरफ घी का दीपक जलाएं। और उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें।

– अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।

– जलाए गए 21 दीपकों को घर के सभी दरवाजों के कोनों में रख दें।

– इस दिन पूजा घर में पूरी रात एक घी का दीपक भी जलाया जाता है।

इस दिशा में बनाए पूजा स्थान

यदि आपके पास एक अलग पूजा कक्ष नहीं है, तो अपने घर की पूर्वोत्तर दिशा में एक जगह चुनें। यह ईशान कोने है जो बुरी तरह के लिए आदर्श है। पवित्र, माना जाता है अन्य क्षेत्रों उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशाएं हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.