अनूठी है ब्रज में वसंत की यात्रा, साहित्य, संगीत, परंपराओं में बसा है मधुमास Agra News
ब्रज में वसंत कहता है अलग कहानी खिलने के साथ यहां गुनगुनाता भी है।
आगरा, जेएनएन। ब्रज में वसंत अपनी कहानी कुछ अलग ढंग से कहता है। बसंत की विस्तार की यात्रा साहित्य, संगीत और परंपराओं में इसके युग-युगीन गौरव का साक्ष्य भी मौजूद हैं। तो वसंत की लिखित परंपरा की विषय वस्तु है। दुर्लभ पांडुलिपियों में लिखित वसंत परंपरा चार भागों में चरणबद्ध रूप से मौजूद है। इसमें पहला भोग, राग और श्रृंगार में बसंत, दूसरा बसंत के अप्रसारित संदर्भ, तीसरा वसंत की आंचलित विस्तार यात्रा और चौथा वसंत से साझा संस्कृति के अभिप्रेरित बसंत के संदर्भों का उल्लेख है। बसंत को उल्लास के नजरिए से देखने वालों के लिए ब्रज की ये वसंत की यात्रा बहुत ही रोचक है।
ब्रज और वसंत का नाता कोई नया नहींं है। वृंदावन शोध संस्थान के प्रकाशन अधिकारी डॉ. राजेश शर्मा बताते हैं संस्थान में संरक्षित पांडुलिपियों के रूप में वसंत से जुड़े दुर्लभ संदर्भ हैं जो पूरी तरह अप्रकाशित हैं। उन्होंने बताया कि वसंत पर केंद्रित सांस्कृतिक संदर्भों की विविधताओं को एक पटल पर साझा किया गया है। जिसमें भोग राग और शृंगार में वसंत, हरित्रयी सहित निम्बार्क, वल्लभ एवं गौड़ीय आदि वैष्णव संप्रदायों में वसंत के उल्लेख, वसंत विषयक साहित्य की आंचलिक विस्तार यात्रा, बसंत का अप्रसारित साहित्य तथा वसंत से अभिप्रेत साझा संस्कृति के संदर्भों को सचित्र रूप में संयोजित किया गया है।
वसंत में सभी उत्साह से भर उठते है। जब से धरती का प्रादुर्भाव हुआ तभी से वसंत मनाया जा रहा है। ब्रज के वाणी साहित्य में सभी ने मुक्त कंठ से वृंदावन में सदा ही वसंत के रहने की बात स्वीकारी है। ब्रज के साधकों ने अपनी वाणी में बसंत का गायन किया है। राधाकृष्ण का वसंत ब्रज की अमूल्य निधि है। ब्रज के विभिन्न संप्रदायों के धार्मिक ग्रंथों में ठाकुरजी की वसंत लीला का भरपूर गायन किया गया। स्वामी हरिदास ने केलिमाल में श्री स्यामा-स्याम के निकुंज वसंत का जो वर्णन किया, वह अद्भुत है।