Adulteration on Deepawali: त्योहर पर न बिगड़ जाए स्वाद संग सेहत, इन तरीकों से करें मिलावट की पहचान
Adulteration on Deepawali त्योहार पर बाजार में दुकानदारों से मिठाई खरीदने से पहले सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है नहीं तो ये मिठाई आपके त्योहार के रंग को फीका कर सकती हैं। मिठाई खाने से सेहत बिगड़ सकती है। इस लिए सेहत का ख्याल रखना जरूरी है।
आगरा, जागरण संवाददाता। दीपावली का त्योहार नजदीक है, बस कुछ दिन का ही समय शेष बचा है। हर घर में इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। घर व प्रतिष्ठानों में साफ- सफाई और सजावट के बाद बारी आती है मिठाइयों की खरीदारी की। त्योहार के अवसर पर भला कौन बिना मीठा के रह सकता है ऐसे में सेहत पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। फूड एक्सपर्ट मनोज वर्मा के अनुसार त्योहार पर बाजार में दुकानदारों से मिठाई खरीदने से पहले सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है, नहीं तो ये मिठाई आपके त्योहार के रंग को फीका कर सकती हैं। मिठाई खाने से सेहत बिगड़ सकती है। इस लिए सेहत का ख्याल रखना जरूरी है। दीपावली पर मिलावट खोरी पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ से छापेमारी कर सेंपल भरे की कार्य चल रहा है।
क्या खाएं और क्या न खाएं
दीपावली पर्व पर मिठाई से भले ही पूरी तरह से परहेज न करें, लेकिन अधिक मात्रा में चिकनाई वाली मिठाई का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके बदले छेने या दूध की बनी मिठाई का प्रयोग किया जा सकता है। त्योहार का मौसम आते ही खोवा के बजाए शहरों में सिंथेटिक के प्रयोग से कृत्रिम छेना, मावा और पनीर बनाया जाता है जो सेहत के लिए काफी खतरनाक होता है। लागत कम होने के कारण बिल्कुल असली जैसे लगने वाले इन दिनों सिंथेटिक मावा और अन्य उत्पाद की जमकर बिक्री हो रही है। दीपावली व छठ में बिक्री में वृद्धि होने की संभावना हैं। ऐसी स्थिति में सावधानी ही बचाव है।
दूध में मिलावट
दूध में मिलावट का खेल लगातार बढ़ता जा रहा है। मिलावटखोरी को पहचानने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं जो अलग-अलग तरह की मिलावट को पकड़ने के लिए होते हैं। दूध हर घर की जरूरत है, दूध हर कोई पीता है। दूध कब जहर बनकर आपके सामने आ रहा है। इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है। दूध में डिटरजेंट, पानी और सिंथेटिक, स्टार्च समेत कई ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक होती हैं।
सिंथेटिक दूध से तैयार हो रहीं मिठाईयां
दूध की कमी व अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावटी खोया बनाने के लिए दूध की बजाय दूध पाऊडर, रसायन, उबले आलू, शकरगंदी, रिफाइंड तेल का अधिक प्रयोग किया जाता है। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए पानी में डिटेर्जैंट पाऊडर, तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड, मोबिलॉयल व एसेंट पाऊडर डालकर दूध बनाया जाता है। यूरिया का घोल व उसमें पाऊडर ऑयल डालकर भी सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। इससे नकली खोया व पनीर तैयार किया जाता है जो कम कीमत पर तैयार हो जाता है। असली खोये के भाव में मिठाई बेच अच्छा मुनाफा कमाया जाता है।
घरों में बने पकवानों का ही करें सेवन
फिजिशियन डॉ अरविंद जैन का कहना है कि मिलावटी मिठाई के खाने से सबसे ज्यादा लीवर को नुकसान होता है। आंतों में संक्रमण होने से सूजन आ जाती है। उन्होंने बताया कि सिंथेटिक दूध के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, ज्यादा मिठाई खाने से खून में कमी हो सकती है। इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपने घरों में बने पकवानों का ही सेवन करें।
इस तरह पहचानें मावे की मिलावट
नकली दूध तैयार किए गए मावे की पहचान करना आसान है। मावे में मिलावट की पहचान के लिए टिंचर आयोडीन डालने से अगर नीला हो जाए तो वह मिलावटी है। आप लोग उसके स्वाद और रंग से उसकी पहचान कर सकते हैं। मिलावटी या नकली मावे का स्वाद व रंग असली मावे से भिन्न और कुछ खराब महसूस होगा। मिलावटी मावे को उंगलियों में लेकर रगड़ेंगे तो उसमें चिकनापन नहीं होगा तो समझों वह नकली है।