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Cyber Crime: 10 साल में 100 करोड़ की ठगी, शातिरों ने खोला मुंह तो उड़े पुलिस के भी होश

Cyber Crime in Lockdown आइजी रेंज की साइबर सेल के इनपुट पर झारखंड़ के देवघर में पकड़े गैंग के 18 सदस्य। अप्रैल में मथुरा के महंत के खाते से निकाले थे 24 लाख रुपये।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 06:35 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jun 2020 09:11 AM (IST)
Cyber Crime: 10 साल में 100 करोड़ की ठगी, शातिरों ने खोला मुंह तो उड़े पुलिस के भी होश
Cyber Crime: 10 साल में 100 करोड़ की ठगी, शातिरों ने खोला मुंह तो उड़े पुलिस के भी होश

आगरा, जागरण संवाददाता। Cyber Crime in agra आइजी आगरा रेंज की साइबर सेल के इनपुट पर झारखंड में गिरफ्तार साइबर शातिरों ने 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। देवघर जिले की साइबर सेल द्वारा शातिरों से बरामद हुई ढाई हजार से ज्यादा बैंक पासबुक और डेबिट कार्ड की सूची यहां भेजी गयी है। यह सभी एटीएम कार्ड हाई वैल्यू वाले हैं। इनसे एक दिन में एक लाख रुपये तक निकाले जा सकते हैं। साइबर शातिरों का गैंग दस साल से ज्यादा ठगी का काम कर रहा था। उससे वहां की पुलिस द्वारा की गयी पूछताछ के आधार पर यह रेंज साइबर सेल यह अनुमान लगा रही है।

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मथुरा के थाना वृंदावन निवासी महंत कमल गोस्वामी ने अप्रैल में अपने बैंक खाते से 24 लाख रुपये निकाले जाने की शिकायत की थी। यह रकम नेट बैंकिंग से निकाली गयी थी। जबकि कमल ने कभी नेट बैंकिंग नहीं की थी। मामले में आइजी ए.सतीश गणेश से शिकायत के बाद उन्होंने रेंज साइबर सेल के इंस्पेक्टर शैलेश कुमार सिंह और विशाल शर्मा को इसकी विवेचना सौंपी थी।

जांच में पता चला कि कमल गोस्वामी को सिम स्वैप सॉफ्टवेयर से मोबाइल पर एक मैसेज भेजा गया था। इसमें नंबर जारी रखने को सिम अपग्रेड करने की कहा गया। जाल में फंसे कमल गोस्वामी ने सिम के पीछे लिखे 21 डिजिट का नंबर मैसेज कर दिया। इसके बाद शातिरों ने फेसबुक से उनकी फोटो कापी करके फर्जी आईडी बना ली। उन्होंने मोबाइल कंपनी में प्रार्थना पत्र देकर उसी नंबर का दूसरा सिमकार्ड ले लिया।

जिससे बैंक को ऑन लाइन रिक्वेस्ट भेजकर कमल गोस्वामी के खाते में नेट बैंकिंग शुरू करा ली। जो नंबर एसएमएस अलर्ट से जुड़ा था उस पर ओटीपी आ गया। गैंग ने कमल गोस्वामी की फर्जी आईडी से एक और सिम ली। इसे बैंक की एसएमएस अलर्ट सेवा में जुड़वा दिया।इसके बाद उनके खाते से 24 लाख रुपये विभिन्न ई-वॉलेट में ट्रांसफर किए।इस रकम को वर्धमान और सिलीगुड़ी के फर्जी नाम-पते से खोले बैंक खातों में भेजा गया। वहां से यह रकम दोबारा देवघर के बैंक खातों में ट्रांसफर की थी। आइजी रेंज की साइबर सेल टीम ने साइबर गैंग को खातों से रकम ट्रांसफर करने के आधार पर ट्रेस किया।इस गैंग के बारे में पूरी जानकारी जुटाने के बाद झारखंड के जिले देवघर साइबर सेल को गिरोह का इनपुट दिया।

इसके आधार पर वहां की टीम ने साइबर गैंग के 18 लोगों को गिरफ्तार किया। रेंज साइबर सेल प्रभारी शैलेश कुमार सिंह ने बताया देवघर में गिरफ्तार आरोपियों में नैमुल हक, अनवर और निजामुद्दीन मुख्य आरोपित हैं। इन्होंने ही महंत कमल गोस्वामी के खाते से 24 लाख रुपये निकाले थे। यह सभी साइबर क्राइम के गढ़ जामताड़ा के हैं। देवघर साइबर सेल द्वारा की गई पूछताछ में शातिरों ने बताया कि वह यह काम दस साल से ज्यादा समय से कर रहे हैं। देवघर पुलिस द्वारा शातिरों से बरामद चीजो की सूची रेंज साइबर सेल को भेजी गयी है। इनमें ढाई हजार से ज्यादा बैंक पासबुक और एटीएम कार्ड, करीब आठ सौ फर्जी सिम, 300 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। रेंज साइबर सेल प्रभारी शैलेश कुमार सिंह के अनुसार बरामद पासबुक और एटीएम के आधार पर साइबर शातिरों द्वारा 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी का अनुमान है। देवघर पुलिस आरोपितों से विस्तृत पूछताछ कर रही है।

ऐसे काम करता है साइबर गैंग का नेटवर्क

-गिरोह से जुड़ा एक व्यक्ति का काम फर्जी दस्तावेज तैयार करना होता है। इसके बदले उसे 50 से 100 रुपये तक मिलते हैं।

-गिरोह से जुड़ा दूसरे व्यक्ति के जिम्मे इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक में खाता खुलवाना होता है।

-इन खातों को साइबर गैंग के सदस्य पांच से सात हजार रुपये में खरीद लेते हैं। इसके बाद जाल में फंसे शातिरों की रकम इन खातों में ट्रांसफर कर दी जाती है।

-इन खातों से रकम निकालने वाले गिरोह में प्रीपेड कहलाते हैं। वह गिरोह द्वारा उपलब्ध कराए गए एटीएम लेकर अपने शहर से 500 से 700 किलोमीटर दूर जाकर दूसरे शहरों और राज्याें से रकम निकालते हैं।इससे उनकी तस्वीरें सीसीटीवी फुटेज में आने के बाद भी पुलिस उन्हें नहीं तलाश पाती है।

-ये रकम साइबर गैंग को दे दी जाती है। प्रीपेड को इस काम के लिए दस हजार रुपये तक मिलते हैं। अधिकांश प्रीपेड सदस्य पश्चिम बंगाल के बताए गए हैं। 


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