कोरोना ने तोड़ी कमर, 26 हजार ग्राहकों ने FD, जानिए कैसे बचत फिसल रही हाथ से
परिवार की जान बचाने को बैंकों से निकाले गए 620 करोड़ डिपोजिट भी खूूब हुआ। अस्पताल व दवा विक्रेताओ के खातों मे सर्वाधिक लेनदेन किराना कारोबारियों की भी लगी लाटरी। 8 हजार कार्डधारकों ने भी संक्रमण के दौरान पूरी लिमिट खर्च कर डाली है।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए जहां जेवर-बर्तन बिक रहे हैं। असर लोगों की जमा पूंजी पर भी पड़ा है। काम धंधे बंद होने, परिवार का इलाज और घर का खर्च चलाने के लिए करीब 26 हजार ग्राहको को बैंकों की एफडी (जमा पूंजी) समय से पहले तोडकर 620 करोड लेने पड़ेे। एफडी कराने वालों की संख्या में भी गिरावट दर्ज हुई है।बैंकों ने भी लोगों की जरूरत को देखते हुए उन्हें समय से रकम मुहैया कराई। इतना ही नहीं, विभिन्न बैंकों का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले 18 हजार कार्डधारकों ने भी संक्रमण के दौरान पूरी लिमिट खर्च कर डाली है। बैंको के लिए सुखद यह रहा है कि उनके यहां डिपोजिट भी खूब हुआ। अस्पताल व दवा विक्रेताओ के खातों मे सर्वाधिक लेनदेन हुआ। किराना कारोबारियों की भी लाटरी लगी। उन्होेने भी माल मंगवाने के लिए अपने खातो मे पैसा जमा कराया।
भारतीय स्टेट बैेक, पंजाब नेशनल बैंक, सेण्ट्रल बैंक के वरिष्ठ प्रबंधको की माने तो कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों की जेब पर सीधा असर डाला है। आंशिक लाकडाउन में भोजन-पानी और घरेलू खर्चों को तो लोगों ने किसी तरह मैनेज कर भी कर लिया लेकिन परिवार में संक्रमित के इलाज के लिए लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हुई। इसके लिए ग्राहकों ने अपनी एफडी (फिक्स डिपाजिट) तोड़ी तो किसी ने क्रेडिट कार्ड के जरिए अस्पतालों का बिल भुगतान किया। कर रहा। अप्रैल माह मे जरूर कोरोना संक्रमण दौर में डिपाजिट कम हुआ है। ग्राहकों ने अपनी जरूरत के मुताबिक सेविंग व एफडी से पैसे निकाले हैं लेकिन मई माह शुरू होते ही डिपोजिट बढा है। बैंक आफ बडौदा के एक वरिष्ठ प्रबंधक का कहना है कि ऐसा भी नहीं है कि सभी ने इलाज के लिए ही एफडी तोड़ी है। इनमें से 40 फीसद ने शादी समारोह के लिए अपनी एफडी तोड़कर पैसे निकाले है। निजी बैंकों के मुताबिक करीब दो हजार ग्राहकों ने अपने डिपाजिट को तोड़कर करीब 50 करोड़ रुपये निकाले है। फिक्स डिपाजिट करने वालों की संख्या घटी है। लोग अपने पैसे को सेविंंग मे रख रहे हैं, ताकि जरूरत पडऩे पर निकासी कर सकें।
ये है बैंकनामा
आगरा में 42 विभिन्न बैंक की 511 शाखाएं है। 633 एटीएम भी है। साढे दस लाख खातेधारक है। इन बैंकों में अग्रणी बैंक प्रबंधक कार्यालय के अनुसार सामान्यता प्रति माह दो हजार करोड का लेनदेन होता है पर अप्रैल माह मे यह लेनदेन घटकर डेढ हजार करोड और मई माह में 1600 करोड रहा। 26 हजार ग्राहकों ने अपनी एफडी तोडकर 620 करोड़ की निकासी की। जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक सूरेश राम की माने तो कोविड के हालात ने लोगों की जमा पूंजी पर असर डाला है। बैंकों के लिए ऋण जमा अनुपात भी प्रभावित हुआ है। पहले जिले का ऋण जमा अनुपात 68 फीसद तक था, जो अब तक 52 फीसद रह गया है। जिले में एमएसएमई क्षेत्र से सबसे अधिक लोन की मांग हुई। इसके बाद कृषि और हाउसिंंग क्षेत्र में लोन दिए गए। जून में बैंकों की बैठक होगी, जिसमें लोन चुकाने की स्थिति का पता चलेगा।
एटीएम से हो रही कम निकासी
अग्रणी बैंक प्रबंधक कार्यालय के अनुसार जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लगे करीब 633 एटीएम में सामान्य दिनों में करीब 25 करोड़ रुपये कैश लोड किए जाते थे। मई में वेण्डर 4 से 5 करोड़ रुपये ही उठा रहे है। उनका कहना है कि एटीएम से निकासी नहीं हो रही है। ऐसे में इतने ही कैश से काम चल जा रहा है।
सुकन्या खातों पर भी असर
बैंकों की मानें तो सुकन्या सम़द्धि योजना में हर महीने 60 फीसद लोग पैसा जमा कराते थे। अप्रैल और मई में यह घटकर 22 फीसद रह गया है।
दो हजार क्रेडिट कार्डधारक डिफाल्टर श्रेणी में
अप्रैल-मई महीने में बहुत से ग्राहक अपनी क्रेडिट कार्ड की पूरी लिमिट खर्च कर चुके हैं। निजी बैंक के क्रेडिट मैनेजर के मुताबिक जिले में विभिन्न बैंकों के करीब 20 हजार क्रेडिट कार्ड धारक है। इनमें से करीब दो हजार कार्डधारकों ने तय समय पर अपने बिल का कोरोना संक्रमण काल में अप्रैल व मई में भुगातन नहीं किया। ऐसे में उन्हें डिफाल्टर श्रेणी में डाल दिया गया है। शत-प्रतिशत कार्ड धारक अपने कार्ड के लिमिट खर्च कर दिए हैं। अब वे किस्तों में भुगतान करने के लिए परेशान हैं। इसके लिए उन्हें कस्टमर केयर पर बात करने का सुझाव दिया जा रहा है।