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हैरान कर देंगे पानी की बर्बादी के ये आंकड़े, आज न चेते तो कल पछताना होगा Agra News

शहर के धुलाई सेंटरों खुली टोटियों और पाइप लाइनों के लीकेज के चलते लगभग 80 लाख लीटर पानी व्यर्थ में बहा दिया जाता है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 05:14 PM (IST)
हैरान कर देंगे पानी की बर्बादी के ये आंकड़े, आज न चेते तो कल पछताना होगा Agra News
हैरान कर देंगे पानी की बर्बादी के ये आंकड़े, आज न चेते तो कल पछताना होगा Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। जल ही जीवन है। यह सभी जानते हैं, लेकिन पानी की बर्बादी से परहेज नहीं करते। नतीजा, जलसंकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। ताजनगरी क्षेत्र में भूजल स्तर पिछले 10 सालों में 8 से 9 मीटर तक गिर गया है। इसके बाद भी पानी का अंधाधुंध दोहन जारी है। शहर में वॉटर वक्र्स के माध्यम से पानी की आपूर्ति होती है। जलकल विभाग स्काडा लगाकर पानी की बर्बादी रोकने के इंतजाम का भी दावा कर रहा है, लेकिन शहर के धुलाई सेंटरों, खुली टोटियों और पाइप लाइनों के लीकेज के चलते लगभग 80 लाख लीटर पानी व्यर्थ में बहा दिया जाता है।

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37 फीसद जल की बर्बादी 

भूगर्भ जल विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार पानी आपूर्ति के सापेक्ष करीब 37 फीसद जल की बर्बादी होती है। अगर यह पानी की बर्बादी रुक जाए तो प्रत्येक व्यक्ति को जरूरत के मुताबिक पानी मिल सकता है।

डिमांड के हिसाब से पर्याप्त है सप्लाई

जलकल विभाग के इंजीनियरों की मानें तो शहर की जितनी डिमांड है उतना ही उनके पास पानी है। हैंडपंप, नलकूप, सबमर्सिबल से पानी के दोहन और पानी की बर्बादी का हिसाब किसी के पास नहीं है। बात एक गिलास पानी की करें तो घर हो या फिर होटल, ढाबे हों या फिर रेस्टोरेंट। हर जगह पानी पूरा गिलास दिया जाता है। भले ही पूरे पानी का उपयोग न हो। यह बर्बादी हम आधा गिलास पानी लेकर भी रोक सकते हैं।

किचन का बूंद-बूंद बचाते हैं पानी

जल को सुरक्षित रखकर ही जीवन की परिकल्पना की जा सकती है। यह कहना है देहली गेट पर नर्सिंग होम संचालित कर रहे डॉ नरेश शर्मा का। जो पिछले 10 साल से अपनी पत्नी के साथ घर के किचन का बूंद-बूंद पानी बचाने का कार्य कर रहे हैं। उन्हीं के साथ सुनील भार्गव कहते है कि पानी बचाने की अब तो आदत सी पड़ गई है। एक बूंद पानी भी सहेज लेना दिल को बड़ा सुकून देता है। वह बताते हैं कि दो अप्रैल 2009 से किचन के पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए कार्य शुरू किया था। वह किचन में तीन बाल्टियां रखते हैं।

पौधों के काम आ रहा जल

सब्जी धोने, दाल, चावल धोने से लेकर अन्य तरह से उपयोग किया जाने वाला पानी इन्हीं बाल्टियों में एकत्र करते हैं। जब बाल्टियां भर जाती हैं तो बचाया हुआ पानी घर के गमलों में डाल दिया जाता है। इससे पौधों को कई प्रकार के न्यूट्रीशन भी मिल जाते हैं। किचन में उपयोग हुए पानी का उपयोग करने से पीने का शुद्ध पानी बर्बाद नहीं होता है। इसी तरह कपड़े धोते समय उपयोग किया गया पानी गाड़ी धोने, फर्श धोने और पशुओं के रहने के स्थान की धुलाई में कर लेते हैं। वह कहते हैं कि उनके इस कार्य में पत्नी की अहम भूमिका है। वह रोजाना 40 लीटर पानी बचाने का दावा करते हैं। उनका कहना है कि आज पानी की बर्बादी रोकना बहुत जरूरी है।

तीन से पांच हार्स पावर तक के सबमर्सिबल पंप लगे हैं गेस्ट हाउस आदि में

शहर में होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, सर्विस धुलाई सेंटर, आरओ प्लांट में तीन से पांच हार्स पावर क्षमता के सबमर्सिबल पंप लगे हैं। इनसे अंधाधुंध जलदोहन किया जा रहा है, जिससे पानी की बर्बादी अधिक होती है। इसके अलावा वाटर पाइप में जगह-जगह लीकेज हैं। सार्वजनिक स्थानों पर नलों की टोटिंया या तो टूटी हैं या फिर खुली रहती हैं। इससे पानी की बर्बादी हो रही है। शहर में सैकडों डेयरियां है। जहां पर सबमर्सिबल पंप के जरिए पानी बहाया जा रहा है।

अवैध धुलाई सेंटरों पर बर्बाद होता पानी

पानी की बर्बादी सबसे अधिक शहर में सर्विस (धुलाई) सेंटर कर रहे हैं। शहर में इनकी संख्या 650 से अधिक हैं। नगर निगम प्रशासन या जलकल विभाग इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे पानी की बर्बादी नहीं रुक पा रही है। लगभग चार हजार से अधिक वाहनों की धुलाई प्रतिदिन होती है।

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