अक्षय तृतीया पर करने जा रहे हैं कान्हा के दर्शन तो पहले ही जान लें व्यवस्थाएं
मंदिर में होगी वन-वे एंट्री योजना। शहर के बाहर खड़े होंगे वाहन।
आगरा, जेएनएन। अक्षय तृतीया पर्व पर ठा. बांकेबिहारी मंदिर में व्यवस्थाओं को लेकर एसपी सिटी ने शनिवार को मंदिर प्रबंधकों व सेवायतों संग बैठक कर योजना तैयार की। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ की सुरक्षा और सुविधा के लिए बैठक में अधिकारियों ने सेवायतों से प्लान तैयार किया। ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के मोहन बाग में शनिवार को एसपी सिटी राजेश कुमार सिंह ने अधिनस्थों के साथ मंदिर सेवायतों से वार्ता की। सेवायतों से अक्षयतृतीया पर्व पर होने वाले आयोजन के बारे में जानकारी लेते हुए श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास की सुविधा के साथ गर्मी से राहत देने के प्रबंध करने पर भी जोर दिया। एसपी सिटी ने कहा कि मंदिर में भीड़ अधिक देर न ठहरे इसके लिए निजी सुरक्षागार्डों को निर्देशित किया जाए। ताकि पीछे से आने वाले श्रद्धालुओं को सहूलियत मिल सके। मंदिर एंट्री के लिए वन-वे व्यवस्था प्लान तैयार करने के साथ मंदिर आने वाले मार्गों पर जूताघर बनाए जाने की भी सलाह दी। सेवायतों से व्यवस्था में सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि वे अपने यजमानों को भी तय रास्ते से मंदिर में प्रवेश दिलाएं ताकि भीड़ में व्यवस्थाएं न बिगड़ सकें।
सुरक्षा के लिए तैनात होगी फोर्स
अक्षयतृतीया पर मंदिर के अंदर और बाहर श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात की जाएगी। इसके अलावा शहर के मुख्य पाइंटों और एंट्री पाइंटों पर भी पुलिस तैनात कर वाहनों की एंट्री बंद रखी जाएगी। ताकि शहर के अंदर वाहनों से जाम के हालात न बन सकें।
वर्ष में एक बार ही होते हैं ठाकुर जी के चरणों के दर्शन
अक्षय तृतीया पर सात मई को ठा. बांकेबिहारी के दर्शन भक्तों को आल्हादित करते हैं तो उनके चरणों का दर्शन भी है। आराध्य के चरणों में खजाना है इसका प्रमाण खुद बांकेबिहारी ने प्राकट्य के समय दिया जबकि प्रतिदिन उनके चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी। यही कारण है कि ठाकुरजी के चरणों के दर्शन कभी नहीं करवाये जाते। भक्तिकाल में स्वामी हरिदास ने प्रभु की साधना में लीन संतों का अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ दर्शन का पुण्य प्रदान करवाने के लिए ठाकुरजी के चरणों के दर्शन करवाए और उनका ऐसा श्रृंगार किया कि संतों को बद्रीनाथ के दर्शनों का पुण्य ठाकुरजी के चरण दर्शन में मिला। इससे संतों का ब्रज, वृंदावन छोड़कर न जाने के प्रण भी कायम रहा। तभी से मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर बद्रीनाथ के दर्शनों का पुण्य भी मिलता है।
मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया जब स्वामी हरिदास ठा. बांकेबिहारी से लाढ़ लड़ाते, तो सुध-बुध खो बैठते। भक्तिकाल में स्वामीजी खुद भी अपना गुजारा जैसे तैसे करते ऐसे में ठाकुरजी की सेवा की जिम्मेदारी भी आ गई। ठा. बांकेबिहारीजी अंतरयामी हैं, भाव समझे और हर दिन सुबह ठाकुरजी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा मिलना शुरू हुई। स्वामीजी भी समझ गये और स्वर्ण मुद्रा से लाढ़ले ठाकुर की सेवा करते इसीलिए ठा. बांकेबिहारजी के चरणों के दिव्य दर्शन किसी को नहीं करवाए जाते हैं। भक्तिकाल में जीवन के अंतिम पड़ाव में पहुंचे लोग बद्रीनाथ समेत चार धाम की यात्रा करने जाते थे। जो लौटकर न आने का भाव भी रखते। अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ के पट खुलते हैं। वृंदावन में तपस्यारत संतों की इच्छा बद्रीनाथ दर्शन की हुई। स्वामी जी ने सोचा अगर अधिक संत वृंदावन से चले गये और न लौटे तो यह भूमि वीरान नजर आयेगी। उन्होंने संतों से प्रस्ताव रखा और ठाकुरजी के दिव्य चरणों और आकर्षक श्रृंगार कर बद्रीनाथ के दर्शन का पुण्य वृंदावन में ही दिलाने का भरोसा दिया। संतों ने स्वामीजी का प्रस्ताव मान अक्षयतृतीया पर दिव्य दर्शन किए। संतों को ऐसे विलक्षण दर्शन में बद्रीनाथ के दर्शन भी सुलभ हुए। तभी से परंपरा पड़ी कि अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी के चरण दर्शन से बद्रीनाथ दर्शनों मिलने लगा।
ये होता है ठा. बांकेबिहारी का श्रृंगार
अक्षय तृतीया पर ठाकुरजी के दिव्य चरण व सर्वांग चंदन लेपन दर्शन होते हैं। जो कि श्रद्धालुओं के लिए दुर्लभ दर्शन है। ठाकुरजी के पूरे शरीर पर चंदन लेपन, लांघ बंधी धोती, सिर से पैर तक स्वर्ण श्रृंगार, सोने, हीरे और जवाहरात से जड़े कटारे, टिपारे, चरणों में चंदन का लड्डू ठाकुरजी के दर्शन को दिव्य बनाते हैं।
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