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अक्षय तृतीया: दशकभर बाद बन रहा है चार ग्रहों का मंगल योग, जानिए पर्व का महत्‍व

सूर्य शुक्र चंद्र और राहु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मानव जीवन पर इनका प्रभाव बेहतर होगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 04:25 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 04:25 PM (IST)
अक्षय तृतीया: दशकभर बाद बन रहा है चार ग्रहों का मंगल योग, जानिए पर्व का महत्‍व
अक्षय तृतीया: दशकभर बाद बन रहा है चार ग्रहों का मंगल योग, जानिए पर्व का महत्‍व

अागरा, तनु गुप्‍ता। सात मई को अक्षय तृतीया है। यूं तो अक्षय फलदायी अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में विशेष फलदायी होता है लेकिन इस वर्ष एक दशक बाद ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है, जोकि हर राशि के लिए शुभ रहेगा। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार इस साल यानी 2019 में अक्षय तृतीया का अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा पूरे एक दशक बाद हो रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2003 में पांच ग्रहों का ऐसा योग बना था और अब वर्ष 2019 में एक बार फिर ऐसा संयोग बनेगा, जब चार ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहु अपनी उच्च राशि में गोचर करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो मानव जीवन पर इनका प्रभाव बेहतर होगा। हालांकि अापकी कुंडली के हिसाब से ग्रहों के प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं।

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अबूझ साहलग 

डॉ शोनू कहती हैं कि अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ दिन है। अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त देखे शादी हो सकती है। जिन लोगों को शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहे हैं, वे इस तिथि पर शादी करते हैं। अगर सालभर दान नहीं किया है तो इस दिन दान जरूर करना चाहिए, इस दान का अक्षय फल मिलता है। इस दिन तीन प्रमुख ग्रहों का गोचर उच्च राशि में रहेगा। सूर्य मेष, चंद्रमा वृषभ, शुक्र मीन राशि में रहेंगे। ये तीनों ग्रह अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे। सूर्य के साथ बुध की युति होने से बुधादित्य योग बनेगा। देव, ऋषि, पितरों के लिए ब्रह्म यज्ञ, पिंड दान, अन्नदान करना चाहिए। इस दिन पानी का दान या मटके का दान जरूर करें। अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र और रवियोग का संयोग बन रहा है। अक्षय तृतीया के दिन सोना अथवा चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है। कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए किसी ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करने चाहिए।

ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा

करें लक्ष्मी जी की पूजा

अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा करते समय उनके माथे पर केसर और हल्दी का तिलक लगाएं। लक्ष्मीजी के लिए सोने की चरण पादुका खरीदकर घर लाएं। रोज इसकी पूजा करें। इस दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है।

अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताएं

अक्षय तृतीया से कई मान्यताएं, और कहानियां भी जुड़ी हैं। डॉ शोनू बताती हैं कि इसे भगवान परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के अलावा विष्णु के नर और नारायण अवतार के भी इसी दिन होने की मान्यता है। यही नहीं, त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि से होने की मान्यता जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस तिथि को उपवास और स्नान दान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत का फल न कभी कम होता है और न नष्ट होता है, इसलिए इसे अक्षय (कभी न नष्ट होने वाला) तृतीया कहा जाता है। इस दिन किए गए कर्म अक्षय हो जाते हैं। इस दिन शुभ कर्म ही करने चाहिए।

अक्षय तृतीया के उपाय

– अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी की चीजें खरीदने का विधान है। आप भी बरकत चाहते हैं इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें और इसकी नियमित पूजा करें।

– अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखने से देवी लक्ष्मी आकर्षित होती हैं। देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां भी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं।

– अक्षय तृतीया के दिन केसर और हल्दी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।

– अक्षय तृतीया के दिन घर के पूजा स्थल पर एकाक्षी नारियल स्थापित करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

– इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए।

– इस दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या यह बारह दानों का महत्व है।

– सेवक को दिया गया दान एक चौथाई फल देता है।

– कन्या दान इन सभी दानों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इसीलिए इस दिन लोग शादी विवाह का विशेष आयोजन करते हैं।

अक्षय तृतीया पर राशि अनुरूप पूजा एवं लाभ

मेष- इस राशि का स्वामीग्रह मंगल है। सुंदरकांड का पाठ करें। स्वर्ण खरीदें। गेहूं का दान करने से मंगल संबंधित दोष दूर होंगे।

वृष- इस राशि का स्वामीग्रह शुक्र है। श्री सूक्त का पाठ करें। सोने चांदी के सामान खरीदें। चावल का दान करें। संपन्नता आएगी।

मिथुन- इस राशि का स्वामीग्रह बुध है। श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। गो माता की पालक खिलाएं। धन में वृद्धि होगी।

कर्क- इस राशि का स्वामीग्रह चंद्रमा है। शिव उपासना करें। रुद्राभिषेक कराएं। सुख तथा संपन्नता में वृद्धि होगी।

सिंह- इस राशि का स्वामीग्रह सूर्य है। स्वर्ण खरीदें। श्री आदित्यहृदयसोत्र का पाठ करें। यश तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

कन्या- इस राशि का स्वामीग्रह बुध है। श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। यश तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

तुला- इस राशि का स्वामीग्रह शुक्र है। श्री सूक्त का पाठ करें। चांदी खरीदें।सुख तथा समृद्धि बढ़ेगी।

वृश्चिक- इस राशि का स्वामीग्रह मंगल है। बजरंगबाण का पाठ करें । कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

धनु- इस राशि का स्वामीग्रह गुरु है। श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें। स्वर्ण खरीदें। मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

मकर- इस राशि का स्वामीग्रह शनि है। हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ कीजिये। शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

कुंभ- इस राशि का स्वामीग्रह शनि है। शनि के बीज मंत्र का जप करें। हनुमान बाहुक का पाठ करें। आरोग्यता प्राप्‍त होगी।

मीन - इस राशि का स्वामीग्रह गुरु है। श्री रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड का पाठ करें। यश तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। 

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