World Family Day: एक चूल्हे पर पकी रोटी घोल रही परिवार में मिठास, जानिए संयुक्त परिवार क्यों खास
एकल परिवार के दौर में नजीर बने हैं संयुक्त परिवार। परिवार के सभी सदस्यों को बांट रखी गई है अलग-अलग जिम्मेदारी।
आगरा, अभय गुप्ता। आजकल टू-बीएचके के फ्लैट में रह रहे एकल परिवारों में यदि कोई रिश्तेदार भी पहुंच जाए तो दिक्कत सी महसूस होने लगती है। वहीं पुरानी परंपरा को निभाते हुए वर्तमान में भी कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी सदस्य संख्या ही 20 से 25 है और एक ही छत को साझा कर रहे हैं। एक ही चूल्हे पर पकी रोटी इन परिवारों में मिठास घोल रही है। दर्द एक को हो तो दवा देने को दस तैयार हैं। एकल परिवार के दौर में ये संयुक्त परिवार क्यों खास हैं? आइए बताते हैं।
मथुरा के सुरीर निवासी मुरारीलाल वाष्र्णेय के 20 सदस्यीय परिवार में एक-दूसरे के प्रति प्यार और समर्पण सभी की जुबां पर है। घर के मुखिया ने बच्चों को संयुक्त रूप से रहने की शिक्षा दे रखी है। उनके बेटे विष्णु, महेश, ब्रह्मा एवं गोङ्क्षवद इस परिपाटी को सामाजिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। इनके यहां आज भी एक ही चूल्हे पर पूरे परिवार को भोजन तैयार होता है।
भाइयों में आपसी प्रेम देख पत्नियां दुर्गेश, निर्मल, कल्पना एवं किरन आपस में मिलजुल कर रहती हैं। हर काम में एक-दूसरे का हाथ बंटाती हैं। दुर्गेश एवं निर्मल का कहना है कि वह देवरानी-जेठानीनहीं, बल्कि बहनों की तरह आपस में प्यार से रहती हैं। कल्पना एवं किरन देवी का कहना है कि शादी के बाद ससुराल में संयुक्त परिवार के बीच सुखद अनुभव के साथ उन्हें गर्व महसूस होता है।
परिवार दो
गांव नयावांस में हरीशंकर शर्मा के परिवार में 25 सदस्य हैं। हरीशंकर शर्मा और पत्नी शकुंतला ने अपने परिवार को प्यार की डोरी से बांध रखा है। बेटे तरुण, लाल बहादुर, विजय शर्मा एवं राजेंद्र शर्मा इस एकता के मंत्र को आगे बढ़ा रहे हैं। परिवार का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी है। मुखिया के कई पौत्र दिल्ली और नोएडा में नौकरी कर रहे हैं। कई पौत्र एवं पौत्रियों की शादी हो चुकी है। घर की जरूरतों का सामान लाने का मुख्य कार्य मुखिया के सबसे छोटे बेटे राजेंद्र शर्मा करते हैं। घर में बच्चों को पढ़ाने-लिखाने एवं शादी-विवाह समेत हर काम में परिवार के लोग आपस में सलाह मशविरा कर निर्णय लेते हैं। मुखिया का निर्णय परिवार के लिए अंतिम होता है। मुखिया के बेटों की पत्नियां गायत्री, बीना, निर्मल एवं विमलेश आपस में मिलजुल कर रहती हैं। इनका कहना है कि शादी के बाद ससुराल में संयुक्त परिवार के बीच सुखद अनुभव के साथ उन्हें गर्व महसूस होता है।
परिवार तीन
गांव नयावांस में ही दिनेश गुप्ता के परिवार में 16 सदस्य हैं। घर के मुखिया दिनेश गुप्ता के चार बेटे कुलदीप, संदीप, प्रदीप एवं आर्यन हैं। जिनमें से तीन बेटों की शादी हो चुकी है, जो काम धंधा तो अलग-अलग करते हैं लेकिन घर में संयुक्त रूप से रहते हैं। इनके परिवार में एक ही चूल्हे पर रोटियां बनती है। घर के मुखिया एवं पत्नी मधुबाला अपने परिवार को एक धागे में पिरोए हुए हैं। घर में जरूरतों का सामान खुद मुखिया लेकर आते हैं। शादी-विवाह एवं कोई काम होने पर आपस में सलाह मशविरा कर निर्णय लेते हैं। मुखिया दिनेश गुप्ता का कहना है कि उनके बहू-बेटों को संयुक्त देख सुखद अनुभव होता है।
कई और भी हैं संयुक्त परिवार
संयुक्त रूप से रहने वाले कई और परिवार भी हैं। जिनमें राजेंद्र प्रसाद शर्मा, पन्नालाल गुप्ता, कृष्ण कुमार वाष्र्णेय, जय बहादुर गुप्ता, बृजकिशोर वाष्र्णेय, किशन सक्सेना, बच्चू ङ्क्षसह समेत करीब दो दर्जन ऐसे परिवार हैं, जो आज भी संयुक्त परिवार की परिपाटी निभाते हुए लोगों के लिए नजीर बने हैं।
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