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Janmashtami 2022: तिथि अष्टमी भाद्रपद, बज रहे घंटे और घड़ियाल, मथुरा में आधी रात जन्मे कृष्ण मुरारी

Janmashtami 2022 मथुरा में कान्हा के जन्म का साक्षी बनने पहुंचे हैं लाखों श्रद्धालु। जन्मस्थान पर रात 12 बजे शंख व घंटे की ध्वनि के बीच वैदिक मंत्रों के साथ सौ गायों के दूध से कान्हा का महाभिषेक हुआ ऐसा लगा मानो पूरा बैकुंठ ही धरा पर उतर आया है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 20 Aug 2022 12:04 AM (IST)Updated: Sat, 20 Aug 2022 12:14 AM (IST)
Janmashtami 2022: तिथि अष्टमी भाद्रपद, बज रहे घंटे और घड़ियाल, मथुरा में आधी रात जन्मे कृष्ण मुरारी
Janmashtami Mathura 2022: जन्मभूमि पर श्रीकृष्ण का अवतरण कराते महंत नृत्य गोपाल दास।

आगरा/मथुरा, विनीत मिश्र। अगाध आस्था, अलौकिक नजारा और अवर्णनीय पल। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कान्हा की धरा पर हाल कुछ ऐसा ही था। घड़ी की सुई रात 12 बजे की ओर बढ़ रही थी और इधर श्रद्धालुओं में व्याकुलता। अपने आराध्य के जन्मोत्सव के पलों का साक्षी बनने के लिए हर तरफ उत्साह और उमंग का माहौल था। रात गहराती गई और श्रद्धा की हिलोरें उठती रहीं। ये लाला के जन्मोत्सव की खुशियां थीं, जो रात होने का अहसास ही नहीं हो दे रही थीं। शुक्रवार रात 12 बजे शंख व घंटे की ध्वनि के बीच वैदिक मंत्रों के साथ सौ गायों के दूध से कान्हा का अभिषेक हुआ, तो ऐसा लगा मानो पूरा बैकुंठ ही ब्रज धरा पर उतर आया। जमीं से आसमान तक जय कन्हैया लाल की गूंज उठा।

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर रात 12 बजे जमा श्रद्धालु। 

5249वें वर्ष में प्रवेश

लाला का जन्म के 5249वें वर्ष में प्रवेश हुआ तो मानों कण-कण धन्य हो गया। लीलाधर के आगमन को लेकर सुबह से पूरे देश में घर-घर खुशियां पसरी थीं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर सुबह छह बजे मंगला आरती के बाद पुष्पांजलि अर्पित की गई। भागवत भवन में युगल सरकार ने सारंग शोभा पुष्प बंगले में विराजमान होकर सिल्क, रेशम और जरी से तैयार श्रीहरिकांता पोशाक धारण कर दर्शन दिए, तो श्रद्धालु छवि निहारते रह गए। रात गहराती गई और उल्लास चरम की ओर बढ़ता रहा। श्रीकष्ण जन्मस्थान के पूरे परिसर में सुगंधित दृव्य का छिड़काव किया गया।

जन्मभूमि परिसर में प्रवेश करते श्रद्धालु। 

श्रीगणेश से जन्मोत्सव का शुभारंभ

रात 11 बजे श्री गणेश, नवगृह स्थापना और पूजन शुरू हुआ। 11.55 बजे तक कमल पुष्प एवं तुलसीदल से सहस्त्रार्चन हुआ। घड़ी की सुई 12 बजे की ओर बढ़ रही थी और लाला के आगमन को लेकर व्याकुलता। ठीक 11.59 बजे प्राकट्य दर्शन के लिए पट बंद हो गए। ये एक मिनट का पल श्रद्धालुओं के लिए मानों एक घंटे की तरह कटा। 12 बजते ही कन्हाई के चलित श्रीविग्रह को मोरछल आसन पर विराजमान करा भागवत भवन लाया गया। रजत कमल पुष्प पर विराजे आराध्य का कामधेनु गाय के प्रतीक ने दुग्धाभिषेक किया।

कहीं जगह नहीं मिली तो जन्मभूमि के बाहर रात को सड़क पर सोते श्रद्धालु। 

महंत नृत्य गोपाल दास ने किया महाभिषेक

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, मैनेजिंग ट्रस्टी अनुराग डालमिया, सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने महाभिषेक किया। महाभिषेक के साथ ही पूरा जन्मस्थान परिसर जयकारों से गूंज उठा। लाखों श्रद्धालु इस अद्भुत पल का साक्षी बनने को बेताब रहे। धक्का-मुक्की के बीच किसी तरह अंदर पहुंचे और आराध्य के दर्शन किए। इधर, जन्मस्थान पर लाला ने जन्म लिया और पूरा ब्रज खुशी मे घंटा-घड़ियाल की ध्वनि से गुंजायमान हो गया। शयन आरती होने तक रात डेढ़ बजे आराध्य ने दर्शन दिए। इस दौरान लाखों श्रद्धालु श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचे। 


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