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Janmashtami 2020: जन्माष्टमी का व्रत रखने से पहले जान लें व्रत के नियम, कहीं भारी न पड़ जाए ये भूल

Janmashtami 2020 स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 05:32 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 05:32 PM (IST)
Janmashtami 2020: जन्माष्टमी का व्रत रखने से पहले जान लें व्रत के नियम, कहीं भारी न पड़ जाए ये भूल
Janmashtami 2020: जन्माष्टमी का व्रत रखने से पहले जान लें व्रत के नियम, कहीं भारी न पड़ जाए ये भूल

आगरा, जागरण संवाददाता। योगेश्‍वर श्रीकृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव के उल्‍लास में ब्रज की धरती झूम रही है। ये अलौकिकता की पराकाष्‍ठा ही है कि जो जन्‍मों से परे है उसका जन्‍मोत्‍सव पृथ्‍वीवासी मनाते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। स्कन्दपुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।

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अष्‍टमी तिथि है महत्‍वपूर्ण

ब्रह्मपुराण का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें। भविष्यपुराण का वचन है- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है। यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो 'जयंती' नाम से संबोधित की जाएगी। वह्निपुराण का वचन है कि कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाएगा। अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए।

यह हैं नियम

– जन्माष्टमी के व्रत से पहले रात को हल्का भोजन करें और अगले दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए, ऐसी मान्यता है।

– उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करना चाहिए।

– भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करनी चाहिए।

– इस दिन भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगया जाता है।

– हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर

ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥

इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

– रात 12 बजे भगवान का जन्म करें, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें। उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका श्रृंगार करना चाहिए।

– भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं। उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए।

– नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, कहकर कृष्ण को झूला झुलाना चाहिए।

– भगवान कृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें और उनके रातभर मंगल भजन गाना चाहिए।

भूल से भी न करें ये गलती

जन्माष्टमी के व्रत रखनेवाले एक दिन पहले से ही सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत भी नहीं करते हैं उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिर, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए। व्रत रखनेवाले मन में भगवान कृष्ण का ध्यान शुरू कर देना चाहिए और कामभाव, भोग विलास से खुद को दूर कर लेना चाहिए। साथ ही मूल, मसूरदाल के सेवन से भी दूर रहना चाहिए। मन में नकारात्मक भाव ना आने दें।  


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