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JFF: इंतजार खत्म, कुछ ही घंटे में होने जा रहा का आगाज Agra News

गोल्ड सिनेमा में शाम छह बजे होगा उद्घाटन। तीन दिन चलेगा मनोरंजन का दौर। कई फिल्मों का होगा प्रीमियर। अभिनेता बिजेंद्र काला से रूबरू हो सकेंगे दर्शक।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 04:25 PM (IST)
JFF: इंतजार खत्म, कुछ ही घंटे में होने जा रहा का आगाज Agra News
JFF: इंतजार खत्म, कुछ ही घंटे में होने जा रहा का आगाज Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी के लोगों का जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) का इंतजार खत्म हो गया है। 20 सितंबर की शाम छह बजे कॉसमॉस माल स्थित गोल्ड सिनेमा में सिने अभिनेता बिजेंद्र काला संग जेएफएफ का भव्य आगाज होगा। दर्शक 22 सितंबर तक फिल्मों का आनंद ले सकेंगे। फेस्टिवल की शुरुआत निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ताशकंद फाइल्स से होगी। इसके साथ ही निर्देशक रामकमल मुखर्जी की केकवॉक, सुभाष घई की रामलखन, चिंटू का बर्थडे, सूरमा आदि फिल्में दिखाई जाएंगी। फिल्म फेस्टिवल में 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रवेश पर रोक है।

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हमारी कहानी वल्र्ड सिनेमा से प्रभावित है: सत्यांशु सिंह

जागरण संवाददाता, आगरा: फिल्म ‘चिंटू का बर्थडे’ जागरण फिल्म फेस्टिवल में 21 सितंबर को प्रदर्शित की जाएगी । कहानी बगदाद में संकट के समय फंसे एक बिहारी परिवार की है। फिल्म में दिखाया गया है कि भाषा से लेकर सांस्कृतिक विविधताओं से उपजी समस्याओं और हालातों में फंसा परिवार किस तरह से उबरता है। भावनाओं का मार्मिक फिल्मांकन कई बार दर्शकों की आंखें नम कर देता है। फिल्म का निर्देशन सत्यांशु सिंह और उनके छोटे भाई देवांशु सिंह ने किया है।

दोनों बताते हैं कि सन 2004 में फिल्म का आइडिया आया था जब अमेरिकी सेना इराक में थी। तीन साल बाद यानी 2007 में इसका लेखन पूरा हुआ और 2019 में फिल्म लोगों के सामने आ सकी। इसका कारण यह था कि फिल्म के विषय को लेकर उन्होंने काफी शोध किया था। इस फिल्म में फिलिस्तीनी अभिनेता खालिद मस्सू भी हैं।

एनिमेशन, इमोशन, थोड़े बहुत फैमिली ड्रामा और एक वक्त में इराक में फंसे भारतीय परिवार के दर्द को समेटे इस फिल्म की स्क्रिप्ट को इतनी सराहना मिली की सत्यांशु अपना मेडिकल करियर छोड़कर फिल्म लेखन व फिल्ममेकिंग में आ गए। फिल्म का प्रीमियर दिल्ली में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में हुआ था। उसके बाद अलग-अलग शहरों में आयोजित जेएफएफ में इसे प्रदर्शित किया जा रहा है। फेस्टिवल में फिल्म दिखाने के संबंध में सत्यांशु ने कहा, ‘दिल्ली में प्रीमियर के बाद हर शहर में फिल्म को दर्शकों का जो प्यार मिला उससे हमारा उत्साहवर्धन हुआ है। एक समय में फिल्म के विषय को लेकर लोग आशंका जता रहे थे क्योंकि आज अमेरिकी सेना इराक में नहीं है, जबकि फिल्म की कहानी उस दौर की है जब अमेरिका के सैनिक इराक में थे। उन्होंने कहा, ‘मुङो यकीन था कि यह कहानी पुरानी नहीं हो सकती क्योंकि यह वल्र्ड सिनेमा से प्रभावित है।’

ये फिल्में होंगी प्रदर्शित

20 सितंबर

07.00 बजे - द ताशकंद फाइल्स, निर्देशक विवेक अग्निहोत्री (134 मिनट)

9.20 बजे- केक वॉक निर्देशक रामकमल मुखर्जी (24 मिनट)

21 सितंबर

सुबह 11 बजे- कंट्री फोकस - द आइरिश प्रिजनर

12.30 बजे - राम लखन, निर्देशक सुभाष घई (174 मिनट),

3:35 बजे - जागरण की विशेष शॉर्ट फिल्में

5.15 बजे - चिंटू का बर्थडे, निर्देशक दिव्यांशु व सत्यांशु सिंह (84 मिनट)

7.50 बजे - टी फॉर ताजमहल, निर्देशक किरीट खुराना।

22 सितंबर

सुबह 11 बजे - कादरखान को श्रद्धांजलि, उनके द्वारा लिखित फिल्म कर्मा दिखाई जाएगी।

2.25 बजे- कोटा फैक्ट्री

3:55 बजे - सूरमा, निर्देशक शाद अली (131 मिनट)

6:15 बजे - तुम्बाड़, निर्देशक अनिल बर्वे (106 मिनट)

8:15 बजे - बंकर , निर्देशक जुगल राजा (77 मिनट)

बिजेंद्र काला होंगे दर्शकों से रूबरू

जेएफएफ के उद्घाटन सत्र में जाने-माने अभिनेता बिजेंद्र काला भी उपस्थित रहेंगे। इस दौरान वह दर्शकों से रूबरू भी होंगे। फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे बदलाव को लेकर वह अपने विचार रखेंगे। इसमें दर्शक उनसे सवाल पूछ सकेंगे। बिजेंद्र काला फिल्म अग्निपथ, पान सिंह तोमर, अनुभूति, सुबह होने तक जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।

फिलिस्तीनी अभिनेता ने रटाए डायलॉग

फिलिस्तीनी अभिनेता खालिद मस्सू हिंदी फिल्मों में काम करने के इच्छुक थे। दुर्भाग्य से उन्हें यह मौका नहीं मिल पाया था। सत्यांशु बताते हैं कि जब हसन मेहंदी के किरदार के लिए उनसे संपर्क किया गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। वह 12 दिनों में सेट पर फिल्म की आत्मा बन गए थे। फिल्म में बाल कलाकारों की बात करें तो लक्ष्मी का किरदार निभाने वाली नो

‘चिंटू’ को तो पता ही नहीं था वो कहां है

फिल्म में नानी की भूमिका निभाने वाली सीमा पाहवा बताती हैं,’ फिल्म में सारे बच्चे मुङो नानी ही बुलाते थे। इस फिल्म में एक ईरानी कलाकार भी थे। एक बच्चा कश्मीर से था। सब अपनी अपनी भाषा के जानकार थे फिर भी सेट पर मिलकर एकसाथ काम कर रहे थे। यह अनूठी बात थी। फिल्म में चिंटू बने वंदांत को तो इसका एहसास ही नहीं था हम कहां हैं। वो मेरी साड़ी से नाक भी पोंछ रहा था और हाथ भी।‘


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