Interstate Drug Supplier: झाड़ूू लगाते- लगाते खड़ा कर दिया गैंग, दवाओं को दे रखे थे कोडवर्ड
Interstate Drug Supplier पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़ा हरीश आगरा के खटीकपाड़ा का निवासी है। 10 साल पहले मुबारक महल स्थित थोक दवा बाजार में दवा की दुकान पर कर्मचारी था।
आगरा, जागरण संवाददाता। नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वाला हरीश पूर्व में फव्वारा थोक दवा बाजार की दुकान में झाड़ू लगाने का काम करता था। काले धंधे वालों से संपर्क साध उसने 10 साल में खुद का गैंग बना डाला। यह गैंग आगरा से ट्रेन और ट्रांसपोर्ट कंपनी के माध्यम से 11 राज्यों में नशीली दवाओं की आपूर्ति कर रहा था।
पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़ा हरीश आगरा के खटीकपाड़ा का निवासी है। दवा कारोबारियों के मुताबिक हरीश 10 साल पहले मुबारक महल स्थित थोक दवा बाजार में दवा की दुकान पर कर्मचारी था। सुबह दुकान में झाडू लगाने के साथ अन्य राज्यों से आने वाले दवा कारोबारियों की दवाओं को कार्टन में पैक कर ट्रांसपोर्ट कंपनी तक पहुंचाता था। दो साल बाद वह हॉकर का काम करने लग गया। दिल्ली से टैक्स चोरी की दवाएं लाकर थोक दवा कारोबारियों को देने लगा। यहां से आगरा गैंग की शुरूआत हुई। उसने एक दर्जन हॉकर गैंग में शामिल किए। दिल्ली से सरकारी खरीद की दवा लाकर उनकी आगरा में री पैकिंग कर अन्य राज्यों में भेजी जाने लगीं। उसका पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और राजस्थान सहित 11 राज्यों में नेटवर्क बताया जाता है। पांच साल पहले वह दिल्ली शिफ्ट हो गया। वहां भागीरथ पैलेस में उसकी दुकान है।
यह अब आगरा के थोक दवा कारोबारियों से नशे में काम आने वाली कोडीन युक्त कफ सीरप, दर्द निवारण इंजेक्शन, एल्प्राजोलम जैसी दवाओं का अवैध कारोबार कर रहा है। वह हर महीने अन्य राज्यों को करोडों की नशीली दवाओं की सप्लाई कर रहा है।
गैंग से जुडे थोक दवा बाजार के 25 फीसद कारोबारी
आगरा गैंग से हॉकरों के साथ फव्वारा थोक दवा बाजार के 25 फीसद दवा कारोबारी जुडे हुए हैं। ये कंपनियों से नारकोटिक्स की दवाएं खरीदते हैं। इनका मेडिकल स्टोर के नाम से बिल काटते हैं और हरीश को बेच देते हैं। वह इन दवाओं को ट्रांसपोर्ट कंपनी से अन्य राज्यों में सप्लाई कर देता है।
जूते का भी काम किया
हरीश ने पंजाब पुलिस को पूछताछ में बताया है कि उसने जूते का भी काम किया है। उसने हवाला से जूते कारोबारियों के साथ पैसे लाने और ले जाने का काम किया। दवा के काम में भी वह हवाला से लेनदेन करने लगा।
'पंजाब पुलिस से संपर्क किया जा रहा है। इससे हरीश के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। दवा बाजार से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
- राजकुमार शर्मा, औषधि निरीक्षक
स्पास्मोप्रोक्सीमोन बोले तो एसपी साहब
नशीली दवाओं का काला कारोबार कोडवर्ड में चलता था। दर्द निवारक टेबलेट स्पास्मोप्रोक्सीमोन का कोड वर्ड 'एसपी साहब तो पेंटाजोशन इंजेक्शन को 'पेंटा पुकारा जाता है। इस कारोबार से हर महीने करीब 80 करोड़ की दवाओं का लेनदेन हो रहा है।
नशे के लिए दर्द निवारक इंजेक्शन पेंटाजोशन, टेबलेट स्पास्मोप्रोक्सीमोन, एल्प्राजोलम के साथ ही कोडीन सीरप का इस्तेमाल किया जाता है। ये दवाएं कई राज्यों के सरकारी और ईएसआइ हॉस्पिटलों में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से निश्शुल्क वितरण को भेजी जाती हैं। इन दवाओं से हॉस्पिटल सप्लाई की मुहर हटाकर रीपैकिंग का काम फव्वारा के आसपास और कई कॉलोनियों में बने गोदाम में किया जाता है। अधिक मांग वाली दवाओं का सॉल्ट मंगाकर सीधे पैकिंग भी की जा रही है। इन दवाओं को आगरा गैंग अलग-अलग राज्यों में जाली बिलों से कुरियर, ट्रांसपोर्ट और ट्रेन के माध्यम से पहुंचाते हैं। नशीले पदार्थों के पैसों का लेनदेन हवाला चैनल से होता है। इसी चैनल से हरीश नशीली दवाओं का लेनदेन करता है। जिस राज्य में नशीली दवा भेजी जाती है, वहां के दवा कारोबारी हवाला के जरिए रकम भेजते हैैं।
आठ गुना रेट में बिक रहे इंजेक्शन और सीरप
पेंटाजोसिन इंजेक्शन एक बॉक्स 20 इंजेक्शन 100 रुपये थोक रेट, ब्लैक में 600 से 800 रुपये
कोडीन सीरप 110 से 125 रुपये , ब्लैक में 250 से 300 रुपये
एल्प्राजोलम जैनरेकि टेबलेट एक स्ट्रिप में 15 टेबलेट सात से आठ रुपये थोक रेट, ब्लैक में 40 से 50 रुपये