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झांसी से बजरंगी की रवानगी की सूचना 11 घंटे बाद मेरठ दी

जांच में खुल रहीं लापरवाही की परतें, डीआइजी (जेल) मेरठ को रवाना होने के 11 घंटे बाद भेजा गया मेल, इसके दो घंटे बाद बागपत पहुंच गया बजरंगी। आगरा, मथुरा सहित रास्ते में पड़ने वाले जिलों के अधिकारियों को भी नहीं दी गई सूचना।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 11:31 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 11:31 AM (IST)
झांसी से बजरंगी की रवानगी की सूचना 11 घंटे बाद मेरठ दी
झांसी से बजरंगी की रवानगी की सूचना 11 घंटे बाद मेरठ दी

आगरा(अली अब्बास), आगरा: क्या बागपत जेल में पूर्वाचल के डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या की साजिश कहीं और रची गई? इस मामले में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, लापरवाही की परतें खुल रही हैं। झांसी जेल से मुन्ना बजरंगी को बागपत रवाना करने से पहले मेरठ के डीआइजी (जेल) को इसकी सूचना ही नहीं दी गई। यह सूचना रवानगी के 11 घंटे बाद मेल से दी गई और उसके दो घंटे बाद मुन्ना बागपत जेल पहुंच गया। आगरा, मथुरा सहित रास्ते में पड़ने वाले जिलों के अधिकारियों को भी मुन्ना के गुजरने की जानकारी नहीं दी गई।

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झांसी जेल में निरुद्ध मुन्ना बजरंगी की नौ जुलाई की सुबह बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी। वहां उस पर पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज था। झांसी जेल से बजरंगी को 18 पुलिसकर्मियों की अभिरक्षा में आठ जुलाई की सुबह आठ बजे बागपत के लिए रवाना किया गया था। नियमानुसार झांसी से रवाना होने के पहले जेल-प्रशासन को इसकी सूचना डीआइजी (जेल) मेरठ रेंज को रवानगी से बहुत पहले देनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आठ जुलाई को शाम सात बजे डीआइजी (जेल) कार्यालय को मेल मिला कि बजरंगी को पेशी के लिए बागपत भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार बजरंगी की हत्या के बाद हो रही जांच में 11 घंटे बाद मेल भेजने का तथ्य सामने आया है। उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई को रविवार था। डीआइजी (जेल) कार्यालय को मेल मिलने के दो घंटे बाद ही बजरंगी को बागपत के थाना केड़िया की पुलिस वहां की जेल में दाखिल करने पहुंच गई। समय से पहले इसलिए सूचना दी जाती है कि अधिकारी यह तय कर सकें कि बंदी को किस जेल में ठहराया जाना है। यहां अधिकारियों को विचार का समय ही नहीं मिला। इस बात की भी जांच की जा रही है कि झांसी से बागपत के बीच पड़ने वाले जिलों के पुलिस अधिकारियों को भी सूचना दी गई थी या नहीं। कुख्यातों को दूसरे जिलों में पेशी पर भेजते समय रास्ते में पड़ने वाले संबंधित जिलों के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी जाती है। यह कुख्यात के किसी जिले में गुजरते समय किसी भी विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए किया जाता है।

आगरा और मथुरा से होकर गया था बजरंगी:

बजरंगी को झांसी से बागपत कोर्ट में पेशी पर आगरा और मथुरा होकर ले जाया गया था। इन दोनों जिलों की पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।

आठ जुलाई को जेल में पहुंची पिस्टल!

जिस पिस्टल से बजरंगी की हत्या की गई, वह आठ जुलाई को ही जेल में पहुंच गई थी। सूत्रों के अनुसार सुनील राठी से आठ जुलाई को मुलाकात के लिए कुछ लोग आए थे। दबंग राठी का जेल-प्रशासन पर इतना प्रभाव था कि उससे मुलाकात करने वालों की तलाशी नहीं ली जाती थी। मुलाकात रजिस्टर में भी उनका कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता था। आशंका है कि आठ जुलाई को मुलाकात के दौरान ही यह पिस्टल जेल में राठी के पास पहुंची थी।

क्या है नियम

किसी कुख्यात को पेशी पर भेजने के दौरान जेल प्रशासन को क्या करना चाहिए, आइजी कारागार द्वारा वर्ष 2012 में एक सकुर्लर जारी किया गया था। इसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित किए गए बंदियों को न्यायालय में पेश किए जाने से पहले उस क्षेत्र के डीआइजी कारागार को सूचित करना होगा। डीआइजी को विवेकानुसार यह तय करना होगा कि वह उक्त क्षेत्र की किस जेल में बंदी कोरखें। साथ ही संबंधित कारागार को भी अवगत कराएंगे।

यह हैं निर्देश:

-जिस कारागार से प्रशासनिक आधार पर बंदी का स्थानांतरण किया है, उस कारागार में निरुद्धि का आदेश नहीं देंगे।

-अपने परिक्षेत्र की अन्य कारागारों में ही रोटेशनवार ही निरुद्धि का आदेश देंगे ताकि एक ही कारागार में गुटबाजी न हो तथा प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित न हो।

-ऐसे बंदियों का एक रजिस्टर तैयार किया जाएगा। जिसमें उनकी निरुद्धि का विवरण अंकित होगा। ताकि इस रजिस्टर के आधार पर उनके कार्यालय से अनुपस्थित रहने की स्थिति में उनके द्वारा समुचित निर्णय लिया जा सके।

-जब ऐसा बंदी जिस जिले से भेजा जाएगा तो आवश्यक होगा कि उस जिले के डीआइजी जेल एवं जिम्मेदार अधिकारियों को सूचित किया जाएगा। डीआइजी जेल बंदी को रखने के लिए कारागार को चिह्नित करके इसकी जानकारी संबंधित जिले के डीएम एवं एसएसपी को देंगे।


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