चेक से भुगतान बन रहा उद्यमियों की बड़ी समस्या, श्रम मंत्री को बताई अपनी परेशानी
- श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को नेशनल चैंबर ने बताईं व्यवहारिक दिक्कतें। मजदूरों के नहीं खाते, कैसे हो खाते में भुगतान।
आगरा, जागरण संवाददाता। मजदूरी के कानून में संशोधन कर मजदूरी का भुगतान चेक या सीधे खाते में करने के आदेश से उद्यमी निराश हैं। कानून में बदलाव से उद्यमियों के सामने कई व्यावहारिक समस्याएं आ रही हैं। मजदूरों के खाते न होने से उन्हें मजदूरी के भुगतान में भी समस्या आ रही है। इन समस्याओं को लेकर औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों ने श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से लखनऊ में मुलाकात कर उन्हें समस्या से अवगत कराया।
हाल में राज्य सरकार ने कानून में संशोधन कर मजदूरों को किए जाने वाले भुगतान को चेक या एनईएफटी से करने को अनिवार्य कर दिया है। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के अध्यक्ष राजीव तिवारी ने बताया कि मजदूरी संदाय अधिनियम 1936 की धारा 6 में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब औद्योगिक या किसी अन्य प्रतिष्ठान का प्रत्येक नियोक्ता, अपने कर्मचारियों को मजदूरी का भुगतान चेक या एनईएफटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में करेगा। लेकिन अगर कोई उद्यमी अस्थायी या आकस्मिक कार्य कराता है तो तीन माह की अवधि के दौरान अधिकतम पांच हजार रुपये की मजदूरी का नकद भुगतान संबंधित कर्मचारी को कर सकता है। उन्होंने बताया कि छोटे व कुटीर उद्योगों में अधिकांश श्रमिक अशिक्षित हैं। बैकों में उनके द्वारा खाते भी नहीं खुलवाए गए हैं। पढ़े लिखे न होने के कारण बैंक के काम और एटीएम से पैसे निकालने की जानकारी के अभाव में मजदूर चेक से मजदूरी नहीं लेते हैं। यह पूरी तरह अव्यावहारिक है। इस आदेश को 50 श्रमिकों से कम नियोजन वाले प्रतिष्ठानों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। इस मौके पर चैंबर अध्यक्ष राजीव तिवारी, श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन कृष्ण गोयल, पूर्व अध्यक्ष महेंद्र कुमार सिंघल, अतुल कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे।