आगरा की ये लेखिका ऑस्ट्रेलिया में बिखेर रहीं साहित्य संस्कृति की सुगंध Agra News
ऑस्ट्रेलिया में बसी प्रवासी साहित्यकार रीता कौशल लॉयर्स कॉलोनी आगरा निवासी अधिवक्ता रामरज प्रकाश मिश्रा व कुसुम मिश्रा की पुत्री हैं।
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में/ समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहां हमारा।। ऐसी ही भावना के साथ हिंदी के लिए समर्पित हैं रीता कौशल, हिंदी का जय घोष परदेश में कर रही हैं। ऑस्ट्रेलिया में बसी प्रवासी साहित्यकार रीता कौशल लॉयर्स कॉलोनी आगरा निवासी अधिवक्ता रामरज प्रकाश मिश्रा व कुसुम मिश्रा की पुत्री हैं। वैसे पेशे से वे आस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियन गवर्नमेंट की लोकल काउंसिल में फाइनेंस ऑफिसर के पद पर हैं।
इसके पहले हिंदी सोसायटी सिंगापुर व डीएवी हिंदी स्कूल सिंगापुर में हिंदी की शिक्षक रही हैं। हिंदी समाज ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की वार्षिक पत्रिका भारत-भारती का निरंतर संपादन कर रही हैं। वे दूर देश में रहकर भी न अपनी संस्कृति को भूली हैं न भाषा को, वरन वे तो निरन्तर उसके प्रचार- प्रसार में जुटी हुई हैं। देश की परंपरागत माटी का सौंधापन उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व में महकता है। उनके साहित्य में स्त्री विमर्श भावों का संप्रेषण प्रमुख है। उनके विचारों में एक विशेष प्रकार की संवेदनशीलता का अहसास होता है। विदेशी भूमि पर अपनी भाषा से अपनी पहचान बनाना हिंदी भाषियों के लिए बहुत गौरव की बात है। व्यक्तिगत और सामाजिक संवेदनाओं पर गहरी पकड़ उनके लेखन में झलकती है।
रीता ने बताया कि वर्ष 2001 में वे भारत छोड़कर सिंगापुर आ गई थीं। वहां हिंदी सोसायटी सिंगापुर में शिक्षण कार्य शुरू किया। पढऩे-पढ़ाने और सीखने के सिलसिले में उनके मन में बरसों से दबा पड़ा साहित्य मुखरित हो गया।
रीता का काव्य संग्रह 'चंद्राकांक्षा' उनके शब्दों की वह खूबसूरत माला है जिसका प्रत्येक मोती बेशकीमती है । उनके कहानी संग्रह 'रजकुसुम' की कहानियां मनमस्तिष्क को झकझोरती नहीं, बल्कि मस्तिष्क में अपने लिए एक कोना स्वयं ही तलाश कर जगह बना लेती हैं। शहर में पली बढ़ीं रीता ङ्क्षहदी साहित्य ही नहीं आगरा की भी ब्रांडिंग कर रही हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप