Independence Day: युद्ध में छुड़ाए दुश्मन के छक्के, आज भी जवां हैं देशभक्ति, चार बेटे भी सेना में
सेवानिवृत्त होने के बाद चार बेटे हो चुके हैं सेना में भर्ती। भर्ती होने के दो वर्ष बाद ही पहुंच गए थे युद्ध के मैदान में। खून से बर्दी लाल हो गई। राकेट लांचर लेकर रावी नदी के किनारे पहुंचे। दुश्मनों के टैंकों को नष्ट किया।
आगरा, जागरण संवाददाता। उम्र भले की 82 साल की हो गई हो, लेकिन राधेश्याम के दिल में आज भी देशभक्ति उसी तरह जवां है जब वे सेना में भर्ती होने के बाद पहली बार युद्ध के मैदान में पहुंचे। मैदान में पहुंचने के बाद दुश्मन को परास्त किया। रिटायर्ड हुए तो चार बेटे सभी को सेना की वर्दी पहना दी।
बाह के थाना चित्राहाट के गांव खिच्चर पुरा के रहने वाले राधेश्याम भदौरिया की बात करे तो वे सेना में नायक के पद पर 1969 में भर्ती हुए। ट्रेनिंग लेने के बाद जब 1971 में भारत का कट्टर दुश्मन सामने खड़ा था। उससे लोहा लेने के लिए उनकी कंपनी की तैनाती पंजाब बार्डर पर की गई। उसका हिस्सा खुद राधेश्याम भदौरिया भी थे। तब डेरावाला और मौजम पोस्ट पर पाकिस्तान का कब्जा था। उसे मुक्त कराने वालों में राधेश्याम भी थे। बड़ी संख्या में सैनिक शहीद हुए लेकिन दोनों पोस्ट मुक्त करा ली। 13 दिन तक चले युद्ध में जो मिल जाता खा लेते । दुश्मन के 10 बंकर ध्वस्त किए। तीन से चार दिन तक खाना नहीं मिला । हेलीकॉप्टर से जो पैकेट नीचे गिरा दिए जाते , उन्हीं के सहारे दुश्मनों से लोहा लिया। कई बार तो ऐसा हुआ कि पैकेट पाकिस्तान की सीमा में गिर जाते। जब पता चला कि हमने अपने दुश्मन को परास्त कर दिया तो सभी साथी खुशी से उछल पड़े ।
15 किमी तक लड़ी लड़ाई
वेरीबाला , असफवाला तक 15 किमी तक लड़ाई लड़ी। मौजम पोस्ट की घटना भूल नहीं सकते । इस पोस्ट पर दुश्मन का कब्जा था। रात में लाइटगन मशीन के सहारे हम आगे बढ़े। इसी बीच हमारा साथी भीषम सिंह निवासी प्रताप गढ़ को एक गोली लगी। हालत बेहद गंभीर गोद में लेकर उसकी मरहम पट्टी की। भीषम को शायद वीर गति का आभास हो गया था। उसने कहा कोई गलती हो गई हो तो माफ करना। मेरी पत्नी की मदद करना। इसके बाद शांत हो गया। हम संभल भी नहीं पाए थे कि एक गोली मेरी दाई बाजू में लगी। खून से बर्दी लाल हो गई। लेकिन जोश कम नहीं हुआ। राकेट लांचर लेकर रावी नदी के किनारे पहुंचे। दुश्मनों के टैंकों को नष्ट किया।
बच्चों में जगाई देश भक्ति
राधेश्याम भदौरिया के चार बेटे सतेंद्र सिंह, जो सेना से सूबेदार पर से तथा दूसरे नंबर के सुखवीर सिंह हवलदार के पद से रिटायर्ड हो चुके है। तीसरे नंबर के इंद्रेश सिंह सूबेदार व चौथे नंबर के कुलदीप अभी सेना में नौकरी कर रहे है। वे कहते है इससे और अधिक खुशी की बात क्या हो सकती है कि उनके चार बेटे दो सेवा कर चुके है दो अभी कर रहे है।
प्रोफाइल
नाम- राधेश्याम सिंह भदौरिया,
निवासी- खिच्चर पुरा, बाह,
जन्म तिथि- 1- 1-1950,
सेना में भर्ती 1969, 15 राजपूत रेजिमेंट ,
सेवानिवृत्त- 1984 ।
- 1971 के युद्ध में भाग लिया।