Independence Day 2022: कासगंज में क्रांतिकारियों ने काट दिए थे टेलीफोन एक्सचेंज के तार
Independence Day 2022 महात्मा गांधी के आह्वान पर 10 अगस्त 1942 को यहां भी भरी गई थी हुंकार। गिरफ्तार हुए कई क्रांतिकारी तो तमाम ने भूमिगत चलाया आंदोलन। कासगंज आजादी के संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा। हजारों की संख्या में यहां क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
आगरा, जागरण संवददाता। अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन कासगंज में भी प्रभावी रहा था। महात्मा गांधी के आह्वान पर 10 अगस्त 1942 को यहां क्रांतिकारियों ने कई सरकारी दफ्तरों पर कब्जा कर लिया था और टेलीफोन एक्सचेंज में पहुंचकर वहां के तार काट दिए थे। चौराहे-चौराहे पर प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान कई क्रांतिकारी गिरफ्तार हुए तो तमाम भूमिगत हो गए। वह भूमिगत रहकर ही आंदोलन को आगे बढ़ाते रहे।
आजादी की आग को यहां पहले से ही सुलग रही थी और क्रांतिकारी तरह-तरह से ब्रिटिश हुकूमत का विरोध कर रहे थे। महात्मा गांधी के अंग्रेजो भारत छोड़ आंदोलन के आह्वान के बात इस आग को और हवा मिल गई। लोग सामूहिक रूप से ब्रिटिश शासन के विरोध में सामने आ गए। नौ अगस्त को प्रदर्शन हुए, इसके अगले दिन योनाबद्ध तरीके से कुछ सरकारी कार्यालयों पर कब्जे किए गए। ऐसे में गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हो गया। ब्रिटिश शासकों ने तमाम क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन इसका असर क्रांतिकारियों के बीच नहीं हुआ। अंग्रेजों की दमनकारी नीति से क्रांतिकारी आम जनमानस के साथ एकजुट होते चले गए। ऐसे में योजना बनाई गई कि ब्रिटेश शासकों का संपर्क तंत्र तोड़ा जाए। इसी क्रम में योजनाबद्ध तरीके से यहां के टेलीफोन एक्सचेंज पर धावा बोला गया। वहां तैनात कर्मचारियों को कब्जे में लेकर वहां तार काट दिए गए। इससे संचार सेवा ठप हो गई। इसके बाद बाजारों से लेकर सभी सरकारी कार्यालयों और सेवाओं पर क्रांतिकारियों ने कब्जा जमा लिया।
यहां भड़की क्रांति की ज्वाला
आसपास के इलाकों में भी फैल गई। उस समय स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रमुख कांग्रेसी नेताओं में बाबूराम वर्मा, मानपाल गुप्ता, बेनीराम केला, बाबूराम साबूनी आदि ने आंदोलन का यहां नेतृत्व किया। इन्हें अगले दिन गिरफ्तार कर अलग-अलग जेलों में डाल दिया गया। ऐसे में तमाम नेताओं ने भूमिगत रहकर इस आंदोलन का संचालन किया। स्वतंत्रता आंदोलन के जानकार डा. राधाकृष्ण दीक्षित ने बताया कि कासगंज आजादी के संघर्ष का प्रमुख केंद्र रहा। इतिहास के अनुसार हजारों की संख्या में यहां क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। वे बताते हैं कि पंडित नेहरू और गांधी जी यहां के आंदोलन को लेकर उत्साहित रहते थे और वे यहां आए भी थे। शहर में क्रांति भड़की तो बिट्रिश शासक क्रांतिकारियों का सामना नहीं कर पाए।