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Independence Day: सूर्योदय के साथ हर ओर छा गया था उल्लास, पहली सुबह थी अवर्णनीय

Independence Day 15 अगस्त 1947 को सदियों की दासता से मिली थी आजादी। भारत माता की जय और वंदे मातरम के घोष से गूंज उठा था शहर। जिन्हें देश के आजाद होने की जानकारी नहीं थी उन्हें इसके बारे में बताया जा रहा था।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 01:37 PM (IST)
Independence Day: सूर्योदय के साथ हर ओर छा गया था उल्लास, पहली सुबह थी अवर्णनीय
आजादी की पहली सुबह पर भारत माता की जय और वंदे मातरम के घोष से गूंज उठा था शहर।

आगरा, जागरण संवाददाता। 15 अगस्त, 1947। सदियों की गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर भारत जाग उठा था। आजादी की लड़ाई में अनगिनत वीरों के शौर्य और बलिदान के बाद एक नई सुबह हुई थी। ब्रितानी हुकूमत का सूर्य अस्त हो चुका था और भारत में सूर्योदय हो रहा था। सूर्यदेव के आसमान में लालिमा बिखेरने के साथ ही शहर में हर ओर उल्लास छा गया था। भारत माता की जय और वंदे मातरम की गूंज सुनाई दे रही थी। हाथों में तिरंगा थामे लोग सड़कों पर घूमते हुए नजर आ रहे थे।

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोज गौरिहार बताती हैं कि आजादी की पहली सुबह अवर्णनीय है। 15 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही शहर में हर ओर उल्लास छा गया था। जनता आजाद होने का जश्न मना रही थी। सुबह से ही काफी चहल-पहल थी। जिन्हें देश के आजाद होने की जानकारी नहीं थी, उन्हें इसके बारे में बताया जा रहा था। रामलीला मैदान में ध्वजारोहण किया गया था।

लोगों में था बहुत उत्साह

स्वतंत्रता सेनानी प्रकाश नारायण शिरोमणि के स्वजन शशि शिरोमणि बताते हैं कि 15 अगस्त, 1947 को लोगों में बहुत उत्साह था। राजनीतिक लोग विजेता के तौर पर स्वयं को महसूस कर रहे थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जो लोग पिताजी से दूरी बनाकर रखते थे, वही अब उन्हें सम्मानित करने के लिए आ रहे थे। 


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