Independence Day 2020: ताजनगरी के इस क्षेत्र में छुपी है क्रांति की शाैर्य गाथा, जानिए आप भी इतिहास
Independence Day 2020 एक बड़ी योजना के लिए सन् 1930 में युवाओं के दल बेलनगंज की बारहभाई गली में डाली थी डकैती।
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। स्वतंत्रता आंदोलन का बड़ा गढ़ रहा है अपना आगरा। यहां की हर गली, हर मुहल्ले का आजादी की जंग से कोइर् न कोइर् नाता जरूर है। बहुत से परिवारों के बुजुर्ग तो आजादी की क्रांति में अपनी खामोशी से बलि देकर शहीद हो गए तो कई वर्षाें जेल की सलाखाें के पीछे ढकेल दिए गए। आजादी की गाथा को कुछ इसी तरह से अपने इतिहास में समेटे हुए हुए बेलनगंज क्षेत्र की बारहभाई गली।
स्वाधीनता आंदोलन को लगातार बढ़ाने के लिए आगरा के क्रांतिकारी युवाओं को कई बार आर्थिक संकट भी झेलना पड़ा। बम, गोला बारूद और असलाह के लिए धन जुटाने को क्रांतिकारियों को डाका भी डालना पड़ा। शहर में युवाओं का एक दल अंंग्रेज प्रशासन को आतंकित करने के लिए बम आदि का प्रयोग करता था। इन बम, गोला, बारूद, असलाह आदि के लिए उन्हें आर्थिक व्यवस्था करनी पड़ती थी। इसके लिए पहले तो उन्होंने अपने घर के जेवर आदि बेच कर आंदोलन चलाया। जब वह भी खत्म हो गए तो उन्होंने जगह-जगह जाकर धन संग्रह किया। लोगों से पर्याप्त धन न मिल पाने के कारण क्रांतिकारी बड़ी योजनाओं को अमल में नहीं ला पा रहे थे। एक बड़ी योजना के लिए सन् 1930 में युवाओं के इस दल ने निर्णय लिया कि वे किसी धनाढ्य व्यक्ति के यहां जाकर डकैती डालेंगे। शर्त यह थी कि वह व्यक्ति अंग्रेजों का समर्थक होना चाहिए। एक ऐसे ही धनाढ्य व्यक्ति के यहां डकैती डालने के लिए बेलनगंज के युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। निर्धारित तिथि और समय के अनुरूप क्रांतिकारियों के दल ने बेलनगंज की बारहभाई गली में एक सेठ के यहां डकैती डाली।
हथियारों से लैस 15 युवक वहां पहुंचे और हमला बोल दिया। मजबूरी में चलाई गोली से सेठ का मुनीम मारा गया। इसके बावजूद धनराशि भी आशा के अनुरूप नहीं मिली। गोली चलते ही बेलनगंज क्षेत्र में सनसनी फैल गई। लोग दुकानें बंद करके भाग गए। क्रांतिकारी भी तत्काल वहां से भाग गए। पुलिस ने घटना स्थल का मुआयना किया और पड़ताल के बाद सबसे पहले क्रांतिकारी दल के नेता बच्चा बाबू उर्फ कामता प्रसाद के मकान पर छापा मारा। उनके यहां पुलिस को बंदूक, रिवाल्वर अन्य विस्फोटक सामग्री मिली, उसे अपने कब्जे में ले लिया। बच्चा बाबू, बौहरे गौरीशंकर गर्ग, बंगालीमल अग्रवाल, ज्वाला प्रसाद, राम सिंह चौहान, ऋषिनाथ नागर को पुलिस ने बारी-बारी से गिरफ्तार कर लिया। साक्ष्य के अभाव में सेशन जज ने बच्चा बाबू को छोड़कर सभी को मुक्त कर दिया। बच्चा बाबू को पहले काले पानी की सजा सुनाई गई, बाद में उच्च न्यायालय ने उनकी इस सजा को हटा दिया था।