Paper Leak Case: आंबेडकर विवि के पेपर लीक मामले में ये 5 बड़े सवालों के नहीं मिले जवाब, आखिर कब मिलेगी दोषियों को सजा
Paper Leak Case केंद्र निरस्त करने या कालेज की संबद्धता खत्म करने से सवाल नहीं हुए खत्म। व्यवस्थाओं को खराब करने में दोषियों को कब करेंगे चिन्हित। बड़ा सवाल आखिर मामले में शामिल सभी कर्मचारियों और अधिकारियों पर विश्वविद्यालय इतना मेहरबान क्यों ?
आगरा, जागरण संवाददाता। पेपर लीक मामले में डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने केंद्र निरस्त कर दिया। कालेज की संबद्धता भी निरस्त कर दी।जांच समिति बना दी। पुलिस ने तथाकथित प्राचार्य को गिरफ्तार कर लिया। प्रबंधक, कोचिंग संचालक और एक शिक्षक की तलाश है, लेकिन अपने सिस्टम के खिलाफ विश्वविद्यालय ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है।अभी भी कई सवाल हैं, जिनके जवाब विश्वविद्यालय को देने हैं।
यह हैं सवाल-
1 - नियमानुसार परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र केंद्र अधीक्षक जो या तो प्राचार्य होता है या वरिष्ठ शिक्षक, को दिए जाते हैं। प्रबंधक या सचिव परीक्षा केंद्र पर नहीं जा सकते हैं।इतने दिनों से नोडल केंद्र से प्रश्नपत्र अछनेरा के श्री हरचरण लाल वर्मा महाविद्यालय में किसे दिए जा रहे थे, इसकी जानकारी विश्वविद्यालय के पास क्यों नहीं थी?
2- पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. आलोक राय परीक्षा केंद्रों के निर्धारण के लिए एक साफ्टवेयर तैयार करवा रहे थे। इस साफ्टवेयर में कालेज की लोकेशन, छात्रों की संख्या डाली जाती तो साफ्टवेयर अपने-आप उस कालेज के 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी केंद्रों का विवरण दे देता।साफ्टवेयर कालेजों का काम्बीनेशन तैयार करता, जिससे छात्रों की संख्या अनुसार केंद्र निर्धारित हो सकते थे। इस साफ्टवेयर का डेमो भी दिया गया था।यह निश्शुल्क विश्वविद्यालय में ही तैयार हुआ था, उस साफ्टवेयर का क्या हुआ?
3- परीक्षा केंद्रों की जिओ टैगिंग कराने का दावा विश्वविद्यालय ने किया था। दीक्षा समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से इसका उदघाटन भी कराया, लेकिन जिओ टैगिंग के अनुसार एक भी केंद्र निर्धारित नहीं हुआ है तो जिओ टैगिंग का क्या हुआ?
4- पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. आलोक राय ने 37 सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसका काम परीक्षा केंद्रों का भौतिक सत्यापन करना था। उस समिति के साथ ही एक सात सदस्यीय समिति भी बनाई गई थी, जो केंद्रों का डाटा एकत्र कर रही थी।इन दोनों समितियों को खत्म करके तीन सदस्यीय समिति का गठन क्यों किया गया?
5- विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा 410 परीक्षा केंद्रों पर हो रही है। सूत्रों के अनुसार इन सभी में से लगभग 150 केंद्रों या कालेजों पर अनुमोदित प्राचार्य ही नहीं हैं।एेसे में विश्वविद्यालय द्वारा किसे प्रश्नपत्र दिए जा रहे हैं या विश्वविद्यालय के पास इसकी जानकारी ही नहीं है?
अपने सिस्टम पर कब करेंगे कार्यवाही?
कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने पिछले दिनों वर्चुअल प्रेस वार्ता में यह स्वीकार किया था कि कई गलतियां विश्वविद्यालय स्तर पर हुई हैं, अगर एेसा है तो सजा सिर्फ कालेज को ही क्यों मिली? विश्वविद्यालय ने ही उस कालेज को परीक्षा केंद्र बनाया। किसने अनुमति दी, किसने जांच की, किसने एेसे कालेज को संबद्धता दी? इसमें शामिल सभी कर्मचारियों और अधिकारियों पर विश्वविद्यालय इतना मेहरबान क्यों है?
इस बार कई सबक मिले हैं, अगली परीक्षा में कोई कमी न रहे इसके लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे। परीक्षा केंद्रों का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। जिओ टैगिंग का भी सुधारा जाएगा। जहां तक बात अनुमोदित प्राचार्य न होने की स्थिति में प्रश्नपत्र देने की है तो इस बार हमने गूगल फार्म पर कालेजों से जानकारी मांगी थी। जिसमें कालेजों गलत जानकारी दी है। इस कमी को भी सुधारा जाएगा।
-प्रो. अजय तनेजा, प्रति कुलपति,डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय