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Migratory birds in Agra: मई के महिने में भी मन को मोह रहे मनमोहक फ्लेमिंगो, रास आ रही ब्रज की आबो हवा

Migratory birds in Agra र साल सबसे पहले सितंबर के अंत में ग्रेटर फ्लेमिंगो जोधपुर झाल पहुंचता है। हले समूह में 8 दूसरे समूह में 16 तीसरे समूह में 108 चौथे समूह में 22 और पांचवा समूह जिनमें 200 से अधिक फ्लेमिंगो अपने बच्चों के साथ उपस्थित हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 03:47 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 03:47 PM (IST)
Migratory birds in Agra: मई के महिने में भी मन को मोह रहे मनमोहक फ्लेमिंगो, रास आ रही ब्रज की आबो हवा
जोधपुर झाल में कलरव करते फ्लेमिंगों के जोड़े।

आगरा, जागरण संवाददाता। लगता है ग्रेटर फ्लेमिंगो को आगरा- मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल की आबो हवा पसंद आ गई है। जोधपुर झाल पर साल के बारह महिनों मे से आठ महिने ग्रेटर फ्लेमिंगो ठहरकर जाता है। 2018 से इसे लगातार सितंबर के अंत से मई के अंत तक रिकार्ड किया जा रहा है। जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर ग्रेटर फ्लेमिंगो के अनुकूल हेविटाट मौजूद है। भरपूर भोजन उपलब्ध है। जोधपुर झाल पर कई वर्षों से ग्रेटर फ्लेमिंगो आ रहे हैं। वर्ष 2018 से संस्था द्वारा इनकी निगरानी की जा रही है। ग्रेटर फ्लेमिंगो ने यहां पर अपना परंपरागत ठिकाना बना लिया हैं। हर साल सबसे पहले सितंबर के अंत में ग्रेटर फ्लेमिंगो जोधपुर झाल पहुंचता है। इस साल सबसे अधिक पांच समूह जोधपुर झाल पर पहुंचे हैं। पहले समूह में 8, दूसरे समूह में 16 , तीसरे समूह में 108 , चौथे समूह में 22 और पांचवा समूह जिनमें 200 से अधिक फ्लेमिंगो अपने बच्चों के साथ अभी उपस्थित हैं।

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भारत में पाई जाती हैं इसकी दो प्रजातियां

पक्षी विशेषज्ञ डाॅ केपी सिंह के अनुसार फ्लेमिंगो को पक्षी जगत के परिवार फोनीकोप्टेरिडे में वर्गीकृत किया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम फोनीकोप्टेरस रोजेअस है। यह जलीय पक्षियों की वैडर श्रेणी के अंतर्गत आता है। भारत मे फ्लेमिंगों की दो प्रजातियां लेशर एवं ग्रेटर पाई जाती हैं। फ्लेमिंगो दलदही एवं स्वच्छ पानी की झीलों को आवास के लिए पसंद करता है। इनकी ऊंचाई पांच फीट तक होती है। गर्दन लंबी और चौंच की विशेष बनावट के साथ सफेद रंग के शरीर पर गुलाबी पंखो का रंग हर किसी को आकर्षित करता है । भोजन में नीले हरे शैवाल, मोलस्कन प्राणी शामिल हैं।

उत्तर भारत में सर्दियों के प्रवास पर आता है ग्रेटर फ्लेमिंगो

भारत के गुजरात में, राजहंस नाल सरोवर पक्षी अभयारण्य, खिजडिया पक्षी अभयारण्य, राजहंस शहर, और थोल पक्षी अभयारण्य में देखा जा सकता है। वे पूरे सर्दियों के मौसम के दौरान वहाँ रहते हैं। मथुरा के अलावा यह सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी आगरा, घना पक्षी विहार भरतपुर, धनौरी वेटलैंड, ओखला बर्ड सेन्चुरी मे भी पहुंचता है ।


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