बिल्व पत्र बिना अधूरी है शिव आराधना, जानिए पुराणों में क्या वर्णित है इसकी महिमा Agra News
मान्यता है कि बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है ।
आगरा, तनु गुप्ता। सावन, शिव रात्रि या साप्ताहिक सोमवार को शिव पूजा। भगवान आशुतोष की आराधना में बेल पत्र यानि बिल्व पत्रों को विशेष महत्व है। मान्यता है कि आस्था के साथ शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र ही अर्पित किये जाएं तब भी भगवान भोले अपने भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार बिल्व पत्र के वृक्ष को 'श्री वृक्ष' और 'शिवद्रुम' भी कहते हैं। बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता है कि बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है ।
स्कंदपुराण में बेल पत्र के वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में कहा गया है कि एक बार मां पार्वती ने अपनी उंगलियों से अपने ललाट पर आया पसीना पोंछकर उसे फेंक दिया। मां के पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं। कहते हैं उसी से बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष की जड़ों में मां गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, इसकी शाखाओं में मां दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में मां पार्वती, इसके फूलों में मां गौरी और बेल पत्र के फलों में मां कात्यायनी का वास हैं।
संपन्नता के प्रतीक है बिल्व का पेड़
डॉ शोनू बताती हैं कि बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक। बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है। मान्यता है कि बिल वृक्ष में मां लक्ष्मी का भी वास है। घर में बेल पत्र लगाने से देवी महालक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करने से समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है। धन-सम्पति की कभी भी कमी नहीं होती है।
बिल्व वृक्ष और पत्रों की विशेष बातें
- बेलपत्र के पेड़ की टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए। - बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते।
- अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है।
- वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है।
- चार पांच छः या सात पत्तों वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है।
- बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
- सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है।
- बेल वृक्ष को सींचने से पितृ तृप्त होते हैं।
- बेल वृक्ष और सफेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे।
- जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते हैं।
- बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।
शिवलिंग पर अर्पित करें ये वस्तुएं तो मिलेगी विशेष कृपा
ज्योतिषाचार्य डॉ शोनू कहती हैं कि किसी भी देवी- देवता का पूजन करते समय उनको अनेक चीजें अर्पित की जाती है। भगवान को अर्पित की जाने वाली हर वस्तु का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन
मिलता है की भगवन शिव को अर्पित करने वाली अलग- अलग वस्तुओं का फल अलग अलग होगा है।
- भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
- तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
- जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
- गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है। यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये द्रव्य
- ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
- तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
- सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
- शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
- शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
- मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से क्षय रोग में आराम मिलता है।
ये अर्पित करें फूल
- लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
- अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
- शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
- बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
- जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
- कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
- हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
- धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
- लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
- दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती।