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Viral Video: सौदेबाजी की सियासत से कांग्रेस को झटका

Viral Video कांग्रेस जिलाध्यक्ष का वीडियो वायरल होने से पार्टी की छवि हुई बहुत खराब। लंबे समय बाद जनसमस्याओं पर पार्टी के मुखर होने से जुड़ रही थी जनता।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 07:43 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 07:43 AM (IST)
Viral Video: सौदेबाजी की सियासत से कांग्रेस को झटका
Viral Video: सौदेबाजी की सियासत से कांग्रेस को झटका

आगरा, जागरण संवाददाता। टोरंट के खिलाफ हल्ला बोल की राजनीति न करने को कांग्रेस जिलाध्यक्ष की सौदेबाजी की सियासत से कांग्रेस को झटका लगा है। जिलाध्यक्ष का वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी की छवि खराब हुई है। लॉक डाउन के बाद जनसमस्याओं को लेकर लंबे अंतराल बाद कांग्रेस के मुखर होने से जनता उससे जुड़ाव महसूस करने लगी थी, मगर एक ही झटके में सब खत्म हो गया। अब अगर कोई जनसमस्याओं को लेकर आंदोलन भी करेगा तो जनता उसे सौदेबाजी की नजरों से ही देखेगी।

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आगरा में कांग्रेस लंबे समय से हाशिये पर ही है। भाजपा, बसपा के परंपरागत वोट बैंक के चलते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में उसके उम्मीदवारों का जीतना तो दूर जमानत तक बचाने (अपवाद स्वरूप पिछले लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी से चुनाव लड़े राजबब्बर को छोड़कर) के लाले पड़ जाते हैं। लॉक डाउन में तीन माह की बंदी के दौरान आगरा में जनता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। लॉक डाउन के चलते आर्थिक स्थिति खराब होने की स्थिति में जनता को तीन माह के इकट्ठे बिजली के बिल, बच्चों की स्कूल फीस की मांग ने जोर का झटका दिया था। इसे लेकर कांग्रेस मुखर थी। निरंतर बिजली बिल आैर स्कूल फीस माफी को पार्टी प्रदर्शन कर रही थी। सपा-बसपा जब शांत थीं, तब कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक नेता टोरंट ऑफिस पर तालाबंदी के मामले में जेल गए। दोनों मुद्दे हर घर से जुड़े होने से शहर में कांग्रेस की पैठ बन रही थी। शनिवार को कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज दीक्षित और महासचिव शाहिद अहमद के टोरंट के खिलाफ प्रदर्शन न करने को मध्यस्थ से सौदेबाजी का वीडियो वायरल होने और प्रदेश नेतृत्व द्वारा दोनों से इस्तीफे लिए जाने से पार्टी की छवि शहर से देहात तक खराब हो गई है। पार्टी के अंदर ही नहीं बाहर से भी सौदेबाजी की सियासत करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की मांग उठ रही है।

अंदरूनी राजनीति फिर उजागर

वीडियो वायरल होने से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर उजागर हुई है। जिलाध्यक्ष के विरोधी उनकी एक गलती के इंतजार में थे, गलती होते ही उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव तक सबूतों को पहुंचा दिया। जिसके बाद आनन-फानन में कार्रवाई कर जांच को कमेटी बना दी गई।

ब्राह्मण वोट को सियासत शुरू होते ही झटका

उप्र में इन दिनों सपा-बसपा ब्राह्मण वोट को लेकर सियासत शुरू कर चुकी हैं। एक ने भगवान महर्षि परशुराम की मूर्ति लगवाने की बात कही है तो दूसरे ने उनके नाम पर अस्पताल बनवाने की। ऐसे समय में कांग्रेस को ब्राह्मण जिलाध्यक्ष की सौदेबाजी की सियासत ने जोर का झटका दिया है। 


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