एनएमसी बिल को लेकर आइएमए में गुटबाजी
नॉन क्वालीफाइड को इलाज की छूट और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को मनमानी का अधिकार देने का विरोध - आइएमए की बैठक में कुछ चिकित्सकों ने बिल का किया समर्थन संख्या रही कम
आगरा, जागरण संवाददाता। नेशनल मेडिकल काउंसिल एनएमसी (बिल) के विरोध में आइएमए, आगरा की गुटबाजी सामने आ गई। हड़ताल के चलते बुधवार सुबह 11 बजे से चिकित्सकों को आइएमए, भवन तोता का ताल पर पहुंचना था। चिकित्सकों की संख्या कम रही, कुछ चिकित्सकों ने एनएमसी बिल का डॉक्टर और मरीजों के हित में समर्थन किया।
आइएमए की बैठक में पदाधिकारियों ने एनएमसी बिल को काला कानून बताते हुए विरोध किया। इसे डॉक्टर बनने का सपना देख रहे छात्रों और मरीजों के लिए गलत कानून बताया। इसी दौरान एक सदस्य ने एनएमसी बिल के समर्थन में दलील देना शुरू कर दिया, इसे लेकर मामला गर्मा गया। कुछ चिकित्सकों ने हड़ताल के बारे में जानकारी न देने पर भी सवाल किए। आइएमए, आगरा के अध्यक्ष डॉ. अशोक शिरोमणि, डॉ. रवि पचौरी, डॉ. अनूप दीक्षित, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. राजीव उपाध्याय, डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. शरद गुप्ता, डॉ. हरेंद्र गुप्ता, डॉ. अनंग उपाध्याय, डॉ. यज्ञेश कौशल आदि मौजूद रहे। एनएमसी बिल के लिए डॉक्टरों की राय नहीं ली गई, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को 50 फीसद सीटों के प्रवेश और फीस निर्धारण का अधिकार दिया गया है। यूनानी, आयुर्वेदिक सहित आशाओं को प्रशिक्षण देकर इलाज करने की छूट दी जा रही है। यह डॉक्टरों के लिए काला कानून है, केंद्र सरकार को सपोर्ट करने वाले डॉक्टर ही समर्थन में हैं।
डॉ. ओपी यादव, सचिव आइएमए, आगरा एनएमसी बिल चिकित्सकों के हित में है। एक साल पहले तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की थी। एनएमसी बिल में दूरस्थ क्षेत्रों में जहां चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहां पैरा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देकर 30 तरह की दवाएं लिखने की छूट दी जानी है, यह निर्णय राज्य सरकार को लेना है।
डॉ. पवन गुप्ता, राष्ट्रीय सलाहकार, नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन