आगरा में अवैध होर्डिंग से सरकारी खजाने को लग रही तीन करोड़ की चपत
सड़क से 50 मीटर की दूरी पर होर्डिंग लगाई जा सकती हैं, लेकिन नियमों को दरकिनार करते हुए विज्ञापन एजेंसियां होर्डिंग लगा रही हैं।
आगरा (जागरण संवाददाता)। नगर निगम की लचर कार्यशैली से सरकारी खजाने को तीन करोड़ रुपये सालाना की चपत लग रही है। अवैध होर्डिंग सड़कों पर अतिक्रमण तो बढ़ा ही रही हैं, इनसे निगम की आय भी नहीं हो रही। नगर निगम की मानें तो एमजी रोड और यमुना किनारा रोड होर्डिंग फ्री जोन हैं।
सड़क से 50 मीटर की दूरी पर होर्डिंग लगाई जा सकती हैं, लेकिन नियमों को दरकिनार करते हुए विज्ञापन एजेंसियां होर्डिंग लगा रही हैं। यहां तक प्रत्येक मकान पर भी होर्डिंग लगी हुई हैं। नगर निगम से इसकी अनुमति नहीं ली गई है। कुछ यही हाल अन्य सड़कों का भी है। आवासीय भवनों की छतों और उसके बाहर होर्डिंग लगी हुई हैं।
इनके द्वारा कोई टैक्स नहीं दिया जा रहा है। निगम को हर साल होर्डिंग से चार करोड़ रुपये का टैक्स मिलता है, जबकि तीन करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। होर्डिंग की आड़ में सड़क पर अतिक्रमण हो जाता है। कई बार अवैध कब्जे तक हो जाते हैं।
निगम के पास नहीं है आंकड़े: शहर में कितनी होर्डिंग लगी हैं। नगर निगम के पास इसके आकड़े नहीं हैं। निगम द्वारा हर दिन तीन से चार होर्डिंग की अनुमति दी जाती है, जबकि इसकी आड़ में दर्जनभर अवैध होर्डिंग लगती हैं।
शामिल हैं कर्मचारी: अवैध होर्डिंग लगवाने के खेल में नगर निगम के कर्मचारियों की भी मिलीभगत रहती है। शिकायत के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है।
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भवन स्वामियों पर कसेगा शिकंजा: आगरा शहर में बड़ी संख्या में आवासीय भवनों पर होर्डिंग लगी हुई हैं। निगम से इसकी कोई अनुमति नहीं ली गई है। प्रमुख सचिव, आवास मनोज सिंह के आदेश पर ऐसे भवनों की सूची तैयार की जा रही है। ऐसे भवन स्वामियों से दस साल का व्यावसायिक टैक्स वसूला जाएगा।
क्या कहते हैं अधिकारी: अपर नगरायुक्त विजय कुमार ने बताया कि बिना अनुमति के किसी भी आवास में होर्डिंग नहीं लगाई जा सकती है।
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