Keetham: विदेशी पक्षियों का कलरव सुनना है तो आइए कीठम झील, दिल हो जाएगा खुश
कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार में पहुंचे प्रवासी पक्षी। रामसर साइट घोषित सूर सरोवर पक्षी विहार के लिए विकास कार्यों का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। यहां साइबेरिया मंगोलिया चीन डेनमार्क और थाइलैंड अफगानिस्तान पाकिस्तान से हजारों मील का सफर तय करके प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं।
आगरा, सुबान खान। सुबह के छह बजे कोहरे से धुंधली हरियाली के बीच चांदी सी चमकती पानी की लहरें और उन पर अठखेलियां करते पक्षी। झील के किनारों पर पहरा देती कार्मोरेंट और पानी के ऊपर सुनाई देता बार हेडेड गूज का कलरव।
यह नजारा कहीं और का नहीं, बल्कि शुक्रवार की सुबह रामसर साइट घोषित कीठम स्थिति सूर सरोवर पक्षी विहार का था। हरियाली की लताओं के आंचल में कीठम झील के किनारों पर सैकड़ों प्रवासी मेहमानों को पर्यटकों का इंतजार नजर आया। झील के टापुओं पर बार हेडेड गूज और कार्मोरेंट के झूंड बैठे थे और इक्का दुक्का पेलिकन अपने भोजन की तलाश में चोंच से पानी गोता लगा रही थी। शरद ऋतु में यह मेहमान दूर देश से सूर सरोवर पक्षी विहार में भोजन की आस लेकर आए हैं। यहां साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, डेनमार्क और थाइलैंड, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से हजारों मील का सफर तय करके प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं। हालांकि हर वर्ष की भांती प्रवासी पक्षियों की संख्या कम है। वन क्षेत्राधिकारी योगेश सिंह ने बताया कि बार हेडेड गूज, फ्लेमिंगो, नार्दन पिनटेल, कामन सैंडपाइपर, ग्रेट कार्मोरेंट, कामन टील, ग्रेट वाइट पेलिकन, नार्दन शावलर ठीक-ठाक तादाद में हैं।
ये होने चाहिए विकास कार्य
बायोडाइवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डा. केपी सिंह ने बताया कि आगरा कैनाल से आने वाला पानी प्रदूषण युक्त होता है। उसे स्वस्छ करने का इंतजाम करना होगा। जंगल में छोटे-छोटे ब्लाक तैयार करने होंगे। शोरे बर्ड के लिए घास युक्त दलदली जमीन तैयार करनी होगी। यहां पक्षियों का रेस्क्यू व स्टडी सेंटर तैयार हो। यहां पर लाइब्रेरी का इंतजाम होना चाहिए। विद्यार्थियों के लिए कैमरे की फीस कम की जा सकती है। सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाना जरूरी है। यहां पर डिजीटल म्यूजियम की स्थापना करनी चाहिए। वहीं, पक्षी विहार के अधिकारियों ने ईको टूरिज्म को बढ़ावा, पर्यटकों की सुविधा, वेटलैंड का विकास, स्टाफ में वृद्धि, खाली स्थान पर पौधे रोपने आदि कार्य कराने के लिए विकास का खाका तैयार करके केंद्र सरकार को भेजा है।
हर वर्ष 35 हजार की नेस्टिंग
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कीठम झील के किनारों पर बबूल के वृक्ष हैं। इन वृक्षों पर बड़ी संख्या में पक्षियों के घौसले हैं। जिनमें हर वर्ष जुलाई-अगस्त में करीब 35 हजार पक्षी जन्म लेते हैं। जो अक्टूबर तक उड़ान भरने लगते हैं और पर्यटकों के लिए सूर सरोवर पक्षी विहार के माहौल को खुशनुमा बने देते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पांच वर्ष में कराए जाने वाले विकास कार्यों का ब्योरा मांगा गया था। वह भेजा गया है। सूर सरोवर पक्षी विहार रामसर साइट घोषित होने पर्यटक बढ़ेंगे। पर्यटकों की दृष्टि से काफी विकास कार्य कराने की आवश्यकता है।
दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी आगरा