Treatment of Depression: यदि आप भी हैं इन दिनों तनावग्रस्त तो अपनाकर देखिए इंद्रधनुष एप्रोच, भर जाएंगे जीवन में फिर रंग
आगरा के आरबीएस कालेज की प्रोफेसर डा. पूनम तिवारी ने बनाई अप्रोच। सात तकनीकों के समावेश से करती हैं मानसिक तनाव का निवारण। 400 लोगों पर किया शोध 250 की काउंसलिंग नई अप्रोच से। कोरोना वायरस संक्रमण काल में अलग-अलग कारणों से तनावग्रस्त हो रहे लोग।
आगरा, प्रभजोत कौर। 21 साल का विवेक (बदला हुआ नाम) कोरोना काल में तनाव में रहने लगा। वो सामान्य जिंदगी और अपने भविष्य को लेकर चिंतित था। मनोचिकित्सक के संपर्क में आया तो अपनी मानसिक स्थिति की जानकारी दी। पता चला कि कई बार वो आत्महत्या के बारे में भी सोच चुका है। अब उसका इलाज इंद्रधनुष अप्रोच से हो रहा है और वो सामान्य हो रहा है।
केस 2- 25 साल की मानवी (बदला हुआ नाम) की अप्रैल में शादी होनी थी। इसी बीच कोरोना के कारण लॉक डाउन हुआ और शादी टल गई। शादी टलने से वो इतना ज्यादा तनाव में आ गई कि हर समय निराशावादी बातें ही करने लगी। परिवार वालों से दूर एक कमरे में बंद रहने लगी।मनोचिकित्सक के पास समस्या पहुंची और इंद्रधनुष अप्रोज से मिली सकारात्मकता से वो खुश हैं।
लॉकडाउन के पांच महीनों ने हर इंसान की जिंदगी में अलग अलग तरह से प्रभाव डाला। व्यापार, रोजगार, शिक्षा और जिंदगी को लेकर लोगों में तनाव बढ़ता गया। इसी दौरान आरबीएस डिग्री कॉलेज की मनोविज्ञान विभाग की डा.पूनम तिवारी में एक शोध किया। इस शोध में उन्होंने पाया कि हर इंसान की मानसिक स्थिति अलग होने के कारण उनके तनाव का स्तर भी अलग है, इसीलिए किसी भी एक तकनीक से उनके तनाव को कम नहीं किया जा सकता है। शोध के आधार पर उन्होंने इंद्रधनुष अप्रोच बनाई, जिसमें सात तकनीकों का समावेश है। इस अप्रोच से वे अब काउंसलिंग कर रही हैं।
क्या है इंद्रधनुष अप्रोच?
इस अप्रोच में डा. तिवारी ने सात तकनीकों का समावेश किया है, जिनका इस्तेमाल काउंसलिंग में किया जाता है। उन्होंने योगा, स्प्रिचुअल, नीड मैनेजमेंट, प्रॉब्लम एडेप्टेशन, एवोयडेंस, रिअलसि्टक, एक्सप्रेशन तकनीकों का समावेश किया है। इस इंद्रधनुष अप्रोच की सहायता से वह अब तक ढाई सौ लोगों की काउंसलिंग कर चुकी है। वे बताती हैं कि इस अप्रोच में समस्या के आधार पर तकनीक का प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है।
400 लोगों पर किया शोध
लॉकडाउन में डा. तिवारी ने विवि की तरफ से युवाओं की काउंसलिंग की थी। इसके अलावा उनके पास आगरा और आसपास के शहरों से भी कई फोन आए। डा.तिवारी बताती हैं कि हर रोज 10 से 12 लोगों के फोन मानसिक समस्या संबंधित आते थे। सबकी परेशानी अलग और उनके निवारण का तरीका भी अलग होता था। शोध शुरू किया और उसमें 400 लोगों को शामिल किया।