Worship in Kartik: रंग बदलते राधाकुंड के जल में कैसे करेंगे हजारों श्रद्धालु कार्तिक स्नान, उठ रही हर तरफ दुर्गंध
Worship in Kartik राधाकुंड में कार्तिक नियम सेवा कल से होगी शुरू। मणिपुर और पश्चिम बंगाल के हजारों श्रद्धालु यहां एक महीना तक रहकर करते हैं स्नान। प्रशासन की राधाकुंड के जल को आचमन योग्य नहीं बना सका। राधाकुंड का रंग बदलता जल प्रदूषित होने की गवाही दे रहा है।
आगरा, जेएनएन। गोवर्धन परिक्रमा स्थित राधाकुंड श्याम कुंड का जल प्रदूषण की गिरफ्त में है। इसका पानी इतना दूषित है कि इसके स्नान से कई बीमारियां फैलने की आशंका प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जता जा चुका है। पानी से उठती दुर्गंध आस्था को ठेस पहुंचा रही है। कुंड का जल कहीं हरा तो कहीं काला नजर आता है, जबकि 27
अक्टूबर से कार्तिक नियम सेवा शुरू हो जाएगी, जिसमें मणिपुर और पश्चिम बंगाल के हजारों भक्त यहां रहकर साधना करेंगे। राधाकुंड में मणिपुर और पश्चिम बंगाल के करीब 10 हजार श्रद्धालु हर साल कार्तिक माह में नियम सेवा के लिए आते हैं। वह यहीं रहकर रोजाना राधाकुंड में स्नान और आचमन करते हैं। प्रशासन की राधाकुंड के जल को आचमन योग्य नहीं बना सका है। राधाकुंड का रंग बदलता जल प्रदूषित होने की गवाही दे रहा है। पिछले दो साल के इतिहास पर नजर डालें तो प्रदूषित जल के कारण डायरिया फैल गया था।
नाकाफी रहे स्वच्छता के इंतजाम
गोवर्धन परिक्रमा मार्ग के राधा-श्याम कुंड के जल को आचमन योग्य बनाने के लिए जनवरी में प्रयास किए थे। करीब तीन एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में फैले राधा कुंड-श्याम कुंड के जल को शुद्ध बनाने के लिए बैक्टीरिया का सहयोग लिया था। ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने गुरुग्राम की कंपनी को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। गुरुग्राम की टीम ने न्यूलगी बैक्टीरिया डालकर जल को शुद्ध बनाने की कवायद की। जेएस वाटर एनर्जी लाइफ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी गुरुग्राम के मैनेजिग डायरेक्टर सुनील नंदा ने बताया था कि राधाकुंड के जल में टीडीएस 775.61 एमएल और श्यामकुंड में 775.08 एमएल पाया गया। जबकि 1000 मिलीग्राम लीटर होना चाहिए। राधाकुंड में डीओ 6.96 व श्याम कुंड में 6.96 पाया गया, जबकि 5 मिलीग्राम लीटर होना चाहिए, बीडीओ 15.03 श्यामकुंड में 15.02 पाया गया, जबकि 5 मिलीग्राम होना चाहिए। इसकी शुद्धता के लिए न्यूलगी बैक्टीरिया डाला गया था। हालांकि यह प्रयास नाकाफी साबित हुए।
एनजीटी में भी चल रही है सुनवाई
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में सुशील राघव ने याचिका दायर कर राधा और श्याम कुंड में सीवेज और घरेलू कचरे के निर्वहन को रोकने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की थी। एसएन मेडिकल कालेज की रिपोर्ट के मुताबिक पानी पीने के लायक नहीं था।