Holi in Braj : सोने-चांदी की पिचकारियों से छूटेगी टेसू के रंगों की फुहार, द्वारिकाधीश मंदिर में ये होंगे आयोजन
द्वारिकाधीश मंदिर में छह मार्च को रंगभरनी एकादशी से होली के रंग चटक हो जाएंगे।
मथुरा, जेएनएन। सखी भागन से फागुन आओ। ब्रज में फाग की मस्ती कुछ ऐसी ही है। समूचा ब्रज भक्ति के रंग में सराबोर है। होलिका अष्टक लगते ही ब्रज की आभा होली के रंगों में सतरंगी हो जाएगी। द्वारिकाधीश मंदिर में सोने-चांदी की पिचकारी से टेसू के रंगों की बौछार श्रद्धालुओं पर की जाएगी। हाथरस, बनारस से अबीर-गुलाल मंगाया गया है। द्वारिकाधीश मंदिर में छह मार्च को रंगभरनी एकादशी से होली के रंग चटक हो जाएंगे।
रंगभरनी एकादशी के दिन सुबह दस से 11 बजे तक ठाकुरजी को कुंज में विराजमान किया जाएगा। सोने-चांदी की पिचकारी से भक्तों पर टेसू के रंगों की बौछार की जाएगी। सात मार्च को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक फूल, पत्तों का बगीचा सजाया जाएगा। ठाकुरजी इसमें विराजमान होंगे। अबीर-गुलाल उड़ाया जाएगा। नौ
मार्च को सभी झांकियों में श्रद्धालुओं को होली का आनंद मिलेगा। दस मार्च को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक डोल महोत्सव में भी रंगों की बरसात होगी। इन आयोजनों के लिए 20 मन अबीर गुलाल और करीब 20 मन टेसू के फूलों का रंग तैयार किया जाएगा। अबीर-गुलाल हाथरस और बनारस से मंगाया जा रहा है। मंदिर के मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी ने बताया कि होली पर सोने-चांदी की पिचकारी से रंगों की बौछार की जाएगी। होली के प्रमुख आयोजनों की तैयारी शुरू हो चुकी हैं। श्रद्धालु रोजाना रसिया गायन का आनंद ले रहे हैं।
यह हैं आयोजन
- 06 मार्च को रंगभरनी एकादशी सुबह दस से 11 बजे तक।
- 07 मार्च को बगीचा में होली दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक
- 09 मार्च को होली समयानुसार
- 10 मार्च को डोल महोत्सव दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक।
मांगी है सुरक्षा
द्वारिकाधीश में होली के प्रमुख आयोजनों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। मंदिर प्रशासन चाहता है कि श्रद्धालुओं का आवागमन सुगम बना रहे और कोई अभद्रता न हो। इसलिए होलीगेट और चौक बाजार से आने वाले ट्रैफिक को वन वे करने की मांग की गई है। सुरक्षा के लिए चार महिला पुलिस, एक दारोगा, चार सिपाही की मांग की गई है।
ये है मंदिर का इतिहास
मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था जो ग्वालियर रियासत का खजांची थेे। यह मंदिर विश्राम घाट के नज़दीक है जो शहर के किनारे बसा प्रमुख घाट है। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियांं हैं। इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियांं भी हैं। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यह मंदिर रोज़ हज़ारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है। होली और जन्माष्टमी पर यहांं भीड़ और भी बढ़ जाती है।