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Holi 2020: कुंज में आए द्वारिकाधीश, रंगों में सराबोर तन- मन

टेसू के रंगों की बौछार से झूम उठी श्रद्धा। होली के रंग में रसियाओं पर झंकृत हुई भक्ति।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 03:59 PM (IST)
Holi 2020: कुंज में आए द्वारिकाधीश, रंगों में सराबोर तन- मन
Holi 2020: कुंज में आए द्वारिकाधीश, रंगों में सराबोर तन- मन

मथुरा, जेएनएन। शुक्रवार को रंगभरनी एकादशी पर श्रद्धालुओं का तन- मन रंगीन हो उठा। द्वारिकाधीश भी होली खेलने के लिए कुंज में आ गए। पिचकारियों से ऐसी रंगों की बौंछार हुई कि धरती अंबर झूम उठेे। अबीर गुलाल से जगमोहन ही नहीं पूरा मंदिर परिसर रंगीन हो गया। रसियों पर ऐसी मस्ती चढ़ी कि श्रद्धालुअों का तन-मन झंकृत हो गया।

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शुक्रवार को द्वारिकाधीश मंदिर में रंगभरनी एकादशी का आयोजन था। कुंज में प्रभु को विराजमान कर अबीर-गुलाल धराय गए। मंदिर में अबीर गुलाल उड़ाया गया और टेसू के रंगों की बौंछार से मंदिर में रंगों के बादल छा गए। फिर होली का ऐसा रंग चढ़ा कि घंटों तक छूट नहीं सका। सेवायत रंग और अबीर गुलाल उड़ा रहे थे और भक्त होली की मस्ती में चूर थे। आज ब्रज में होरी रे रसिया जैसे रसियाओं पर श्रद्धालुआें के साथ सृष्टि भी नाच उठी। इस आनंद को लूटने के लिए हजारों भक्त मंदिर में एकत्रित हुए थे। मंदिर परिसर में तिनका मात्र जगह नहीं थी और होली रंगों में भीगकर सभी झंकृत हो रहे थे। सुबह दस से 11 बजे तक हुई रंगाें की होली में ठाकुरजी के दर्शन कर श्रद्धालु निहाल हो गए। ठाकुरजी के जयघोषों ने वातावरण को रंगीन कर दिया। प्रिया-प्रियतम की इस होली का दूश्य श्रद्धालुओं ने नयनों में बसा लिया। मीडिया प्रभारी एड. राकेश तिवारी, मंदिर अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, बीएन चतुर्वेदी, बनवारीलाल, बलदेव भंडारी, सत्यनारायण शर्मा, राजीव चतुर्वेदी, बृजेश चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

तीन दिन होंगे ये आयोजन

द्वारिकाधीश मंदिर में रंगभरनी एकादशी के बाद के तीन दिन भी कम महत्‍वपूर्ण और उल्‍लासपूर्ण नहीं हैं। शनिवार सात मार्च को बगीचा में होली दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक होगी। सोमवार नौ मार्च को होली समयानुसार होगी और 10 मार्च को डोल महोत्सव दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक होगा।

मंदिर का इतिहास

मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था जो ग्वालियर रियासत का खजांची थेे। यह मंदिर विश्राम घाट के नज़दीक है जो शहर के किनारे बसा प्रमुख घाट है। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियांं हैं। इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियांं भी हैं। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यह मंदिर रोज़ हज़ारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है। होली और जन्माष्टमी पर यहांं भीड़ और भी बढ़ जाती है। 


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