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Holi Special: बरसाना की होली में रंगों की बौछार संग बरसे प्रेम से पगे लठ्ठ

बरसाना की विख्यात लठामार होली में नंदगांव के आए मन बसिया। उल्लास उमंग और श्रद्धा भाव से सराबोर लाखों श्रद्धालुओं ने डाला ब्रज में डेरा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 01:05 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 09:13 PM (IST)
Holi Special: बरसाना की होली में रंगों की बौछार संग बरसे प्रेम से पगे लठ्ठ
Holi Special: बरसाना की होली में रंगों की बौछार संग बरसे प्रेम से पगे लठ्ठ

आगरा, जेएनएन। युवाओं के सिर पर पग और हाथ में ढाल, ढोल नगाड़ों की थाप। दूसरी तरफ तेल पिली लाठियां लेकर सजी-धजी महिलाएं। इन टोलियों को घेरे खड़े हजारों लोग। गुलाल के रंगों में रंगीन हवा। पिचकारियों से लाल रंग से सरोबार करने को बेताब। नगाड़े पर थाप पड़ते ही होली का हुड़दंग शुरू। दनादन प्रेम पगी लाठियों की बौछार और रंगों की फुहार के बीच होली का उल्‍लास। खूब छनी भांग और छलके ठंडाई के कुल्‍लड़। हुरियारिनों के प्रहार के आगे हुरियारे पानी मांग गए। दनादन लाठियां बरसीं तो हुरियारे आह-आह करते नजर आए। लठामार होली में बरसाना क्‍या देश-दुनिया से आए लोग भी होली की तरंग में झूमते रहे। 

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बरसाना में शुक्रवार शाम चार बजे लठामार होली शुरू हुई। इससे पहले सुबह मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही लोग अपनी आराध्य शक्ति लाडिली जी की एक झलक पाने के लिए पहुंच गए थे। कोई सीढिय़ां चढ़ रहा था तो कोई पालकी में सवार होकर ब्रह्मांचल पर्वत के शिखर पर विराजमान राधारानी की शरण में पहुंचा।
जब श्रीजी मंदिर के कपाट खुले और पट उठे तो मंदिर परिसर राधे-राधे के जयघोष से गुुंजायमान हो उठा। टकटकी लगाकर राधारानी के दर्शन करने की मनोकामना आज तीर्थयात्रियों की पूरी नहीं हो पा रही थी। जितने श्रद्धालु दर्शन करके मंदिर के निकास द्वार से निकलते, उतने ही प्रवेश द्वार से अंदर आ रहे थे। बरसाना की गलियां होली की उमंग से इतरा रहीं थीं। बाजार सजे हुए थे और दुकानों पर रंग बिरंगी पगड़ी सजी रखी हैं। उत्साही हुरियारे गुलाल खरीदते और सिर पगड़ी रखते और फिर इठलाते हुए मंदिर की तरफ बढ़ जाते। सेल्फी और फोटोग्राफी करना कोई नहीं भूल रहा था। कोई पहाड़ी के शिखर से बरसाना को निहार रहा है तो कोई धरा से राधारानी मंदिर की खुबसूरत तस्वीर को अपने दिल में उतार रहा है। धोती कुर्ता, लहंगा-चुनरी पहने तीर्थयात्री अपनी देसी संस्कृति सभ्यता को जीवंत किए हुए हैं।
कपोलन पर राधे नाम की लगी छाप भक्ति के संग संग होरी के रंग रसीले प्रेम को गहरा कर रही थी। सुबह आठ बजे से दो बजे तक यही क्रम चलता रहा। इसके बाद राधाजी मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए, पर हुरियारे बनकर आए तीर्थयात्री मंदिर के बाहर ही राधे राधे जपते रहे। नंदगांव के नटवर नंद किशोर की टोली गेरुआ और पीली बगलबंदी पहने हुए बरसाना की तरफ बढ़ रहे थे। सिर पर रंग बिरंगी पगड़ी और हाथ में लाठी ढाल लेकर आगे ऐसे बढ़ रहे थे, जैसे वह राधारानी और उनकी सखियों से होरी में जंग जीतने ही वाले थे। प्रिया कुंड पर सभी ने भांग छानी और फिर उसकी तरंग के साथ ही होली की मस्ती भी हिलोर भरने लगी। सभी मंदिर की तरफ बढ़े और गायन हुआ। उतर कर नीचे आए तो रंगीली गली में राधारानी ने अपनी सखियों के संग घेर लिए। संकरी गली और ऊंची ऊंची हवेलियों के बीच कान्हा की टोली फंस गई। खूब जोर लगाया, पर एक नहीं चली। खिसिया कर ताली बजाई और गाली सुनाई। श्रीजी और उनकी सखियां भी ताव में आ गई। उठा ली लाठी और तड़ातड़ हुरियारों पर बरसाने लगी। भगदड़ मच गई। कोई ढाल अड़ावे तो कोई लाठी से अपनी जान बचावे। सबरी हेकड़ी हुरियारों की बरसाने में राधारानी ने निकाल कर रख दी। कोई हाथ जोड़े तो कोई पांय पड़े। पर, लाठी की मार लगातार बेचारे हुरियारों पर पड़ती रही। हुरियारों के मुख से अब यही बोल सुनाई दे रहे थे कि अब नाय कबहू तौय दैवेंगे गारी, आज जान बख्श राधा प्यारी।

रंगीली पर वीआइपी का कब्जा, खचाखच भरी रही गलियां
बरसाना की रंगीली गली में शुक्रवार की शाम को नंदगांव के बालक, युवा और वृद्ध लाठी ढाल हाथों में लेकर आए और गोरियों को ताली बजा बजा कर गाली देने लेगे। ताव में आई गोरियों ने एक साथ उनके ऊपर लाठियों से ताबड़तोड़ प्रहार किए। मार-मार कर बेहाल कर दिया। भगदड़ मच गई और सभी संकरी गली में फंस गए। डीएम और एसएसपी चुपचाप बैठकर देखते रहे और सुरक्षाकर्मी भी मूक दर्शक बने रहे। करीब दो घंटे तक बरसे लठ्ठ की मार से कोई भी घायल नहीं हुआ है।

हार गए हुरियारे, भारी पड़ी हुरियारिनें
दोपहर में ही नंदगांव के सैकड़ों बालक, युवा और वृद्ध अपने-अपने हाथों में लाठी और ढाल लेकर पीली पोखर पर आ गए थे। एक महीने से नंदगांव में लाठी और ढाल इस लड़ाई के लिए तैयार की जा रही थी। तेल पिलाकर नंदगांव के कुंवर कन्हैया अपने ग्वाल, बाल सखाओं के संग कमर कसकर आए थे। बादाम की ठंडाई में भोलेनाथ की बूटी भंग छानी और उसकी तरंग चढ़ते ही श्रीजी मंदिर की तरफ कूच कर गए। यहां गोस्वामी समाज का जमकर रसिया दंगल हुआ था। दंगल में बराबारी की कुश्ती रही। शाम को करीब चार बजे नंदगांव के हुरियारे टेसू केसर के रंग, गुलाल अबीर से नीले, पीले, लाल गुलाबी चेहरे लिए नीचे उतर कर आए। रंगीली गली में राधारानी भी पहले से अपनी सखियों के साथ घात लगाकर बैठी थी। तीन-चार महीने से बादाम डाल कर दूध पी रही राधाजी की सखियों ने हुरियारों को संकरी गली में घेर लिया। मौका देखकर हुरियारे भी शरारत पर उतर आए। गाली गा गा कर हुरियारिनों को उकसाया। लहंंगा, चुंदर और श्रृंगर कर खड़ी सखियों के कोमल हाथों ने लाठियां उठा ली और हुरियारों पर टूट पड़ी। करीब दो घंटे तक हुरियारों को बरसाने की हुरियारिनों ने जमकर धुना। पूरी दम लगाकर उनके ऊपर लाठियां बरसाई और हुरियारे हर प्रहार को अपनी लाठी और ढाल पर झेलते-झेलते थक कर चकनाचूर हो गए। उठना मुश्किल हो गया। जान बचाने के लाले पडऩे लगे। लाठियों की बेरहम मार झेलने की शक्ति जबाव दे गई तो सभी ने हुरियारिनों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया।

बरसाने की हुरियारिन जीत गई और नंदगांव के हुरियारे हार गए। हुरियारिन दौड़ी-दौड़ी श्रीजी मंदिर में पहुंची और बताया कि हमने पूरी दम लगाकर लठ्ठ मारे। सभी हुरियारे हार गए। श्रीजी का आशीर्वाद लेकर हुरियारिन अपने घरों को वापस आ गई। यह पूरा घटनाक्रम डीएम सर्वज्ञराम मिश्र और एसएसपी एएस पंकज की मौजूदगी में घटित हुआ। लाखों लोग इसके गवाह थे। पुलिस भी मूक दर्शक बनी रही।


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