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Holi Special: पहली बार राधारानी हुईं तैयार अपनी सखियों संग यहां रंग बिखेरने को

पहली बार शहीद भगत सिंह क्रांति दल की ओर से अष्टसखी गांव की महिलाएं भी होली में अपनी सहभागिता देंगी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 02:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 02:28 PM (IST)
Holi Special: पहली बार राधारानी हुईं तैयार अपनी सखियों संग यहां रंग बिखेरने को
Holi Special: पहली बार राधारानी हुईं तैयार अपनी सखियों संग यहां रंग बिखेरने को

आगरा, जेएनएन। अपनी अष्टसखियों के साथ नंदगांव के हुरियारों पर प्रेमपगी लाठी बरसाती नजर आएंगी बृषभान दुलारी। यह सुनकर आपको अजीब तो लग रहा होगा क्योंकि बरसाना की लठामार होली में तो सिर्फ कस्बे की ही महिलाएं नंदगांव के हुरियारों पर लाठी बरसाती नजर आती हैं। 

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पहली बार शहीद भगत सिंह क्रांति दल की ओर से अष्टसखी गांव की महिलाएं भी होली में अपनी सहभागिता देंगी। इसके लिए दल के कार्यकर्ताओं ने अष्टसखी गांव जाकर महिलाओं को तैयार किया है।

विश्व पटल पर बरसाना की लठामार होली वैसे तो प्रसिद्ध है, लेकिन उक्त होली में और चार चांद लगाने के लिए शहीद भगत सिंह क्रांति दल प्रयासरत है। बंद पड़ी चौपाई को प्रारम्भ कराने के साथ दल ने अष्टसखी गांव की महिलाओं को भी होली खेलने के लिए जागरूक किया है।

द्वापरयुग में कृष्ण व उनके सखाओं के साथ बृषभान नंदनी अपनी अष्टसखी ललिता, विशाखा, सुदेवी, चित्रलेखा, इंदुलेखा, तुंगविद्या, चम्पकलता, रंगदेवी के साथ होली खेला करती थीं। उसी प्राचीन स्वरूप को जीवंत करने के लिए क्रांति दल के कार्यकर्ताओं ने अष्टसखी गांव की आठ महिलाओं को होली खेलने के लिए तैयार किया है। यह महिलाएं ऊंचागांव, सुनहरा, चिकसोली, डवाला, रांकोली, आजनोक, करहला व कमई गांव की होंगी।

यह महिलाएं होंगी शामिल

डवाला की सरोज शर्मा, रांकोली की कृष्णा शर्मा, ऊंचागांव की लक्ष्मी शर्मा, कमई की कमलेश शर्मा, करहला की बबिता शर्मा, आजनोक की सुमन शर्मा, सुनहरा की सरोज शर्मा, चिकसोली की भावना शर्मा।

फूलों की होली भी होगी

बृषभान नन्दनी अपनी अष्टसखियों के साथ कस्बे के कटारा पार्क पर नंदगांव के हुरियारों पर अपनी प्रेमपगी लाठी बरसाती नजर आएंगी। राधाकृष्ण के स्वरूपों की ओर से फूलों की होली भी होगी। क्रांति दल प्राचीन संस्कृति को जीवंत करने में जुटा हुआ है।

- पदम फौजी, संस्थापक,

शहीद भगत सिंह क्रांति दल।

सैंकड़ों वर्ष पुरानी है परंपरा

प्राचीनकाल में राधा अपनी इन्हीं अष्टसखियों के साथ कान्हा व उनके सखाओं के साथ होली खेला करती थी। साढ़े पांच सौ वर्ष पहले श्रील नारायण भट्ट ने भी अष्टसखी गांव की महिलाओं के साथ बरसाना की लठामार होली प्रारम्भ कराई थी, लेकिन बदलते समय के साथ इन गांव की महिलाओं ने रुचि लेना बंद कर दिया था। इसके चलते अष्टसखी गांव की महिलाएं होली खेलना बंद कर दिया।

- घनश्यामराज भट्ट, प्रवक्ता

ब्रजाचार्य पीठ ऊंचागांव।

पहली बार बनेंगी होली की नायिका

हम होली को लेकर बड़ी उत्साहित हैं। पहली बार हमें होली की नायिका बनने का सौभाग्य मिलेगा। इसके लिए तैयारी शुरु कर दी है। आज तक सिर्फ होली देखते थे, लेकिन अब खेलने का मौका मिलेगा। इसको लेकर हम बड़े आनंदित है।

सरोज शर्मा, डवाला।

बरसाना की लठामार होली देखते हुए वर्षो बीत गए, लेकिन कभी खेलने का कोई मौका नहीं मिला। जबकि हम भी अष्टसखी गांव से है फिर भी आजतक नंदगांव के हुरियारों पर अपनी प्रेमपगी लाठी बरसाने का सिर्फ सपना ही था। क्रांति दल के सहयोग से पहली बार अष्टसखी गांव की सभी महिलाएं राधारानी की सहचरियों के रूप मे भाग लेंगी।

कमलेश शर्मा, कमई।

नगाड़ों की तान पर नाचतीं हैं हुरियारिनें

बृज में चहुंओर होली की धूम मची हुई है। गांव- देहात में भी होली का रंग और गुलाल उडऩे लगा है। चारों ओर होली के रसिया सुनाई दे रहे हैं। होली के इन त्योहारों को बृजवासी अनूठे ढंग से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। विभिन्न कलाओं के बीच फाल्गुन सुदी एकादशी को मथुरा के नौहझील के समीप गांव मरहला मुक्खा में होली का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। यहां नगाड़ों (बम्ब), ढप, ढोल, मृदंग की तान पर हुरियारे और हुरियारिनें नृत्य करते हैं। सामूहिक गायन भी होता है। लोग नृत्य का आनंद लेते हैं। नृत्य देखने के लिए आस पास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। होली मिलन समारोह के रूप में यमुना मैया को समर्पित पारंपरिक मेले में कई गांवों के हुरियारे भाग लेते हैं। परंपरा के अनुरूप ग्रामीण तड़के यमुना मैया की पूजा-अर्चना कर एकादशी का पर्व मनाते हैं। बरौठ, पालखेड़ा, सुहागपुर, सलाका, बाघर्रा, पारसौली, बाजना, जरैलिया, मानागढ़ी, तिलकागढ़ी, दौलतपुर, इनायतगढ़, छिनपारई, मुकदुमपुर, देदना सहित कई गांवों के लोग मरहला मुक्खा पहुंचते हैं। रात्रि में जिकड़ी भजनों का भी आयोजन किया जाता है।


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