HIV Positive: 700 से ज्यादा परिवार ताजनगरी में झेल रहे इस बीमारी का दंश Agra News
माता-पिता के साथ बच्चे भी झेल रहे एचआइवी पॉजिटिव होने का दंश। समाज और स्वजनों के डर से नहीं बताते सच्चाई।
आगरा, प्रभजोत कौर। एचआइवी पॉजिटिव होने का दर्द एक तरफ और समाज से बहिष्कृत होने का डर दूसरी तरफ। दर्द और डर के बीच सिमटी जिंदगी शहर के कई परिवार जी रहे हैं। अपने बच्चों के लिए भगवान से रोज लंबी उम्र की दुआ तो करते ही हैं, साथ ही यह भी कामना करते हैं कि किसी को भी पता ना चले कि वे किस बीमारी के शिकार हैं। शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में ऐसे ही कुछ परिवारों से जागरण ने बात कर जाना उनका दर्द-
बोदला निवासी एक परिवार में पति-पत्नी और उनके 12 साल के बेटे को एचआइवी पॉजिटिव है। महिला ने बताया कि शादी को 14 साल हो गए हैं। शादी के तुरंत बाद ही पति को डेंगू हुआ। खून चढ़ाया गया। इसके बाद से ही पति बीमार रहने लगे। जांच हुई तो एचआइवी पॉजिटिव होने की जानकारी मिली। उसके बाद ही उनके बेटा हुआ जो एचआइवी पॉजिटिव था। महिला को भी पति से ही ये रोग मिला। महिला ने बताया कि पति ने अपनी मां से इस बीमारी की बात साझा की तो मां ने अपने बेटे को ही अपनी चारपाई से उठा दिया कि कहीं और रहो। मुझे इस बीमारी से दूर रखो। परिवार तभी से किराए के घर में रहता है।
सिकंदरपुर निवासी परिवार की भी यही कहानी है। 2011 में पति की बीमारी में खून चढ़ा। पति से ये रोग मिला। अब बच्चे भी इस रोग के साथ ही बड़े हो रहे हैं। घर में किसी को नहीं पता है। सिर्फ पति-पत्नी ही एक-दूसरे का दर्द बांटते हैं।
ट्रांस यमुना में भी एक ऐसा ही परिवार है। इस परिवार में माता-पिता के साथ ही दोनों बच्चे भी एचआइवी पॉजिटिव हैं। महिला ने बताया कि पति ने दिल्ली में एक होटल में कई साल नौकरी की। अपने शहर लौट कर नौकरी ज्वाइन की तो सभी जांचें हुई। उसमें बीमारी का पता चला। नौकरी भी गई और समाज से बहिष्कृत होने का डर भी मिला।
शहर में 700 से ज्यादा परिवार प्रभावित
आगरा पॉजिटिव पीपल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अनिल राठौर बताते हैं कि शहर में 700 से ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनमें माता-पिता और बच्चे एचआइवी पॉजिटिव हैं। सभी की पहचान गुप्त रखी जाती है क्योंकि समाज में आज भी लोग इसे छूत की बीमारी मानते हैं। कितनी भी काउंसलिंग कर लें, जागरूकता कार्यक्रम चला लें। इस बीमारी को लेकर सोच नहीं बदल रही है।