Move to Jagran APP

विश्व नगर दिवस: ताज का शहर बन सकता है सरताज, जानिये मोहब्बत की नगरी का इतिहास

बहुत कुछ खोया, अब भी प्रयास कर बचा लेंगे शहर। शहर को सहेजने के लिए खुद आना होगा आगे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 02:09 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 02:37 PM (IST)
विश्व नगर दिवस: ताज का शहर बन सकता है सरताज, जानिये मोहब्बत की नगरी का इतिहास
विश्व नगर दिवस: ताज का शहर बन सकता है सरताज, जानिये मोहब्बत की नगरी का इतिहास

आगरा [जागरण संवाददाता]: अपना आगरा। ये वो शहर है जिसका डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। संगमरमरी हुस्न के ताज से जिसकी पहचान है। सात समंदर पार भी हम सीना ठोंककर कहते हैं कि हम ताजनगरी से हैं। उस शहर में हमने बहुत कुछ खो दिया।

loksabha election banner

प्रदूषण की मार झेल रहे शहर में ताज बचाने को औद्योगिक विकास का पहिया थमा, तो रोजगार के नए साधन भी नहीं पनप पाए। नया पाने की उम्मीद में हमने पुराना भी बहुत कुछ खो दिया। जिस ताज पर नाज है, उसे भी सहेजने में हम फेल हो रहे हैं। कई और ऐतिहासिक इमारतें भी हैं, जो परदेसियों को इस धरती पर खींच लाई हैं। हमें स्मार्ट सिटी मिलेगी, हेरिटेज सिटी का तमगा भी हमारे खाते में आएगा। ...और तो और मेट्रो भी शहर का सफर काफी आसान कर देगी। बस जरूरत है तो हमें जागरूक होने की। जो खोया वह भले ही वापस न आए, लेकिन जो आना है, उसका बेहतर इस्तकबाल हो, ये संकल्प भी हमें भी लेना होगा। जागरण ने आंकड़ों के आइने से शहर की तस्वीर पेश करने की कोशिश की है।

ताजमहल

मोहब्बत की इस निशानी पर पूरी दुनिया फिदा है। लेकिन यहां की अव्यवस्थाएं पर्यटकों को परेशान करती हैं। लपकों से लेकर अन्य समस्याओं तक अब पर्यटक भी परेशान हैं।

आगरा किला

मुगलकाल की शान आगरा किले में कदम-कदम पर विरासत, तो जर्रे-जर्रे में इतिहास छिपा है। ताज के शहर में पर्यटक आएं और किले का दीदार न करें, ऐसा नहीं हो सकता। ऐसे में हम पर भी इसे सहेजने की जिम्मेदारी है।

स्मार्ट सिटी एक नजर में

  • 393 करोड़ की 13 प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाई गई है।
  • 1000 करोड़ से शहर को स्मार्ट बनाया जा रहा है।
  • 9 जनवरी 2017 को आगरा स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड का गठन हुआ।
  • 14 सितंबर 2017 से कंपनी ने कार्य शुरू किया ।

अपेक्षा-

इसके लिए एकजुट होकर विकास कार्य तेजी से कराने होंगे।

हेरिटेज सिटी

  • 5 किमी के दायरे में हेरिटेज सिटी विकसित करने का लक्ष्य है।
  • 82 लाख रुपये प्रस्ताव तैयार करने परं खर्च होंगे।
  • 7 साल शहर को हेरिटेज सिटी बनाने में लगेंगे।

अपेक्षा-

इसे रफ्तार देने के लिए जनप्रतिनिधियों को भी जुटना होगा।

गंगाजल प्रोजेक्ट

  • 387 करोड़ की लागत से जल निगम ने इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव 2005 में तैयार किया था।
  • 29 सौ करोड़ रुपये अब इसकी लागत बढ़कर हो गई है।
  • 2014 दिसंबर में पाइप लाइन के टेंडर हुए और काम चालू हुआ।
  • 350 एमएलडी गंगाजल नवंबर के पहले सप्ताह से मिलना शुरू होगा।
  • 15 दिनों तक इसकी क्लीनिंग होगी।
  • 30 नवंबर से शहर में गंगाजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।

नोट:

इससे शहर को पेयजल समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल जाएगा।

ताज बैराज

  • 2017 अक्टूबर में यमुना पर बैराज निर्माण की कवायद शुरू हुई।
  • 706 करोड़ रुपये बैराज की डीपीआर है।
  • 50 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार ने आहरित कर दिए।
  • 450 मीटर लंबा व 146 मीटर ऊंचा होगा बैराज।

अपेक्षा-

इसके लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।

हाल शहर का

प्रति व्यक्ति आय

68939 रुपये वर्ष 2011-12 में थी प्रति व्यक्ति आय।

85496 रुपये हो गई 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय।

वाहनों पर एक नजर

  • 8,49,152 मोटर साइकिल हैं जिले में।
  • 1,25,231 कार हैं पूरे आगरा में।
  • 25946 ट्रैक्टर भी ताजनगरी में दौड़ रहे।
  • 17034 चार व तीन पहिया व्यावसायिक वाहन।
  • 1905 बसें भी दौड़ रहीं।
  • 5202 टैक्सी फर्राटा भर रहीं।

नोट-वाहनों की बढ़ती संख्या जाम का कारण बन रही है। इससे छुटकारा पाने को पुल बनवाने होंगे, रोड भी चौड़े कराने होंगे।

एक नजर शिक्षा पर

71.5 फीसद साक्षरता पूरे जिले की है।

80.60 फीसद पुरुष साक्षर हैं।

61.1 फीसद महिला साक्षर हैं।

अपेक्षा-इसमें सुधार के लिए भी शासन स्तर से प्रयास करने होंगे। बेसिक से लेकर उच्चशिक्षा जक कॉलेज भी बढ़वाने होंगे।

इतिहास के पन्नों में अंगिरा से आगरा तक का सफर 

आगरा कॉलेज के इतिहास विभाग प्रोफेसर डॉ. अपर्णा पोद्दार के अनुसार आगरा शहर से जुड़ीं कई गाथाएं पौराणिक कहानियों में मिलती हैं। कई पुस्तकों में अलग अलग इतिहास दर्ज है इस शहर का। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक हजार वर्ष ईसा पूर्व महर्षि अंगिरा के वंशज अंगिरस थे जिनकी ऋचाएं ऋग्वेद में मिलती हैं। माना गया है कि अंगिरस के वर्चस्व के कारण आगरा को अंगिरा के नाम से जाना जाता रहा होगा। वहीं ब्रज मंडल के 12 वन हैं जैसे कोटवन, वृंदावन उसी तरह से आगरा को अग्रवन माना गया। प्रमाण आगरा नगर की पौराणिकता का बखान स्वत: करते हैं। डॉ. अपर्णा बताती हैं कि दो सौ ईसा पूर्व में शुंगकाल का बना शिवलिंग पोइया घाट पर प्राप्त हो चुका है। प्रथम शताब्दी में कनिष्क काल की गांधार शैली की मूर्तियां भी यहां प्राप्त हो चुकी हैं। यहां प्राप्त हुईं जैन और बौद्ध प्रतिमाएं मथुरा संग्राहलय में सुरक्षित हैं। जोकि आगरा क्षेत्र में पांचवी से सातवीं सदी के मध्य की बनी हुई प्रतीत होती हैं। 

वहीं इतिहास की कुछ किताबों में जिक्र है कि आगरा में अकबर द्वारा बनवाए गए किला से पूर्व 1475 में राजा बादल सिंह ने दुर्ग बनवाया था। उसके स्थान पर अकबर ने यहां किला का निर्माण कराया। 

वहीं ब्रिटिशकाल गजटियर के अनुसार मुस्लिम शासकों से पूर्व तोमर राजा मान सिंह का अधिकार यहां था। वे ग्वालियर के राजा थे, आगरा उनके अधिकार क्षेत्र में आता था। इसके बाद 

बहलोल लोधी ने अपने अंतिम समय में पुत्र सिकदर लोधी को आगरा सहित दिल्ली का क्षेत्र प्रदान किया था।

1503 में सिकंदर लोधी ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था। कहते हैं कि यमुना किनारा पर वो राजधानी बनाना चाहता था। उसके निरीक्षकों ने अग्र वाली जगह राजधानी के लिए बताई थी। इसके बाद से यहां का नाम आगरा पड़ गया। 1526 में बाबर ने इब्राहिम लोधी के साथ युद्ध जीता और आगरा को अपने अधिकार में ले लिया। लेकिन बाबर को शहर के यमुना किनारा का हिस्सा पसंद नहीं आया तो उसने आरामबाग वर्तमान में जिसे रामबाग कहते हैं बनवाया। इसका जिक्र बाबर नामा में भी मिलता है। 

इसके बाद एक के बाद एक मुगल शासक आते रहे और आगरा हिन्दुस्तान की राजधानी बना रहा। शाहजहां के शासनकाल तक आगरा हिंदुस्तान की राजधानी बना रहा। इसके बाद शाहजहां ने दिल्ली को राजधानी बना दिया और तब औरंगजेब ने वहीं से राज किया। 

आइटी पार्क विकसित हुआ तो मिलेगा रोजगार

बेशक हमारे आगरा ने आजादी के बाद विकास के नए आयाम लिखे हैं। जिस ताज पर हमें नाज है, उसने उद्योगों की कमर तोड़ी है। उद्योग धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं, लोग बेरोजगार हो रहे हैं। जबकि हकीकत ये कि हमें जितनी सुविधाएं पर्यटकों को देनी चाहिए, नहीं दे पा रहे। पहले जैसा आगरा अब नहीं रहा। वाहनों का दबाव बढ़ा है, प्रदूषण की मार भी। यदि उद्योग नहीं लगा सकते, तो इसे विकसित करने के और भी रास्ते हैं। दिल्ली के बड़े दफ्तर जो मेरठ शिफ्ट हो रहे हैं, उन्हें आगरा शिफ्ट कराया जाए। आइटी पार्क विकसित करेंगे तो निश्चित ही यहां का विकास होगा, युवाओं को रोजगार मिलेगा। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा।

राजकिशोर राजे, इतिहासकार

विकास को करें संयुक्त प्रयास

हमें संयुक्त प्रयास करने होंगे ताकि हमारा शहर ताज की तरह सुंदर हो। यदि बेहतर संकल्प के साथ शहर का विकास हो तो निश्चित ही सकारात्मक परिवर्तन दिखेगा। हर शहर की समस्याएं हैं। जैसे कूड़े का निस्तारण, सीवर लाइन, स्वास्थ्य समस्या। लेकिन इन सबके समाधान के लिए प्रशासन के साथ ही हमें भी प्रयास करने होंगे।

डॉ. गिरीश गुप्ता, चिकित्सक

विकसित करने होंगे रोजगार के अवसर

शहर के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि यहां रोजगार के अवसर विकसित किए जाएं। यहां की प्रतिभाओं को काम मिले। प्रदूषण को देखते हुए हम आगरा में बहुत कुछ नहीं कर सकते। लेकिन शिक्षा के अच्छे संस्थान और विकसित हो सकते हैं। आइटी पार्क के जरिये यहां युवाओं को रोजगार दिया जा सकता है। यदि ऐसा हो तो निश्चित ही हमारा शहर पूरी तरह विकसित होगा।

रिदम गर्ग, आयरमैन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.