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Hello Gang ने बदला वारदात का तरीका, अब ऐसे चला रहे फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी Agra News

पहले समाचार पत्र में नौकरी का विज्ञापन देकर फंसा रहे थे शिकार। अब कराते हैं एप पर रजिस्ट्रेशन।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 10:20 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 03:04 PM (IST)
Hello Gang ने बदला वारदात का तरीका, अब ऐसे चला रहे फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी Agra News
Hello Gang ने बदला वारदात का तरीका, अब ऐसे चला रहे फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। चंबल के बीहड़ से फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले गिरोह ने अब अपना तरीका बदल लिया है। अब समाचार पत्रों में विज्ञापन देने के बजाय ऑनलाइन शिकार तलाश रहे हैं। कई राज्यों में ठगी कर चुके इस गिरोह के सरगना समेत अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को यह जानकारी हुई।

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बाह, पिनाहट और जैतपुर के दर्जनभर से अधिक गांवों में हेलो गैंग सक्रिय है। ये महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में समाचार पत्रों में नौकरी का विज्ञापन देते थे। वहीं की सिम लेकर उसका नंबर विज्ञापन में दिया जाता। इस पर कॉल करने पर लोग जाल में फंस जाते थे। उनसे ऑनलाइन पंजीकरण के नाम पर रकम अपने खातों में जमा करा लेते थे। पुलिस इस तरह के अलग-अलग गिरोहों के दो दर्जन सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। शुक्रवार को पुलिस ने जैतपुर क्षेत्र से हेलो गैंग के सरगना समेत नौ गिरफ्तार किए। यह गैंग फर्जी ऑनलाइन ट्रांसपोर्ट कंपनी चला रहा था। जस्ट डाइल और ई ट्रक एप पर पंजीकरण कराके ठगी का गिरोह चला रहे थे। ट्रक भाड़ा या अपना सामान दूसरी जगह शिफ्ट करने को ऑनलाइन मूवर्स, पैकर्स सर्च करने वालों को ये जाल में फंसा लेते थे। झांसा देकर ये शातिर लोगों से कमीशन के रूप में रकम अपने खातों के डलवाते थे। हेलो गैंग में रिषभ, आदेश और प्रेम सिंह सरगना हैं। अन्य छह इनके सहयोगी हैं। दिलीप गिरोह को प्री एक्टिवेटिड सिम उपलब्ध कराता था। ये गैंग महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और ओडिसा में लोगों को शिकार बना चुके हैं। ऑनलाइन मूवर्स पैकर्स और ट्रक भाड़ा सर्च करने वाले लोगों को ये जाल में फंसाते थे। एप पर दिए नंबरों पर कॉल करने पर ये शातिर सस्ते का लालच देकर लोगों को फंसा लेते थे। इसके बाद उन्हें कमीशन के तौर पर पांच हजार से तीस हजार तक की रकम खाते में डलवाते थे। पुलिस शातिरों के लेखा जोखा की मिली डायरी से अब इनके शिकार हुए अन्य लोगों के बारे में भी जानकारी कर रही है।

ये हुए गिरफ्तार

जैतपुर कला के गढ़वार निवासी आदेश सिंह, हरेंद्र सिंह, एत्माद्दौला के नरायच निवासी रिषभ, पिनाहट के नयाबास निवासी प्रेम सिंह, मथुरा के मांट निवासी मुनेंद्र, कासगंज के अमांपुर निवासी सचिन सोलंकी, एत्माद्दौला के सती नगर निवासी दुर्गेश कुमार, बाह के पुरामना निवासी गौरव कुमार, ताजगंज के कलाल खेरिया निवासी दिलीप कुमार।

आगरा- जम्मू और पुणे पुलिस से संपर्क कर रही साइबर सेल

जैंतपुर से ऑनलाइन फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी चला रहे शातिरों के गैंग के तार जम्मू और पुणे से भी जुड़े हैं। गिरफ्तार होने के बाद उनके द्वारा ठगी किए जाने के नए मामले भी सामने आ रहे हैं। साइबर सेल ने पीडि़तों तक पहुंचने के लिए जम्मू और पुणे पुलिस से संपर्क किया।

जैतपुर पुलिस और साइबर सेल ने ऑनलाइन फर्जी ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाने वाले गिरोह के सरगना समेत नौ को गिरफ्तार किया था। ये शातिर ट्रक भाड़ा या अपना सामान दूसरी जगह शिफ्ट करने को ऑनलाइन मूवर्स, पैकर्स सर्च करने वालों को ये जाल में फंसा लेते थे। झांसा देकर ये शातिर लोगों से कमीशन के रूप में रकम अपने खातों के डलवाते थे। गैंग में रिषभ, आदेश और प्रेम सिंह सरगना हैं। अन्य छह इनके सहयोगी थे। महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और ओडिसा में लोगों को शिकार बनाने की शातिरों ने जानकारी दी थी। साइबर सेल को जांच में यह भी पता चला कि शातिरों ने पुणे के सॉफ्टवेयर इंजीनियर को भी शिकार बनाया था। उनका गुरुग्राम में ट्रांसफर हुआ था। जस्ट डाइल पर पैकर्स और मूवर्स सर्च करने पर वह शातिरों के जाल में फंस गए। अन्य पैकर्स और मूवर्स 1.80 हजार रुपये मांग रहे थे। जबकि इन शातिरों ने मात्र 80 हजार मांगे। सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 40 हजार रुपये एडवांस में उनके खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद ठगी की जानकारी हुई। जम्मू से चीनी और सेब भेजने के लिए व्यापारियों ने ऑनलाइन ट्रक भाड़ा तलाशा। वे भी इनके जाल में फंस गए। 40-40 हजार रुपये की ठगी का शिकार वे भी हुए। साइबर सेल ने इनके बारे में जानकारी कर ली है। उनसे मेल से कंप्लेंट भेजने को कहा गया है। साइबर सेल को यह भी जानकारी हुई है कि शातिर लोगों को जाल में फंसाने के बाद उनको वाट्सएप पर फर्जी बिल्टी भी भेज देते थे। जिससे भरोसा हो जाता था। इसके बाद भी लोग उनके बताए गए खाते में रकम डाल देते थे। 


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