रथ रह गया खड़ा, अंतिम सफर पर एंबुलेंस से नीरज हुए रवाना
अलीगढ़ से आए पुत्र मिलन प्रभात ने रथ पर नहीं निकलने दी महाकवि की रथ यात्रा। कवि सम्मेलन समिति ने तैयार करवाया था अंतिम यात्रा के लिए फूलों से सजा रथ।
आगरा(जागरण संवाददाता): पद्मभूषण कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज की आगरा से अलीगढ़ तक की अंतिम यात्रा एंबुलेंस में ही रवाना हुई। आगरा के साहित्यकारों का अपने गुरु को रथ द्वारा अंतिम विदाई का सपना सिर्फ सपना ही रह गया। कवि नीरज के पुत्र मिलन प्रभात एवं अलीगढ़ से आए अन्य परिजन उनके पार्थिव शरीर को एंबुलेंस में ही ले गए।
एंबुलेंस के पीछे रथ में आगरा में रहने वाले परिजन एवं साहित्यकार महाकवि को अंतिम विदाई देने के लिए रवाना हुए।
कवि सम्मेलन समिति द्वारा साहित्य जगत के पितामह की अंतिम यात्रा को यादगार बनाने के लिए डीसीएम को फूलों से पूरी तरह सजाया गया था। कवि रमेश मुस्कान ने बताया कि शुक्रवार से रथ तैयार किया जा रहा था। रथ पर महाकवि की तस्वीर रखी गई थी। चारों ओर उनकी लिखी रचनाओं की पंक्तियां लगाई गई थीं, साथ ही कवि नीरज की आवाज के गीतों को बजाया गया था। सुबह जब कवि नीरज का पार्थिव शरीर लेकर आगरा और अलीगढ़ के परिजन न्यू सरस्वती नगर, बल्केश्वर पहुंचे तब भी रथ में अंतिम रवानगी की तैयारी चलती रही। लेकिन करीब साढ़े ग्यारह बजे रवानगी के समय पर अलीगढ़ से आए कवि नीरज के पुत्र मिलन प्रभात ने पिता की अंतिम यात्रा को सादगी के साथ एंबुलेंस द्वारा ही अलीगढ़ ले जाने का निर्णय लिया। उनके निर्णय से आगरा के परिजनों सहित साहित्यकारों को भी गहरा आघात लगा। शहर के कवि पूरे मनोयोग से रथ को तैयार कर रहे थे लेकिन अंतिम समय में निर्णय बदलने से वे सभी स्तब्ध रह गए। हालांकि रथ सिर्फ वाटरवर्क्स तक ही जाना था। इसके बाद कवि नीरज के पार्थिव शरीर को एंबुलेंस से ही अलीगढ़ रवाना किया जाना था। बता दें कि अलीगढ़ में मैरिस रोड, जनकपुरी स्थित कवि नीरज के आवास पर दो घंटे अंतिम दर्शन होंगे, इसके बाद पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाएगा।