हरदीप सिंह ने अमेरिकन पैराशूट से लगाई थी 15वीं छलांग
लगानी थीं कुल 21 छलांग, हवा में संतुलन बिगड़ने से हुआ हादसा, 11वीं रेजीमेंट का जवान हरदीप मीसामारी असोम में था तैनात
आगरा (जागरण संवाददाता): वे होनहार थे। हवा में उड़ना उन्हें पसंद था। पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) के उस्तादों की हर बात पर अमल करते थे, लेकिन गुरुवार दोपहर हरदीप सबक भूल गए। घबराहट में हरदीप सिंह से एक के बाद एक, कई गलतियां हो गई। हवा में शरीर का संतुलन बनाने में कामयाबी नहीं मिली। अमेरिकन पैराशूट (एमसी-4) से 15वीं छलांग आखिरी छलांग साबित हुई।
पटियाला (गांव तलबंडी, थाना समाना सदर) पंजाब निवासी हरदीप सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह असोम के मीसामारी क्षेत्र में तैनात थे। वह सिपाही थे। 11वीं रेजीमेंट और पैरा के जवान हरदीप ने पीटीएस से बेसिक कोर्स किया था। वह पिछले माह ही प्रशिक्षण के लिए यहां आए थे। उन्हें कुल 21 छलांग लगानी थीं। सबसे पहले उन्होंने पांच हजार फीट से छलांग लगानी शुरू की। फिर इसे बढ़ाकर सात हजार फीट कर दिया गया। हर छलांग के बाद कमियों पर चर्चा की गई। 14वीं छलांग में भी कुछ ऐसा ही हुआ। गुरुवार दोपहर एक बजे एएन-32 से आठ हजार फीट से छलांग लगाई। एक हजार फीट तक सब कुछ ठीक ठाक रहा। हवा के तेज बहाव से दिक्कतें बढ़ने लगीं। वक्त ने हरदीप का साथ नहीं दिया। हवा में कलाबाजी लगा दी। पांच हजार फीट पर आने पर मुख्य पैराशूट खोल लिया, लेकिन शरीर का संतुलन सही नहीं होने से यह पैराशूट कट हो गया। एक बार को स्थिति ऐसी भी आई कि कप शेप हो गई, यानी पैराशूट नीचे और शरीर ऊपर की ओर हो गया। 200 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से जमीन की ओर वह आने लगे। उनका चेहरा आसमान की ओर हो गया। बाएं हाथ में बंधी घड़ी तेजी से जमीन की दूरी बता रही थी। इस पर हरदीप ने रिजर्व पैराशूट खोला। पैराशूट खुलने के बाद एयरो डायनामिक पोजीशन को बनाने में कामयाब नहीं हो सके । हवा के तेज दबाव से पैराशूट की डोरियां बाएं हाथ में उलझती चली गई। सही पोजीशन न होने के चलते हर प्रयास बेकार साबित हुआ। यहां तक स्प्रिंग भी फंस गई। जिससे जमीन पर गिरने से उनकी मौत हो गई।
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हरदीप को आज दी जाएगी विदाई
हरदीप सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह छह बजे मिलिट्री अस्पताल परिसर में रखा जाएगा। जहां पर उन्हें आखिरी विदाई दी जाएगी। सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर को पटियाला भेजा जाएगा। तलबंडी गांव में अंतिम संस्कार होगा।
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आज होगी आत्मविश्वास बढ़ाने की छलांग
शनिवार को मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में सभी पैरा के दो से तीन अफसर व जवान आत्म विश्वास बढ़ाने की छलांग लगाएंगे। एएन-32 से यह छलांग सुबह दस बजे से शुरू होगी। --
12 हजार फीट तक पहुंचती छलांग
अगर 15वीं छलांग में हरदीप कामयाब हो जाते तो 16वीं छलांग दस हजार और फिर आखिर में इसे बढ़ाकर 12 हजार फीट तक ले जाया जाता। 21 छलांग पूरी होने के बाद रात में छलांग लगाने का अभ्यास शुरू होता। एक से डेढ़ मिनट लगते हैं
आठ हजार की फीट से पैराजंपर को जमीन पर आने में एक से डेढ़ मिनट का समय लगता है।
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हरक्यूलिस विमान के साथ आए थे पैराशूट
सी 130 जे विमान भारत ने अमेरिका से खरीदे हैं। एक दशक पूर्व एयरफोर्स स्टेशन आगरा में भारत और अमेरिका का युद्धभ्यास हुआ था। इसी दौरान इन विमानों को खरीदने की नींव रखी गई थी। हरक्यूलिस विमानों के साथ पैराशूट व अन्य किट भी शामिल थीं।
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विदेशी कमांडो भी पैरा जंपिंग की लेते हैं ट्रेनिंग
पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में भारतीय सेना, एयरफोर्स के अलावा विदेशी कमांडो भी हर वर्ष बड़ी संख्या में पैरा जंपिंग की ट्रेनिंग लेते हैं। इनमें श्रीलंका, म्यांमार सहित अन्य देशों के कमांडो शामिल हैं। 12 दिवसीय बेसिक कोर्स में पांच जंप लगाते हैं। पीटीएस में कठिन ट्रेनिंग होती है। फिर फाइनल जंप का रिहर्सल कराया जाता है। रिहर्सल में पास होने के बाद ही जंपर को विमान से कूदने का मौका मिलता है।
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कई बार पेड़ों और खेतों में गिरते हैं जंपर
मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में हर दिन सुबह पांच बजे से जंप शुरू हो जाती हैं। अधिकांश जंप एएन-32 विमान से होती हैं। हर दिन 300 से अधिक पैराजंपर जंप लगाते हैं। तेज हवा के बहाव के चलते कई बार पैराजंपर जोन के आसपास खड़े पेड़ों या फिर खेतों में गिर जाते हैं।