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Marble Handicraft: ताजनगरी में 163 दिन से नहीं हुई किसी नए ताज की तामीर, हुनरमंद हाथ बैठे बेकार

Marble Handicraft 17 मार्च को स्मारक बंद होने के साथ बनना हो गया था बंद। कारीगर बेच रहे सब्जी व फल बेरोजगार होकर घर में बैठे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 09:39 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 09:39 AM (IST)
Marble Handicraft: ताजनगरी में 163 दिन से नहीं हुई किसी नए ताज की तामीर, हुनरमंद हाथ बैठे बेकार
Marble Handicraft: ताजनगरी में 163 दिन से नहीं हुई किसी नए ताज की तामीर, हुनरमंद हाथ बैठे बेकार

आगरा, निर्लोष कुमार। पचकुइयां निवासी किशोर गोकुलपुरा में एक कारखाने में ताजमहल के मॉडल बनाया करते थे। लॉक डाउन हुआ तो काम खत्म हो गया। किराये के घर में रहने वाले किशोर ने परिवार का खर्चा चलाने को जून में अनलॉक होने पर ठेल पर केले बेचना शुरू किया।

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केस दो

गोकुलपुरा निवासी विष्णु एक कारखाना में ताजमहल के मॉडल बनाने का काम करते थे। लॉक डाउन में बंद हुआ कारखाना स्मारक बंद रहने से अब तक शुरू नहीं हो सका है। काम नहीं होने से विष्णु घर पर खाली बैठे हैं। सरकार से कोई सहायता नहीं मिली।

किशोर और विष्णु की यह दास्तां अनलाॅक-3 में स्मारकों को नहीं खोले जाने से हैंडीक्राफ्ट कारोबार से जुड़े हर कारीगर की है। ताजमहल क्या बंद हुआ, यहां के हुनरमंदों की किस्मत ही उनसे रूठ गई। ताजमहल के दीदार के बाद यादगार के रूप में ताजमहल का जो मॉडल सैलानी यादगार के रूप में ले जाना नहीं भूलते हैं, उसकी तामीर ताजनगरी में 163 दिनों से नहीं हुई है। कारखानों में सन्नाटा पसरा है और कारीगर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। स्मारकों के बंद रहने से कारखाना संचालकों के पास ताजमहल के मॉडल बनाने का कोई ऑर्डर भी नहीं है। इस संकट से उन्हें जल्द निजात मिलने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है।

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के चलते आगरा उप्र ही नहीं देश का प्रमुख पर्यटन केंद्र है। देश घूमने आने वाले कम से कम 60 फीसद पर्यटकों की आइटनरी में ताजमहल जरूर होता है। ताजमहल के सहारे शहर के करीब पांच लाख लोगों की रोजी-रोटी चलती है। 17 मार्च को संस्कृति मंत्रालय के निर्देशाें पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने ताजमहल पर बंदी का क्या ताला लगाया, आगरा के पर्यटन उद्योग और उसके सहारे पल रहे लोगों की आजीविका पर ही ताला लग गया। आगरा आने वाले सैलानी दीदार-ए-ताज के बाद यहां से यादगार के रूप में ताजमहल के मॉडल ले जाना नहीं भूलते। ताजमहल बंदी के बुधवार को 163 दिन पूरे हो गए। इतने ही दिन से ताजमहल के मॉडल बनाने वाले गोकुलपुरा के कारखानों में काम ठप पड़ा है। गोकुलपुरा निवासी लकी वर्मा का कारखाना 17 मार्च से ही बंद है। दरअसल, स्मारकों की बंदी के चलते दुकानदारों व शोरूम संचालकों से उन्हें कोई ऑर्डर ही नहीं मिला। एक सितंबर से आगरा में ताजमहल व आगरा किला को छोड़कर अन्य स्मारक खुलने जा रहे हैं, लेकिन ताजमहल की बंदी के चलते उन्हें कोई ऑर्डर नहीं मिला है। वहीं, दुकानों, शोरूम व एंपोरियम में माल बंदी के पहले का बचा हुआ है। इससे अभी उन्हें जल्दी आॅर्डर मिलने की उम्मीद न के बराबर है।

फैक्‍ट फाइल

-ताजनगरी में हैंडीक्राफ्ट कारोबार से जुड़े करीब 35 हजार कारीगर हैं। जबकि एंपोरियम, शोरूम व दुकानों पर सेल्समैन समेत अन्य काम करने वालों की संख्या भी करीब इतनी ही है।

-सबसे छोटे ताजमहल के मॉडल की कीमत 200 रुपये से शुरू होती है, जो उसके साइज के अनुसार बढ़ती जाती है।

-तीन इंच से लेकर 24 इंच तक के ताजमहल के मॉडल सामान्यत: बनाए जाते हैं। सर्वाधिक बिक्री तीन से 12 इंच तक के ताजमहल के मॉडल की होती है। इससे बडे़ ताजमहल ऑर्डर पर बनते हैं।

-प्रतिदिन औसतन करीब दो हजार मॉडल ताजमहल के बिकते हैं। जरदौजी पैनल, लेडीज पर्स, कीचेन, बैज आदि को मिला लें तो यह आंकड़ा पांच हजार तक पहुंचता है।

-ताजगंज, फतेहाबाद रोड पर करीब 500 एंपोरियम, शोरूम व दुकानें हैं। ताजमहल की शिल्पग्राम व अमरूद का टीला पार्किंग, आगरा किला के सामने रेहड़ी आदि से भी ताजमहल के मॉडल वेंडर्स बेचते हैं।

-ताजमहल के मॉडल बनाने का प्रमुख केंद्र राजा की मंडी का गोकुलपुरा है। पचकुइयां में भी कुछ जगह सेलम से ताजमहल बनाया जाता है। करीब 150 कारखाने शहर में हैं। घरों में भी कारीगर मॉडल बनाते हैं।

-आगरा में हैंडीक्राफ्ट कारोबार निर्यात समेत करीब 2500 करोड़ रुपये का है।

17 मार्च से ताजमहल बंद होने से कारीगर बेरोजगार होने से भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। हस्तशिल्प कारीगरों का व्यवसाय ताजमहल पर निर्भर है, जब तक वो नहीं खुलेगा तब तक यही हाल रहेगा। सरकार की तरफ से कोई सहायता कारीगरों को नहीं मिली है।

-लकी वर्मा, कारखाना संचालक

ताजमहल के मॉडल मुख्यत: सेलम और इटली से आने वाले अलाबास्टर से बनाए जाते हैं। मकराना के संगमरमर के ताजमहल के मॉडल कम बनते हैं। उसका छोटा मॉडल ही करीब 25 हजार रुपये का बनता है, जिसे हर कोई अफाेर्ड नहीं कर पाता।

-सुनील कुमार, शोरूम संचालक

वर्ष 2007 में ताजमहल के सेवन वंडर्स में चुने जाने के बाद लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। पहले वो ताजमहल के मॉडल को कब्र के चलते घर में रखना पसंद नहीं करते थे। अब ताजमहल के मॉडल, जरदौजी पैनल, बैज आदि घर में रखने लगे हैं।

-राजीव तिवारी, पर्यटन उद्यमी

ताजनगरी में प्रतिदिन करीब दो हजार ताजमहल के माॅडल बिकते हैं अौर करीब इतने ही बनाए जाते हैं। अधिकांश ऑर्डर पर इन्हें बनाया जाता है। जरदौजी पैनल, बैज, बैग, टी-कॉस्टर आदि को मिलाकर करीब पांच हजार ताजमहल प्रतिदिन बिकते हैं।

-प्रहलाद अग्रवाल, अध्यक्ष आगरा टूरिज्म वेलफेयर चैंबर 


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