एक गुरुद्वारा जहां 40 बरसों से गूंज रही है जल संचय की ‘गुरुवाणी’ Agra News
गुरुद्वारा गुरु का ताल में दो बड़े तालाबों में समा जाती है बारिश की हर बूंद।
आगरा, प्रभजोत कौर। पूरा देश जब पानी की बर्बादी में मशगूल था तब गुरुद्वारा गुरू का ताल भविष्य की तैयारी में जुटा था। 40 साल से इस जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जा रही है। नतीजा आज जब शहर का गला सूखा है, यहां 80 फीट पर पानी आसानी से निकल रहा है।
ताजनगरी पिछले कई सालों से पानी के संकट से जूझ रही है। कुछ साल पहले तक जहां 150 फीट पर पानी था, वह अब 200 फीट से भी नीचे पहुंच गया है। ऐसे हालात में गुरुद्वारा गुरु का ताल एक सीख दे रहा है। संत बाबा निरंजन सिंह ने करीब 40 साल पहले वाटर हार्वेस्टिंग की जरूरत को समझा। उन्होंने दो गहरे तालाब खोदवाए। इन तालाबों तक पानी पहुंचाने को गुरुद्वारा परिसर में जगह-जगह पानी के स्टोर बैंक बनाए गए। बर्तन धुलने से लेकर पशुओं को नहलाने तक का पानी पाइपों से यहां पहुंचाया जाता है। इस तालाब के पानी को 10- 12 एकड़ में फैली खेती में इस्तेमाल किया जाता है।
अन्य धार्मिक स्थल भी रहे प्रेरणा
गुरुद्वारे से अन्य धार्मिक स्थल भी प्रेरणा ले रहे हैं। अबुल उल्लाह की दरगाह में भी अब रेन वॉटर हार्वेस्टिंग शुरू कर दी गई है। मन:कामेश्वर मंदिर में भी इसकी प्लानिंग की जा रही है।
यूं होता है रखरखाव
तालाब की मिट्टी ही पानी को फिल्टर करती है। हर दो-तीन महीने बाद इस तालाब का पानी निकालकर इसकी मिट्टी को फिर से खुरदुरा किया जाता है, इससे पानी को ठीक से फिल्टर किया जा सके।
35 एकड़ में कम नहीं हुआ जल स्तर
गुरुद्वारा गुरु का ताल 35 एकड़ में फैला है। संत बाबा प्रीतम सिंह बताते हैं कि इन तालाबों की वजह से आज भी यहां 80 फीट पर पानी आ जाता है। गुरुद्वारा मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह बताते हैं कि यहां के पानी में गौ मूत्र और गोबर मिलने से यह प्राकृतिक खाद का काम करता है। पिछले 15 सालों से गुरुद्वारा को सर्वश्रेष्ठ बगीचा प्रतियोगिता में पहला स्थान मिल रहा है।