Guru Nanak Dev Jayanti 2020: तो इस वजह से आगरा में गुरु नानक देव बन गए पीलू वाले बाबा
Guru Nanak Dev Jayanti 2020 पहली उदासी यानी पवित्र यात्रा के दौरान तीन दिन पेड़ के नीचे रूके थे गुरु नानक देव। हर साल होली पर लगता है मेला इसी स्थान पर है लोहामंडी में है नया बांस गुरुद्वारा।
आगरा, प्रभजोत कौर। सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव को आगरा में पीलू वाले बाबा के नाम से जाना जाता है।1509-10 ई. में आगरा के लोहामंडी इलाके में महाराज पीलू के पेड़ के नीचे सरबत दा भलां का संदेश देने वाले गुरु नानक देव ने एक महिला के बीमार बच्चे को भी जीवनदान दिया था। हर साल पीलू वाले बाबा की याद में होली पर यहां मेला भी लगता है।
सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी ने तत्कालीन समाज को समस्याओं से निजात दिलाने और जगाने के लिए 38 हजार मील की पैदल यात्रा की थी। इन्हें चार उदासियां यानी पवित्र यात्राओं के नाम से जाना जाता है। पहली उदासी में गुरु नानक देव दक्षिण की यात्रा के दौरान आगरा आए थे। इस सफर की शुरुआत उन्होंने 1500 ई. में अमृतसर के छांगा-मांगा के जंगलों से की थी। गुजरांवालां होते हुए लाहौर, कुरुक्षेत्र, करनाल, हरिद्वार, दिल्ली, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ से पटना पहुंचे थे। इस यात्रा में वे आगरा में पीलू के पेड़ के नीचे रूके थे, जहां आज नया बांस गुरुद्वारा, लोहामंडी है।जिस जगह पर यह गुरुद्वारा है, पहले यहां एक बगीचा हुआ करता था, जिसमें गुरु नानक देव पेड़ के नीचे तीन दिन तक बैठे थे।यहीं रहने वाली एक महिला के बीमार बेटे को लाइलाज बीमारी थी।गुरु नानक देव ने बगीचे के तालाब में लड़के को नहलाने को कहा और वो लड़का ठीक हो गया। वर्तमान में तालाब तो खत्म हो गया है, लेकिन गुरुनानक देव के चरणों के निशान आज भी यहां हैं।तभी से गुरु नानक देव पीलू वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। आज भी होली वाले दिन यहां मेला लगाया जाता है। चूंकि गुरु नानक देव ने यहां दुखों को निवारण किया था, इसीलिए हर अमावस्या पर यहां दुख निवारण दीवान भी सजता है।