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2 फरवरी से हैं इस वर्ष की गुप्त नवरात्रि, पढ़ें घट स्थापना से लेकर पूजन की विधि

Gupt Navratri 2022 गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं मां काली मां तारा देवी मां त्रिपुर सुंदरी मां भुवनेश्वरी मां छिन्नमस्ता मां त्रिपुर भैरवी मां ध्रूमावती मां बगलामुखी मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में शक्ति की साधना को गोपनीय रूप से किया जाता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 09:59 AM (IST)
2 फरवरी से हैं इस वर्ष की गुप्त नवरात्रि, पढ़ें घट स्थापना से लेकर पूजन की विधि
दो फरवरी से हैं इस वर्ष माघ मास की गुप्त नवरात्रि।

आगरा, जागरण संवाददाता। सनातन परंपरा में शक्ति की साधना का महापर्व नवरात्रि दो नहीं बल्कि चार बार आता है। पंचांग के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतिक नवरात्रि, चौथे मास यानि कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्रि, आश्विन मास में तीसरी यानि शारदीय नवरात्रि और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है। इसमें से माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि और आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष की पहली नवरात्रि माघ मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानि 2 फरवरी से आरंभ होने जा रही हैं।

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धार्मिक महत्व 

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार नवरात्रि में जहां देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है वहीं गुप्त नवरात्रि में दसमहाविद्याओं मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में शक्ति की साधना को अत्यंत ही गोपनीय रूप से किया जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को जितनी ही गोपनीयता के साथ किया जाता है, साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा बरसती है।

पूजा विधि 

माघ मास की गुप्त नवरात्रि की साधना के लिए घट स्थापना 2 फरवरी को प्रात:काल 07:09 से 08:31 के करना अत्यंत शुभ रहेगा। गुप्त नवरात्रि के दिन साधक को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके देवी दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को एक लाल रंग के कपड़े में रखकर लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी आदि पहनाकर रखना चाहिए। इसके साथ एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोना चाहिए। जिसमें प्रतिदिन उचित मात्रा में जल का छिड़काव करते रहना होता है। मंगल कलश में गंगाजल, सिक्का आदि डालकर उसे शुभ मुहूर्त में आम्रपल्लव और श्रीफल रखकर स्थापित करें। फल-फूल आदि को अर्पित करते हुए देवी की विधि-विधान से प्रतिदिन पूजा करें। अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा आदि का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिण देकर विदा करें। गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के पश्चात् देवी दुर्गा की आरती गाएं। पूजा की समाप्ति के बाद कलश को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जन करें।

पूजा का उपाय

माघ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए साधक को शक्ति की साधना के नौ दिनों तक पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय को करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं। जो लोग समय की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सिद्ध कुंजिकास्तोत्र का पाठ भी अत्यंत ही सरल एवं प्रभावी उपाय है।


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