शाहजहांपुर- बरेली से सादाबाद लाए जा रहे दस बाल मजदूर जीआरपी ने कराए मुक्त
जीआरपी के पूछताछ करते ही भाग खड़ा हुआ ठेकेदार। कासगंज रेलवे स्टेशन पर मथुरा की ट्रेन का इंतजार करते पकड़ा।
कासगंज, जेएनएन। भूख है तो क्या करें। बच्चे हैं तो क्या। रोटी होगी तभी तो जिंदा रह पाएंगे। शाहजहांपुर और बरेली के दस बाल श्रमिकों को जीआरपी ने कासगंज रेलवे स्टेशन से मुक्त कराया। इन सभी को सादाबाद में खेतों में मजदूरी के लिए ले जाया जा रहा था। 11 से 15 साल आयु वर्ग के इन बच्चों के कंधे पर स्क्ूली बैग थे और बैग में किताबों की जगह कपड़े। इनमें से कई के पिता का देहांत हो चुका था। उनका कहना था कि जब घर में खाना ही नही है तो काम करना मजबूरी है, ऐसे में उम्र कौन देखे।
शनिवार रात पौने दस बजे जीआरपी इंस्पेक्टर सोनू राजोरा ने कासगंज स्टेशन पर इन बच्चों को देखा। इनकी उम्र 11 से 15 वर्ष के बीच थी। सभी के पास स्कूली बैग थे। बैग में बच्चों के कपड़े थे। पूछताछ में पता चला कि बच्चे शाहजहांपुर एवं बरेली के रहने वाले हैं तथा इन्हें सादाबाद में आलू खुदाई के लिए ले जाया जा रहा था। बरेली-कासगंज पैसेंजर से बच्चे रात में कासगंज पहुंचे थे। यहां से मथुरा की ट्रेन पकडऩी थी, लेकिन मथुरा की ट्रेन छूट गई। ऐसे में ठेकेदार एवं खेत मालिक के साथ वह दूसरी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। रात में ही बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। अभिभावकों ने बताया कि घर की माली हालत के कारण बच्चों को सहमति से भेजा गया। मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। इन बच्चों से पूछताछ होते देख इन्हें लाने वाले भाग गए।रविवार की देर शाम इन्हें अभिभावकों के सुपुर्द कर दिया गया।
भटकती रही खाकी, नहीं मिला बच्चों को आसरा
रात में मेडिकल के बाद में बाल कल्याण समिति ने सभी कागजी पत्रावली पूर्ण कर बच्चों को वन स्टॉप सेंटर भेजा। जीआरपी दारोगा इकरार हुसैन रात तीन बजे बच्चों को बस स्टेंड के निकट वन स्टॉप सेंटर पर पहुंचे। यहां सिर्फ कांस्टेबल मिलीं। उन्होंने बच्चों को अपनी सुपुर्दगी में लेने से इन्कार कर दिया। बच्चों को रात थाने पर गुजारनी पड़ी। इंस्पेक्टर सोनू राजोरा ने वहीं बच्चों को खाना खिलाया।
क्या कहते हैं अधिकारी
दस बच्चों में तीन शाहजहांपुर के थाना क्षेत्र खुदागंज के गांव पिनिया और सात बरेली के फतेहगंज थाना क्षेत्र के गांव गुलूपुरा के थे। सभी बच्चे बेहद गरीब परिवार के हैैं। इनमें के कुछ के पिता का देहांत हो चुका था। शाम को सभी को स्वजनों के हवाले कर दिया गया। मामले में मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है।
सोनू राजोरा, इंस्पेक्टर जीआरपी