अब रात में अलग ही होगी गोविंद देव और मदन मोहन मंदिर की छटा, मथुरा में एएसआइ का नया प्रयोग
एएसआइ मथुरा स्थित मंदिरों को कृत्रिम प्रकाश में करेगा रोशन। तैयार किया जा रहा है प्रस्ताव अक्टूबर में डाली गई थी रोशनी। सफेद संगमरमर पर रोशनी डाले जाने से कीड़े होते हैं आकर्षित इसलिए मथुरा के मंदिराें पर की जाएगी ये व्यवस्था।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) मथुरा के वृंदावन स्थित गोविंद देव और मदन मोहन मंदिर को कृत्रिम प्रकाश में रोशन करेगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में दोनों मंदिरों को दो बार तिरंगी रोशनी में रोशन किया गया था। तब यह नजारा आंखों में बस गया था। श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र दोनों मंदिर कृत्रिम प्रकाश में रोशन होने के बाद पर्यटकों के लिए भी आकर्षण बनेंगे।
एएसआइ के आगरा सर्किल में नौ जिले आते हैं। इनमें मथुरा भी शामिल है। वृंदावन स्थित प्राचीन गोविंद देव और मदन मोहन मंदिर एएसआइ द्वारा संरक्षित हैं। दोनों मंदिरों को विभाग द्वारा कृत्रिम प्रकाश में रोशन करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में कोरोना वैक्सीन की 100 करोड़ वीं डोज लगने के मौके को खास बनाने के लिए एएसआइ ने देश के 100 स्मारकों को तिरंगी रोशनी में रोशन किया था।
इनमें एएसआइ के आगरा सर्किल में आने वाले गोविंद देव मंदिर, मदन मोहन मंदिर, आगरा किला के अमर सिंह गेट, अकबर के मकबरे के प्रवेश द्वार, एत्माद्दौला में यमुना किनारा की तरफ स्थित बारादरी और फतेहपुर सीकरी स्थित पंचमहल को रोशन किया गया था। तिरंगी रोशनी में नहाए मंदिरों व स्मारकों को देखने के बाद लोग वाह-वाह करते हुए मनोरम नजारे को स्थायी बनाने की कामना करते हुए नजर आए थे।
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि गोविंद देव व मदन मोहन मंदिर को इस वित्तीय वर्ष में कृत्रिम प्रकाश में रोशन किया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है।
सफेद संगमरमर पर आकर्षित होते हैं कीड़े
ताजमहल व एत्माद्दौला सफेद संगमरमर से बने हुए हैं। आगरा किला में सफेद संगमरमर के कई भवन हैं, जबकि सिकंदरा में ऊपरी मंजिल पर संगमरमर का काम है। सफेद संगमरमर पर कृत्रिम प्रकाश डाले जाने पर कीड़े आकर्षित होते हैं और स्मारक की सतह पर गंदगी छोड़ते हैं। इसलिए स्मारकों को कृत्रिम प्रकाश में रोशन नहीं किया जा सका है। अक्टूबर में भी एएसआइ ने एत्माद्दौला में सफेद संगमरमर से बने मकबरे की बजाय यमुना किनारा स्थित रेड सैंड स्टोन की बनी बारादरी को रोशन किया था।