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कान्हा की नगरी पहुंचे राम, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा और विज्ञान विवि के दीक्षा समरोह का किया उद्घाटन

राम नाइक ने समारोह का दीप जलाकर किया उद्घाटन। कुपपति ने गिनाई विवि की उपलब्धि्यां तो यूजीसी के चेयरमैन ने प्रेरित किये छात्र।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 12:43 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 12:43 PM (IST)
कान्हा की नगरी पहुंचे राम, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा और विज्ञान विवि के दीक्षा समरोह का किया उद्घाटन
कान्हा की नगरी पहुंचे राम, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा और विज्ञान विवि के दीक्षा समरोह का किया उद्घाटन

आगरा(जेएनएन): कान्हा की नगरी मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा और विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान के दीक्षा समारोह में राज्यपाल राम नाइक पहुंच चुके हैं। राज्यपाल ने दीप जलाकर कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राज्यपाल सुबह करीब दस बजे वेटरिनरी यूनिवर्सिटी पहुंच गए थे। कुलपति प्रो. डा. केएमल पाठक ने स्वागत भाषण दिया। साथ ही उन्होंने यूनिवर्सिटी की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। कुलपति ने कहा कि यूनिवर्सिटी को ओर आगे तक ले जाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति के प्रयासों को भी नहीं भुलाया जा सकता है। 11 फरवरी को मुख्यमंत्री पहली बार यूनिवर्सिटी आए थे। तब दो कॉलेजों का तोहफा भी यूनिवर्सिटी को दिया गया।

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समारोह को संबोधित करते हुए

यूजीसी के चेयरमैन धीरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि गाव के अंतिम पशुपालक तक भी मिले ज्ञान का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि उपाधि और मेडल हासिल तक ही छात्रों की यात्रा नहीं होनी चाहिए। वेटरिनरी यूनिवर्सिटी से आप जो ज्ञान अर्जित करके जा रहे हैं। उसका लाभ गाव के अंतिम पशुपालक तक पहुंचना चाहिए। तभी हमारी यात्राी पूरी होकर एक सार्थक मुकाम पर पहुंचेगी।

यूजीसी के चेयरमैन ने छात्रों से कहा कि आज उनका दिन है। उनकी जीवन यात्रा यही पर समाप्त नहीं होती है। इसके आगे भी जारी रखना है। इसके लिए छात्रों को बड़ी सोच की जरुरत है। बड़े सपने देखने होंगे और उनको पूरा करने के लिए सतत प्रयास भी करने पड़ेंगे। वर्तमान युग गतिशील, परिवर्तनशील और आविष्कारों का है। इस युग में संचार क्राति हो रही है। वैज्ञानिक नवीनतम तकनीकी ईजाद कर रहे हैं। इसलिए हमको अपने विचारों की उड़ान भरनी होगी। हमको अपने अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास कराना होगा। हमारी पहचान हमारे कार्य से होगी। इसलिए जो ज्ञान छात्रों ने प्राप्त किया है। उसका लाभ गाव के अंतिम पशुपालक तक पहुंचना चाहिए। यह तभी संभव होगा, जब हमारी सोच ग्रामीण केंद्रित होगी। आने वाले समय में छात्रों के सामने अनेक चुनौतिया होंगी। इनको पूरा करने के लिए कभी उनको सफलता मिलेगी तो कभी उनको असफलता का स्वाद भी चखना पड़ेगा। मगर हम सबको इनसे डर कर रुकने की जरुरत नहीं है। क्योंकि देश और विदेश में हमारी पहचान हमारे काम से होगी। इससे पहले उन्होंने छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि वेटरिनरी यूनिवर्सिटी में गुणवत्ता पूर्वक शोध हुए है। यहा का कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को कृषि विविधिकरण की तरफ ले जाने में अपना अहम योगदान दे रहा है। पशुपालकों भी यूनिवर्सिटी पशुपालन के क्षेत्र में वैज्ञानिक तौर-तरीके सिखा रहे हैं।


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