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World Heritage Taj Mahal: जब यमुना होगी साफ तभी धुलेंगे विश्व धरोहर ताजमहल के दाग

विश्व धरोहर ताजमहल की दीवारों पर छह साल से लगातार गोल्डी काइरोनोमस कीड़े का हमला हो रहा है लेकिन इसका कोई स्थायी उपचार नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है यमुना साफ होगी तभी ताज को इससे निजात मिलेगी

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 12:33 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 12:37 PM (IST)
World Heritage Taj Mahal: जब यमुना होगी साफ तभी धुलेंगे विश्व धरोहर ताजमहल के दाग
यह दाग यमुना की गंदगी में पनपा कीड़ा गोल्डी काइरोनोमस का था।

निर्लोष कुमार, आगरा। ताजमहल के धवल संगमरमरी सौंदर्य का दुश्मन एक बार फिर आ गया है। ताजमहल की उत्तरी दीवार (यमुना किनारा की तरफ) पर नीचे से ऊपर तक गहरे भूरे व हरे रंग के दाग नजर आने लगे थे। यह दाग यमुना की गंदगी में पनपा कीड़ा गोल्डी काइरोनोमस का था। हालांकि फौरी तौर पर इसे हटा दिया गया है, लेकिन जब युमना साफ होगी, तभी स्थायी तौर पर ताज के यह दाग धुल पाएंगे।

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सीधे गिरने वाले 61 नालों की वजह से युमना नदी न रहकर नाला बन गई है। मार्च-अप्रैल में तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है तो यमुना की गंदगी में गोल्डीकाइरोनोमस पनपने लगता है। यह ताजमहल में लगे सफेद संगमरमर की ओर आकर्षित होता है और ताज की सतह पर गहरे भूरे व हरे रंग के दाग छोड़ता है। उत्तरी दीवार में हो रही पच्चीकारी पर गहरे भूरे रंग के दाग नजर आने लगते हैं। जाली पर भी छोटे-छोटे धब्बे बन जाते हैं। आर्च की स्थिति सबसे खराब है। एएसआइ द्वारा ताजमहल की सतह से गंदगी साफ करने का काम बीते गुरुवार को ही शुरू कर दिया गया।

यमुना की गंदगी है मुख्य वजह: अधीक्षण पुरातत्व रसायन डॉ. एमके भटनागर बताते हैं कि गोल्डी काइरोनोमस के पनपने की मुख्य वजह यमुना की गंदगी और उसमें फास्फोरस की मात्र अधिक होना है। मार्च-अप्रैल में जब नदी के किनारे तापमान 28 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है और नदी में बहाव कम होता है तो उसके किनारों पर एल्गी (काई) जम जाती है। इसी में गोल्डीकाइरोनोमस पनपता है। एल्गी को खाकर कीड़ा बढ़ता है।

15 दिन तक रहता है कीड़ा: गोल्डी काइरोनोमस का जीवन करीब 15 दिन का होता है। मादा कीट बड़ी संख्या में अंडे देती है। लार्वा, प्यूपा और फिर वयस्क अवस्था होती है। वयस्क अवस्था में गोल्डीकाइरोनोमस पांच से सात दिन तक रहता है। वयस्क अवस्था में ही ताजमहल के सफेद संगमरमर की ओर वो आकर्षति होता है। सुबह और शाम ढलते यह आता है और फिर वहां गंदगी छोड़ता है।

2015 में पहली बार लगे थे दाग: संसद की पर्यावरण संबंधी स्थायी समिति की सिफारिश पर एएसआइ की रसायन शाखा ने वर्ष 2015 में ताजमहल की यमुना किनारा स्थित दीवार पर मडपैक ट्रीटमेंट किया था। इसके बाद बारिश होने पर दीवार पर जगह-जगह हरे रंग के दाग लग गए थे। अध्ययन के बाद रसायन शाखा ने इसके गोल्डी काइरोनोमस की पुष्टि की थी।

हानिकारक नहीं हैं दाग: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा, एएसआइ के निदेशक विज्ञान देहरादून, वाडिया इंस्टीट्यूट इसकी जांच कर चुके हैं। उन्होंने अध्ययन में कीड़ों द्वारा छोड़ी गई गंदगी का कोई दुष्प्रभाव ताजमहल पर नहीं होने की बात कही थी। गंदगी को पानी से धोकर साफ किया जा सकता है।

इस समय पनपता है कीड़ा

  • नदी के पास तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस हो
  • नदी में जलस्तर बहुत कम और बहाव न के बराबर हो
  • ताजमहल के पाश्र्व में यमुना जल में फास्फोरस अधिक मात्र में है, जो गोल्डीकाइरोनोमस के पनपने की मुख्य वजह है
  • यमुना के दोनों किनारों पर काई अधिक लगना जल के अत्यधिक प्रदूषित होने का परिणाम है। बारिश के मौसम में जब नदी का जल स्तर अधिक और बहाव तेज होता है, तब वातावरण लार्वा को बढ़ने नहीं देता है। इस समय कीड़े की गतिविधि नहीं देखी जाती

अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि रसायन शाखा द्वारा ताजमहल में कीड़ों द्वारा छोड़ी गई गंदगी को साफ करवाया जा रहा है। यह कीड़ा यमुना में गंदगी की वजह से पनप रहा है।


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